एक की RSS से करीबी, दूसरा मंझा हुआ राजनेता, कैसे वायनाड का किला भेद पाएंगी प्रियंका गांधी?
Wayanad Lok Sabha By Election: लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर सबकी नजरें केरल के वायनाड पर है. इसकी वजह कांग्रेस महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा हैं. हाल में हुए आम चुनाव में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली और केरल के वायनाड दोनों सीटों पर से जीते थे. हालांकि, बाद में उन्होंने वायनाड सीट को छोड़ दिया. जिसके बाद अब यहां उप चुनाव हो रहा है. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. आज बुधवार को उन्होंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. इस दौरान सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद थे.
बता दें कि वायनाड को कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट माना जाता है, लेकिन प्रियंका जिन उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी, वे इस मुकाबले को दिलचस्प बनाएंगे. आइए जानते हैं कैसे? गौरतल है कि लोकसभा उपचुनाव प्रियंका गांधी के चुनावी सफर की शुरुआत है. प्रियंका लंबे समय से चुनावी राजनीति से दूर रहीं और परिवार के सदस्यों और अन्य कांग्रेस सदस्यों के लिए प्रचार करती रही हैं.
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लंबे समय बाद चुनावी मैदान में प्रियंका की एंट्री
काफी लंबे समय बाद 52 वर्षीय प्रियंका का चुनावी डेब्यू कांग्रेस पार्टी की रणनीतिक चाल के तौर पर देखा जा रहा है. राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने के बाद खाली हुई सीट पर प्रियंका गांधी का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नव्या हरिदास से है. मोकेरी केरल के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं तो वहीं तकनीकी विशेषज्ञ से राजनीतिज्ञ बनीं नव्या हरिदास पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.
कैसे एक्सीडेंटल पॉलिटिशियन बन गईं नव्या हरिदास?
भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार नव्या हरिदास पेशेवर और राजनीतिक अनुभव का मिश्रण लेकर मैदान में उतरी हैं. उन्हें “एक्सीडेंटल पॉलिटिशियन” कहा गया है. हरिदास राजनीति में आने से पहले सिंगापुर और नीदरलैंड में काम कर चुकी हैं. भारत वापस आने के बाद वह कोझिकोड निगम में दो बार पार्षद रहीं और वर्तमान में भाजपा के लिए महिला मोर्चा की राज्य महासचिव के रूप में काम करती हैं.
बता दें कि साल 2015 में जब वह अपने बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने कोझिकोड गईं और आकस्मिक राजनीतिज्ञ बन गईं. चुनाव का समय था, और भाजपा ने उनके परिवार की संघ परिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाने के लिए संपर्क किया. जिसके बाद उन्हें सामान्य सीट से मैदान में उतारा गया. रातों-रात वो उम्मीदवार बन गई. और चुनाव में जीत भी हासिल कीं.
केरल के अनुभवी राजनेता सत्यन मोकेरी
वायनाड में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी तीसरे बड़े नाम हैं. मोकेरी केरल की राजनीति में लंबे करियर वाले एक अनुभवी राजनेता हैं. अक्सर केरल विधानसभा के दहाड़ते शेर के रूप में जाने जाने वाले मोकेरी वाम मोर्चे की एक मजबूत आवाज रहे हैं. वे एक अनुभवी कम्युनिस्ट नेता हैं. स्वतंत्रता सेनानी पी केलप्पन नायर और कल्याणी मोकेरी के घर जन्मे, उन्होंने अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसएफ) इकाई के सचिव के रूप में सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया.
मोकेरी ने 1987 से 2001 तक नादापुरम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में काम किया है और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव और सीपीआई के राष्ट्रीय नियंत्रण आयोग के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर भी रहे हैं. उन्हें कृषि मुद्दों पर उनकी वकालत और कृषि ऋण राहत आयोग सहित कई आयोगों में उनकी भागीदारी के लिए जाना जाता है. मोकेरी को प्रियंका गांधी को चुनौती देने की अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है, उन्होंने इंदिरा गांधी की हार सहित ऐतिहासिक चुनावी उथल-पुथल के साथ समानताएं बताई हैं.