Haryana CM: नायब सिंह सैनी को BJP ने क्यों बनाया हरियाणा का सीएम? लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी के फैसले के पीछे समझिए रणनीति
Haryana CM: लोकसभा चुनाव से पहले मंगलवार का दिन हरियाणा के लिए बहुत ही अहम रहा. दिन की शुरुआत होते ही राज्य के बीजेपी-जेजेपी गठबंधन में टूट की खबर आई. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूरी कैबिनेट के साथ राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया जिसके बाद से ही कई तरह की राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही थी. प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए कुछ नेताओं के नाम की चर्चा भी सुर्खियों में रहा. हालांकि, दोपहर तक बीजेपी नेतृत्व ने सभी अटकलों को किनारा करते हुए नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि चुनाव से ठीक पहले सीएम या अपना साथी बदलकर बीजेपी हरियाणा में क्या हासिल कर लेगी? हालांकि नायब सैनी के नाम की घोषणा होते ही स्पष्ट हो गया कि बीजेपी की आगामी चुनावों में क्या रणनीति होने वाली है.
जेजेपी से गठबंधन तोड़ना क्यों जरूरी
हरियाणा में जाट वोटों का बंटवारा होगा तभी बीजेपी को फायदा होगा. पिछले चुनावों में भी बीजेपी जाट वोटरों को नहीं लुभा पाई थी. जिसको देखते हुए बीजेपी ने एंटी जाट वोट के लिए अपने गणित पर काम कर रही है. हरियाणा का जाट समुदाय कांग्रेस के साथ हैं. कुछ वोट इनेलो भी ले जा सकती है. अगर जाट वोटों का एक और दावेदार आ जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी का काम आसान हो जाएगा.
एंटी जाट वोटों पर काम कर रही है बीजेपी
हरियाणा में जाट सुमदाय का प्रभाव काफी ज्यादा है. प्रदेश में जबसे बीजेपी सत्ता में है तब से खट्टर ही मुख्यमंत्री हैं. मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं. जाटों को ये बात सबसे ज्यादा खटकती है. साल 2017 में हुए जाट आंदोलन भी इसका ही परिणाम रहा. इस आंदोलन में सबसे ज्यादा जान और मान का नुकसान पंजाबियों और सैनियों को हुआ. इस बात को ध्यान में रखते हुए नायब सैनी को सीएम बनाकर बीजेपी हरियाणा के पंजाबी और बैकवर्ड वोट बैंक को लुभाने कि फिराक में है.
जाट समुदाय से डिप्टी सीएम
हरियाणा का जाट आरक्षण हो या महिला पहलवानों का मुद्दा राज्य के जाट समुदाय के मन में बीजेपी को लेकर बहुत नाराजगी है. ओमप्रकाश धनखड़ को हरियाणा बीजेपी के पद से हटाए जाने के बाद से ये नाराजगी और बढ़ चुकी है. जिसका काट बीजेपी ने ढूंढ़ निकाला है. अब नए सरकार में जाट समुदाय का कोई नेता उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल होगा. जिससे जाट समुदाय को साधा जा सके.
राज्य के जातिगत आंकड़े
हरियाणा की आबादी में जाटों की संख्या लगभग 23 प्रतिशत है और प्रभावी समुदाय होने के चलते राजनीतिक रूप से ये मजबूत हैं. राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर जाट वोटर्स का सीधा प्रभाव है. 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय ने बीजेपी को एकतरफा वोट दिया. लेकिन 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जाट वोटर्स बीजेपी से किनारा कर लिया. इसका नतीज ये रहा कि बीजेपी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए.