बारिश के मौसम में बढ़ी सर्पदंश की घटनाएं, भारत में हर साल 50 हजार मौतें, जानें कैसे कर सकते हैं बचाव
बरसात के मौसम में बिलों में पानी भरने और तापमान में होने वाले परिवर्तन के कारण सांप जैसे जीव अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और खुद के लिए सुरक्षित स्थान तलाशते हुए लोगों के घरों में घुस जाते हैं. यही कारण है कि बारिश के मौसम में सांप काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. जो लोग वनांचल, ग्रामीण, पहाड़ी या शहरी इलाकों में ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं, उन्हें सर्पदंश का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. सर्पदंश की स्थिति में तत्काल इलाज की जरूरत होती है. इसमें जरा सी भी देरी जानलेवा हो सकती है.
हाल ही में संसद में सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हर साल देश में 30 से 40 लाख लोगों को सांप काटते हैं, जिसमें से 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. इसके अलावा सर्पदंश के बहुत से मामले रिपोर्ट ही नहीं किए जाते हैं. सांप के काटने की घटनाएं गांवों में ज्यादा होती हैं. तो आइए जानते हैं कि सांप काटने की घटनाओं से कैसे बच सकते हैं? साथ ही जानेंगे कि बरसात के मौसम में किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए?
भारत में सबसे ज्यादा कौन से सांप के काटने के मामले होते हैं?
करैत
इंडियन कोबरा
रसेल वाइपर
सॉ स्केल्ड वाइपर
सर्प विशेषज्ञ लखन लाल मालवीय बताते हैं कि दुनिया भर में सांपों की 3 हजार के करीब प्रजातियां हैं. इसमें से 725 प्रजातियां विषैली हैं. इन 725 विषैली प्रजातियों के सांपों में भी 250 प्रजातियों के सांप ऐसे होते हैं, जिनके काटने से व्यक्ति की कुछ ही देर में मौत हो सकती है. भारत में करीब 300 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं. इनमें करीब 25 प्रतिशत सांप ही हैं, जो विषैले होते हैं.
कैसे कर सकते हैं सांप के काटने की पहचान?
इंदौर कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर में सेवा दे रहीं डॉक्टर त्रिशला सिंघवी ने बताया कि आमतौर पर सांपों के जहर को दो भागों में बांटा जाता है. न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक. न्यूरोटॉक्सिक जहर हमारे मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. नर्वस सिस्टम ही हमारे शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है, जिसमें चलना, बोलना और अन्य गतिविधियां शामिल हैं.
जबकि हीमोटॉक्सिक जहर ब्लड और हार्ट से जुड़े शरीर के क्रियाकलापों को प्रभावित करता है. इसमें शरीर के पीड़ित के खून बहता है. कोबरा और करैत जैसे सांपों में न्यूरोटॉक्सिक जहर ही होता है. हर एक सांप के डसने या काटने के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं.
सांप के काटने पर फर्स्ट एड के तौर पर क्या करना चाहिए?
सांप के काटने पर फर्स्ट एड के तौर पर यह उपाय अपना सकते हैं. जैसे कि-
- पीड़ित को सीधा लिटाकर रखना चाहिए क्योंकि शरीर में हलचल होने से जहर फैल सकता है.
- सांप के काटने पर जहर तुरंत शरीर में नहीं फैलता है. इसका मेडिकल ट्रीटमेंट संभव है. इसलिए पीड़ित व्यक्ति को ढांढस बंधाएं.
- पीड़ित के शरीर से आभूषण जैसे अंगूठी, पायल, चेन, कड़ा, कंगन, घड़ी या जूता-चप्पल सभी चीजें उतार दें.
- कोशिश करते रहें कि पीड़ित व्यक्ति बेहोश न हो.
- अगर सांप ने पीड़ित के हाथ में काटा है तो उसे नीचे की ओर लटकाकर रखें. ऐसा करने से जहर दिल तक पहुंचने में वक्त लगेगा.
- अगर सांप ने व्यक्ति के पैर में काटा है तो पलंग से पैर को नीचे की तरफ लटका दें.
- जिस अंग में सांप ने काटा है, उसे हिलने-डुलने या चलने-फिरने न दें क्योंकि वह अंग जितना मूवमेंट करेगा, जहर उतना ही शरीर में फैलेगा.
- सांप के काटने वाली जगह को साबुन और साफ पानी से धुल दें.
- सांप काटने के बाद पीड़ित को जितना जल्दी हो सके, मेडिकल ट्रीटमेंट मिलना चाहिए.
- मरीज को तत्काल नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल लेकर जाने की कोशिश करें.
सर्पदंश का इलाज क्या है?
डॉ. त्रिशला सिंघवी बताती हैं कि सर्पदंश का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित को किस सांप ने काटा है. अगर सांप को किसी ने नहीं देखा है तो यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि सांप किस प्रजाति का है. ऐसे में इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है. ऐसे अधिकांश मामलों में डॉक्टर्स सांप के काटने के निशान और पीड़ित के लक्षणों पर ध्यान देते हैं.