MLA कौन होता है और एक विधायक के पास क्या पॉवर होती है? सबकुछ आसान भाषा में जानिए

आखिर ये MLA होते कौन हैं? इनका काम क्या होता है? इसके अलावा इनके पास कितनी शक्तियां होती है?
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प्रतीकात्मक तस्वीर

MLA: ‘चाचा विधायक हैं हमारे’, ये डायलॉग आपने बहुत सुना होगा. ये कई लोगों को बोलते हुए भी सुना होगा या फिर हो सकता है कभी आपने भी बोला होगा. इतना ही नहीं आपने विधायकों को ये भी कहते हुए सुना होगा कि तुम जानते हो मैं कौन हूं? विधायक हूं विधायक. आखिर ये विधायक होते कौन हैं? इनका काम क्या होता है? इसके अलावा इनके पास कितनी शक्तियां होती हैं? और इन्हें क्या सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं?

विधायक होते कौन हैं?

आसान भाषा में हम समझें तो जनता के प्रतिनिधि के रूप में चुनकर विधानसभा में जाने वाले व्यक्ति को विधायक कहते हैं. विधायकों के चयन के लिए हर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होते हैं. हर प्रदेश में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र की संख्या के हिसाब से विधायक चुनकर आते हैं. उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ में 90 और मध्य प्रदेश में 230 विधायक चुनकर आते हैं. इन्हीं विधायकों में से एक विधायक को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाता है. विधायकों को चुनने का काम उनके क्षेत्र की मतदाताओं की होती है, जो चुनाव के दौरान अपना मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि के तौर पर चुनते हैं.

विधायक का कार्यकाल पांच साल का होता है. मतलब हर पांच साल में चुनाव के माध्यम से नए विधायक का चयन होता है और यदि आवश्यकता हो तो राज्यपाल के द्वारा मुख्यमंत्री के अनुरोध पर उसे 5 साल से पहले भी पद से हटाया जा सकता है. यदि किसी क्षेत्र में आपातकाल की स्थिति हो, जहां चुनाव कराना संभव नहीं हो… उस स्थिति में विधायक का कार्यकाल महज 6 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है. लेकिन उसके बाद चुनाव कराना जरूरी होता है. विधायक पद के उम्मीदवारों की संख्या निश्चित नहीं होती, किसी भी क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, चाहे वो आम नागरिक हो या फिर किसी भी पार्टी का नेता. आम नागरिक निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं. 

MLA का काम क्या होता है?

वैसे तो मोटे तौर पर लोग जानते हैं कि एक विधायक का काम अपने क्षेत्र का विकास करना और लोगों की समस्याएं सुनकर उसका समाधान करना होता है. लेकिन इसके अलावा विधायक का प्राथमिक काम क़ानून प्रणाली को सुचारु रूप से चलाना होता है. विधायक का काम नए क़ानून बनाना और विभिन्न विषयों को अध्ययन करना है. इसके साथ ही विचार विमर्श करना और राज्य के लोगों के हित के लिए नए क़ानून बनाना भी विधायक का काम है. एक विधायक अपने क्षेत्र में हो रही गतिविधियों पर ध्यान रखता है और आम जनता को हो रही समस्या का समाधान भी करता है.

ये शक्तियां होती हैं विधायकों के पास

विधान शक्तियां: एक विधायक राज्य सूची और समवर्ती सूची पर अपनी विधान शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता हैं. संविधान के सातवीं अनुसूची( अनुच्छेद 246) में कहा गया है कि विधायकों के पास राज्य सूची और समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है. इन विषयों में पुलिस, जेल, सिंचाई, क़ृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, और वन आदि जैसे विषय शामिल हैं.

चुनावी शक्तियां: विधायक के पास एक चुनावी कॉलेज होता है जो देश के राष्ट्रपति का चुनाव करता है. साथ ही विधायक राज्यसभा के सांसदों का भी चयन करते हैं. विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी विधायकों द्वारा ही चुने जाते हैं. द्विपक्षीय विधायिका वाले राज्यों में विधान परिषद के सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य विधायकों द्वारा चुने जाते हैं.

संविधान और विविध शक्तियां: भारत के संविधान में कुछ हिस्सा जो संघीय प्रावधानों से संबंधित है, उसे विधानसभा के आधे सदस्यों द्वारा संशोधित किया जा सकता है. विधानसभा के सदस्य यानी विधायक सदन में विभिन्न समितियों का भी गठन करते हैं.

कार्यकारी शक्तियां: सभी राज्यों में विधायकों के पास कुछ कार्यकारी शक्तियां भी होती हैं. इन शक्तियों के द्वारा विधायक विधानसभा में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के निर्णयों को नियंत्रित करते हैं. जैसे विधायकों के पास शक्ति होती है- सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने लाने का. अगर प्रस्ताव बहुमत से पारित हो जाता है तो सरकार को इस्तीफा भी देना पड़ता है. 

वित्तीय शक्तियां: किसी भी राज्य सरकार को राजकीय कोष से होने वाली खर्च के लिए विधायकों से सहमति लेनी होती है. सभी अनुदान और टैक्स राइजिंग प्रस्तावों को विधायकों द्वारा राज्य के विकास के लिए कार्यान्वित करने के लिए अधिकृत किया जाना चाहिए.

विधायकों को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं

विधायकों की सैलरी की अगर बात करें तो ये राज्यों के हिसाब से अलग-अलग होता है. जैसे उदाहरण के तौर पर हम मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को ले सकते हैं. छत्तीसगढ़ में विधायकों को बेसिक सैलरी और भत्ता मिलाकर कुल 1.10 लाख रुपए मिलती हैं. वहीं मध्य प्रदेश में 2.10 लाख सैलरी विधायकों को मिलती है. राज्य के विधायकों की सैलरी का निर्धारण राज्य सरकार करती है. हालांकि इसे बढ़ाने के लिए विधानसभा से मंजूरी लेनी होती है. वेतन के अलावा विधायकों को अनेक तरह के भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं. इनमें राज्य की राजधानी में रहने के लिए आवास, दैनिक भत्ता, टेलीफोन भत्ता, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, अर्दली भत्ता, यात्रा भत्ता, रेल और राज्य सरकारी बस यात्रा में विशेष सुविधा और प्राथमिकता, वाहन भत्ता, निजी सचिव का प्रावधान और स्वास्थ्य सुविधा भी शामिल है.

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