इस्लाम से नफरत, लड़कियों की तस्करी का आरोप…जर्मनी को दहलाने वाले तालेब ए की अंधेरी दुनिया!

जिस दिन यह घटना घटी, वह शुक्रवार का दिन था और शाम का समय था. तालेब ने एक बीएमडब्ल्यू कार किराए पर ली और उस कार को एक सटीक लक्ष्य के साथ बाजार में घुसा दिया. उसकी कार इतनी तेज़ रफ्तार से चल रही थी कि सड़क पर चलते हुए 68 लोग उसकी चपेट में आ गए.
Germany Car Attack

आरोपी तालेब ए


Germany Car Attack: जर्मनी में शुक्रवार शाम को एक तेज रफ्तार कार ने एक बाजार में घुसकर 68 लोगों को रौंद डाला. इस हमले में दो लोगों की जान भी चली गई. जब पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो कई अहम खुलासे हुए. यह खबर अब केवल जर्मनी में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सुर्खियों में आ गई. दरअसल, आरोपी कार के ड्राइवर का नाम तालेब ए है, जो सऊदी अरब का एक डॉक्टर है. अब सवाल यह उठता है कि एक डॉक्टर ने ऐसा क्यों किया? आइए, जानते हैं इस दिल दहला देने वाली घटना के पीछे की पूरी कहानी…

तालेब ए का अतीत

जांच में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक, तालेब ए का जन्म 1974 में सऊदी अरब के होफुफ शहर में हुआ था. एक शांतिपूर्ण परिवार में पले-बढ़े तालेब ने बचपन से ही शिक्षा में रुचि दिखाई थी और बाद में डॉक्टर भी बना. सऊदी अरब में जहां धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव है और केवल इस्लाम ही कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त धर्म है. तालेब को जल्दी ही एहसास हुआ कि उसके विचार और दृष्टिकोण यहां की मुख्यधारा से मेल नहीं खाते.

सऊदी अरब में इस्लाम के प्रति आलोचनात्मक विचार रखना एक गंभीर अपराध माना जाता है. तालेब ने इस दबाव को महसूस किया और 2006 में जर्मनी शिफ्ट हो गया. जर्मनी में वह न केवल अपने पेशेवर जीवन में आगे बढ़ा, बल्कि उसने अपनी विचारधारा को खुले तौर पर व्यक्त करना शुरू किया. तालेब ने एक वेबसाइट भी बनाई, जिसका उद्देश्य उन पूर्व मुसलमानों को सहारा देना था जो खाड़ी देशों से भागकर जर्मनी जैसे देशों में शरण लेना चाहते थे.

हमले के दिन की कहानी

जिस दिन यह घटना घटी, वह शुक्रवार का दिन था और शाम का समय था. तालेब ने एक बीएमडब्ल्यू कार किराए पर ली और उस कार को एक सटीक लक्ष्य के साथ बाजार में घुसा दिया. उसकी कार इतनी तेज़ रफ्तार से चल रही थी कि सड़क पर चलते हुए 68 लोग उसकी चपेट में आ गए. यह किसी फिल्मी कहानी जैसा था, जिसमें एक अकेला व्यक्ति न केवल अपनी जिंदगी से निराश होता है, बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी प्रभावित करता है. इस हमले में दो लोग मारे गए, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए. तालेब को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

तालेब ए का मानसिक हालात

जर्मनी पुलिस के मुताबकि, तालेब का जीवन जर्मनी में शुरुआती दिनों में ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे उसका मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी. वह न केवल सऊदी अरब के खिलाफ था, बल्कि उसे अपने जीवन में कभी भी मानसिक शांति का अनुभव नहीं हुआ. जर्मनी में रहते हुए वह अपनी नास्तिक विचारधारा को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं था. इस बात का खुलासा उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल से भी होता है, जिसमें उसने लिखा था कि सऊदी अरब में रहने के दौरान उसे अपनी राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं थी.

जर्मनी में तालेब ने एक नास्तिक वेबसाइट शुरू की, ताकि वे अपने धार्मिक विचारों से बाहर निकलकर एक नई शुरुआत कर सकें. हालांकि, सऊदी अरब ने तालेब पर आतंकवाद और अन्य गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन जर्मनी ने उसे शरण दी और उसे वापस सऊदी अरब भेजने से मना कर दिया. तालेब ए पर लड़कियों की तस्करी का आरोप भी लगा है.

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जर्मन पुलिस का बयान

जर्मन पुलिस ने इस हमले के बाद तालेब को जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार, यह हमला अकेले तालेब ने किया था और फिलहाल इस मामले में किसी और के शामिल होने की आशंका नहीं है. जर्मनी के प्रधानमंत्री हेसलॉफ ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि हमलावर को पकड़ लिया गया है, और अब कोई और खतरा नहीं है.

जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक-वॉल्टर स्टीनमायर ने भी इस घटना पर दुख जताया और कहा कि यह एक शांतिपूर्ण क्रिसमस के मौके पर हुआ. चांसलर ओलाफ शोल्ज ने हमले की निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की.

इस घटना का राजनीतिक पहलू

तालेब के हमले के बाद यह भी सामने आया कि वह जर्मनी के दक्षिणपंथी राजनीतिक दल ‘आल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ (AFD) का समर्थक था. यह दल आप्रवासन विरोधी विचारधारा का पक्षधर है. तालेब ने AFD के विचारों का समर्थन करते हुए अपनी वेबसाइट पर कई बार उनकी बातों को प्रचारित किया था.

हालांकि तालेब की गिरफ्तारी के बाद जर्मन अधिकारियों ने यह कहा कि इस हमले में कोई और व्यक्ति शामिल नहीं था, लेकिन यह सवाल फिर भी उठता है कि एक व्यक्ति, जो पहले से ही मानसिक दबाव का सामना कर रहा था, वह इस तरह की हिंसा को अंजाम देने के लिए किस हद तक प्रेरित हुआ. क्या उसने इसे अकेले ही अंजाम दिया या फिर एक बड़ा नेटवर्क इसके पीछे छिपा हुआ है?


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