ट्रंप के लौटने से पहले, 10 अमेरिकी राष्ट्रपति का क्या था रुख? जानिए भारत और अमेरिका के रिश्तों की पूरी कहानी!

10 अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. शुरुआत में भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे, लेकिन समय के साथ दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए, खासकर सामरिक और आर्थिक सहयोग के मामलों में.
पूर्व के अमेरिकी राष्ट्रपति

पूर्व के अमेरिकी राष्ट्रपति

India US Relation: अमेरिका में एक बार फिर वही नाम गूंजने वाला है – डोनाल्ड ट्रंप. 20 जनवरी को ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं. ट्रंप की वापसी के साथ ही ये सवाल हर किसी के ज़हन में है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में क्या बदलावा आएगा? क्या उनके दूसरे कार्यकाल में दोनों देशों के बीच सहयोग और दोस्ती की नई राहें खुलेंगी, या पुराने विवाद फिर से उठेंगे?

अगर हम अमेरिका के पिछले 10 राष्ट्रपतियों की नीतियों पर गौर करें, तो भारत के साथ उनके रिश्तों का रास्ता अलग-अलग दौरों से गुज़रा है. कुछ ने भारत को अपने रणनीतिक साथी के तौर पर देखा, तो कुछ ने इसे सिर्फ एक आर्थिक साझेदार माना. अब ट्रंप के लौटने से पहले, आइए एक नज़र डालते हैं कि बीते दशक में अमेरिका के प्रत्येक राष्ट्रपति ने भारत के साथ रिश्ते कैसे बनाए और चलाए.

रिचर्ड निक्सन (1969-1974) – पाकिस्तान के प्रति झुकाव

रिचर्ड निक्सन के समय में भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी तनावपूर्ण थे. उन्होंने पाकिस्तान के साथ मजबूत रिश्ते बनाए और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत को धमकाने के लिए अमेरिकी नौसेना को बंगाल की खाड़ी में भेजा. इसके अलावा, भारत के परमाणु परीक्षण (1974) के बाद निक्सन ने भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे और भारतीय नेताओं के खिलाफ आलोचना की थी.

जिमी कार्टर (1977-1981): रिश्ते में सुधार की शुरुआत

जिमी कार्टर के राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका और भारत के रिश्ते में कुछ सुधार हुआ. उन्होंने भारत का दौरा किया और 1971 के युद्ध और परमाणु परीक्षण से बिगड़े रिश्तों को सुधारने की कोशिश की. हालांकि, रूस के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी कार्टर को खटकती रही, लेकिन फिर भी उन्होंने आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर ध्यान दिया.

रोनाल्ड रीगन (1981-1989) – तकनीकी सहयोग को मिला बढ़ावा

रीगन के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते में हल्का सुधार हुआ. दोनों देशों ने तकनीकी और सूचना क्षेत्र में सहयोग किया. 1982 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका का दौरा किया और उनकी बैठक ने परमाणु ऊर्जा विवादों को सुलझाने में मदद की.

जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश (1989-1993) – शांति की कोशिश

जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने भारत के साथ संबंधों को सम्मानजनक बनाए रखा. उनके कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति की दिशा में कदम उठाए गए. 1990 में भारत और अमेरिका के बीच डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट (DTAA) पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे व्यापारिक सहयोग बढ़ा.

बिल क्लिंटन (1993-2001) आर्थिक रिश्तों में आई मजबूती

क्लिंटन के समय में भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हुए, लेकिन 1998 में भारत में परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद अमेरिका ने भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाए. हालांकि, 1999 के करगिल युद्ध के दौरान, क्लिंटन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक पाकिस्तानी सेना पीछे नहीं हटेगी, अमेरिका मदद नहीं करेगा.

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जॉर्ज डब्ल्यू. बुश (2001-2009) – नए रिश्तों की शुरुआत

जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नई दिशा देखने को मिली. भारत-अमेरिका परमाणु समझौते ने भारत को बिना एनपीटी (Non-Proliferation Treaty) पर हस्ताक्षर किए वाणिज्यिक परमाणु कार्यक्रम चलाने की अनुमति दी. इसके अलावा, रक्षा समझौतों को आगे बढ़ाया गया और दोनों देशों के बीच संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शुरू हुए.

बराक ओबामा (2009-2017) – रणनीतिक साझेदारी

बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नई ऊंचाई आई. ओबामा ने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा दिया और 2010 में भारत दौरे के दौरान भारतीय संसद को संबोधित किया. उन्होंने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया, जो भारत के लिए बहुत अहम था.

डोनाल्ड ट्रंप (2017-2021) – साझेदारी और विवाद

ट्रंप के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते मजबूत हुए, खासकर सामरिक मामलों में. ट्रंप ने भारत को क्वाड (QUAD) का हिस्सा बनाया, जो भारत के लिए एक अहम सामरिक साझेदारी थी. हालांकि, आर्थिक मुद्दों पर तनाव था, जैसे एच1बी वीजा पर सख्ती और 2018 में स्टील और एल्युमिनियम पर भारी टैरिफ लगाना. इसके बावजूद, दोनों देशों के नेताओं के बीच व्यक्तिगत रिश्ते मजबूत हुए और ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे कार्यक्रमों ने यह दिखाया.

जो बाइडेन (2021-2025) – नई तकनीकी और रक्षा साझेदारी

जो बाइडेन के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचे. बाइडेन ने भारत के साथ कई अहम साझेदारियां की, जैसे जेट इंजन निर्माण, चिप मैन्युफैक्चरिंग, और अंतरिक्ष अनुसंधान. इसके अलावा, बाइडेन ने तीन प्रमुख भारतीय परमाणु संस्थाओं (BARC, IGCAR, IREL) पर से अमेरिकी प्रतिबंध हटाए, जिससे परमाणु तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिला.

इन 10 अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं. शुरुआत में भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे, लेकिन समय के साथ दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए, खासकर सामरिक और आर्थिक सहयोग के मामलों में. अब जब डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन रहे हैं, तो यह देखना होगा कि उनके दूसरे कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में जाएंगे.

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