अश्विनी वैष्णव ने की सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट रोकने के लिए कानून बनाने की मांग, अरुण गोविल ने किया समर्थन

बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने भी मंत्री की इस मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत सा कंटेंट मौजूद है जो भारतीय संस्कृति के मूल्यों से मेल नहीं खाता.
Ashwini Vaishnav

अश्विनी वैष्णव

Ashwini Vaishnav: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस विषय पर संसद में चर्चा होनी चाहिए और विपक्ष को भी इस पर अपनी भूमिका निभानी चाहिए.

अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भारतीय और विदेशी संस्कृतियों के बीच के अंतर को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मूल देश की संस्कृति में बड़ा अंतर है. यह समय की मांग है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले कंटेंट को नियंत्रित किया जाए, ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान न पहुंचे.”

सरकार ने उठाए ये कदम

सरकार ने पहले ही इस दिशा में कदम उठाते हुए आईटी नियम 2021 लागू किए थे. इन नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को ग्रीवांस ऑफिसर नियुक्त करना अनिवार्य किया गया है, ताकि यूजर्स अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें. साथ ही कंपनियों को हर महीने पारदर्शिता रिपोर्ट भी जारी करनी होती है.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सोशल मीडिया कंपनियों को सेल्फ-रेगुलेशन का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि कंपनियां फ्री स्पीच और जिम्मेदार कंटेंट मॉडरेशन के बीच संतुलन बनाए रखें.

अरुण गोविल ने भी किया समर्थन

बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने भी मंत्री की इस मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत सा कंटेंट मौजूद है जो भारतीय संस्कृति के मूल्यों से मेल नहीं खाता. गोविल ने कहा, “इन प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की सख्त निगरानी और नियमन की आवश्यकता है.”

यह भी पढ़ें: “बीजेपी का मुख्यमंत्री मुझे मंजूर है…”, CM कुर्सी के लिए रेस के बीच एकनाथ शिंदे का बड़ा बयान

उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को जिम्मेदार ठहराना आवश्यक है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी निभाएं और आपत्तिजनक सामग्री पर तुरंत कार्रवाई करें. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले कुछ सालों में ऐसे कई प्राइवेट प्लेटफॉर्म सामने आए हैं, जो बिना किसी नियमन के कार्य कर रहे हैं.

ज़रूर पढ़ें