“मैं गांधी की तरह बिल को फाड़ता हूं”, लोकसभा में वक़्फ बिल की कॉपियों को ओवैसी ने कर दिया एक झटके में अलग
असदुद्दीन ओवैसी
Waqf Amendment Bill: वक़्फ़ संशोधन विधेयक को लेकर लोकसभा में चल रही बहस के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी के तेवर काफ़ी तल्ख़ दिखाई दिए. लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को लेकर ओवैसी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने इस बिल का कड़ा विरोध करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अन्याय करार दिया और संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन बताया. ओवैसी ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे इस बिल किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करते और इसे फाड़ने को तैयार हैं.
लोकसभा में अपने भाषण के दौरान ओवैसी ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा, “गांधीजी के सामने जब एक ऐसा कानून लाया गया, जो उन्हें मंजूर नहीं था, तो उन्होंने कहा कि मैं उस कानून को नहीं मानता और उसे फाड़ता हूं. मैं भी गांधीजी की तरह इस बिल को फाड़ता हूं.” इसके बाद उन्होंने बिल की कॉपी के स्टेपल हुए दो पन्नों को अलग कर दिया. ओवैसी ने केंद्र सरकार पर वक्फ संपत्तियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया और इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया.
#WATCH दिल्ली: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक की कॉपी फाड़ी। pic.twitter.com/6IGQoGY30w
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 2, 2025
उन्होंने कहा, “वक्फ एक धार्मिक संस्था है. केंद्र सरकार गलत जानकारी दे रही है. यह बिल भारत के मुस्लिमों के ईमान पर हमला है. आप ‘वक्फ बाय यूजर’ को छीन रहे हैं. संविधान का अनुच्छेद 26 हिंदू, बौद्ध, जैन को अपनी धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता देता है, तो फिर मुस्लिमों से यह अधिकार क्यों छीना जा रहा है?” ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम भेदभावपूर्ण है.
देश में विवाद पैदा करने का लगाया आरोप
ओवैसी ने बीजेपी पर मंदिर-मस्जिद के नाम पर देश में विवाद पैदा करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर सवाल उठाया जिसमें शाह ने कहा था कि 2013 का कानून न होता तो यह बिल नहीं लाया जाता. ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, “उस वक्त राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी जैसे बड़े नेता संसद में थे. क्या तब वे गलत थे या अब आप गलत हैं?” उन्होंने आगे कहा कि प्राचीन मंदिरों की हिफाजत की बात होती है, लेकिन प्राचीन मस्जिदों को नजरअंदाज किया जा रहा है.