Ratan Tata: रतन टाटा के 1 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का वारिस कौन? वसीयत में हुए ये बड़े खुलासे!
Ratan Tata: कई साल तक देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा का हाल में निधन हो गया. वह अपने पीछे करीब 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं. अपनी वसीयत लागू करने की जिम्मेदारी उन्होंने चार लोगों को दी है. वसीयत में उन्होंने अपने जर्मन शेफर्ड डॉग टीटो की ‘असीमित’ देखभाल सुनिश्चित करने के प्रावधान किए हैं. भारत में शायद पहला मौका है जब किसी उद्योगपति ने अपनी वसीयत में इस तरह का प्रावधान किया है. पश्चिमी देशों में पालतू जानवरों के लिए संपत्ति छोड़ना असामान्य नहीं है, लेकिन भारत में यह दुर्लभ है.
रतन टाटा ने अपनी संपत्ति मे अपने फाउंडेशन, भाई जिमी टाटा, सौतेली बहनों शिरीन और डिएना जीजीभॉय, हाउस स्टाफ और अन्य लोगों को भी हिस्सेदार बनाया है. टाटा की संपत्ति में अलीबाग में 2,000 वर्ग फुट बंगला, मुंबई के जुहू में दो मंजिला मकान, 350 करोड़ रुपये की एफडी और टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 0.83 फीसदी हिस्सेदारी शामिल है.
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वसीयत में किसका-किसका नाम शामिल?
बता दें कि टीटो को रतन टाटा ने पांच-छह साल पहले गोद लिया गया था. इसकी देखभाल की जिम्मेदारी उन्होंने अपने रसोइए राजन शॉ को दी है. वसीयत में उनके बटलर सुब्बैया के लिए भी प्रावधान शामिल हैं जो तीन दशक से रतन टाटा से जुड़े थे. माना जाता है कि रतन टाटा ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान शॉ और सुब्बैया के लिए डिजाइनर कपड़े भी खरीदे थे.
शांतनु नायडू के लिए टाटा ने छोड़ दी अपनी हिस्सेदारी
रतन टाटा के एग्जीक्यूटिव एसिसटेंट शांतनु नायडू का भी नाम वसीयत में है. टाटा ने नायडू के वेंचर गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी है. साथ ही उन्होंने नायडू के विदेश में शिक्षा के लिए लिए गए व्यक्तिगत ऋण को भी माफ कर दिया है. टाटा ग्रुप में चैरिटेबल ट्रस्ट्स के शेयरों को छोड़ने की परंपरा रही है. रतन टाटा ने भी इसका निर्वहन किया है. उनकी हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को हस्तांतरित की जाएगी. सूत्रों का कहना है कि टाटा संस के प्रमुख एन चंद्रशेखरन RTEF के चेयरमैन बन सकते हैं.
रतन टाटा कोलाबा के हेलकाई हाउस में रहते थे. इसका स्वामित्व टाटा संस की 100% सहायक कंपनी इवर्ट इन्वेस्टमेंट्स के पास है. इसका भविष्य इवर्ट तय करेगी. हेलकाई हाउस और अलीबाग बंगले को रतन टाटा ने डिजाइन किया था. हालांकि अलीबाग की प्रॉपर्टी के बारे में अभी मामला स्पष्ट नहीं है. जुहू हाउस एक चौथाई एकड़ में फैला है. यह रतन टाटा और उनके परिवार को विरासत में मिला था. सूत्रों का कहना है कि यह दो दशक से अधिक समय से बंद है और अब इसे बेचने की योजना है.
रतन टाटा के पास था 20-30 गाड़ियों का बेड़ा
टाटा संस के शेयरों के अलावा टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों में रतन टाटा की हिस्सेदारी भी आरटीईएफ को हस्तांतरित की जाएगी. साल 2022 में स्थापित, आरटीईएफ सेक्शन 8 कंपनी है जो गैर-लाभकारी कारणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. इसने 2023 में टाटा टेक्नोलॉजीज के आईपीओ से ठीक पहले टाटा मोटर्स से 147 करोड़ रुपये में टाटा टेक्नोलॉजीज के शेयर खरीदकर अपना पहला इक्विटी निवेश किया था. इसके बाद टाटा डिजिटल में मामूली हिस्सेदारी हासिल की.
रतन टाटा ने आरएनटी एसोसिएट्स और आरएनटी एडवाइजर्स के जरिए निवेश किया था. इस निवेश को बेच दिया जाएगा और इससे मिलने वाली रकम आरटीईएफ को दी जाएगी. रतन टाटा के पास करीब 20-30 गाड़ियों का बेड़ा था. इसमें कई लग्जरी मॉडल भी शामिल हैं. इन गाड़ियों को हेलकाई हाउस और कोलाबा में ताज वेलिंगटन म्यूज सर्विस अपार्टमेंट में रखा गया है. इस कलेक्शन पर अभी विचार किया जा रहा है. इन्हें टाटा ग्रुप खरीदकर पुणे म्यूजियम में रख सकता है या फिर इनकी नीलामी की जा सकती है.