Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव सिर पर, नामों को लेकर अभी भी सस्पेंस में सपा! जानिए आखिर क्यों अखिलेश यादव बार-बार बदल रहे हैं प्रत्याशी

Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) ने 7 सीटों के ल‍िए 16 प्रत्याशियों तक का ऐलान कर दिया है. वहीं इनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर सपा प्रत्याशी दो बार बदले जा चुके हैं.
Akhilesh Yadav, Lok Sabha Election

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा के मद्देनजर देश में सियासत उबाल पर है. वहीं उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) 80 लोकसभा सीटों में से अब तक 46 उम्मीदवार मैदान में उतार चुके हैं. 16 सीटों पर अभी उन्हें अपने प्रत्याशियों का ऐलान करना है. इस बीच सपा 7 सीटों के ल‍िए 16 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है. वहीं इनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर प्रत्याशी दो बार बदले जा चुके हैं. ऐसे में सपा की ओर से बार-बार प्रत्याशियों को बदलने पर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

2022 में अखिलेश ने बनाया था मजबूत गठबंधन

दरअसल, 2022 यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी से लड़ने के लिए ओम प्रकाश राजभर की SBSP, जयंत चौधरी की RLD, केशव देव मौर्य के महान दल समेत तमाम छोटे दलों को साथ लेकर एक मजबूत गठबंधन तैयार किया था. इससे उन्हें 2017 विधानसभा में 47 सीटों के मुकाबले 111 सीटों पर जीत मिली थी. अब स्थिति बदल गई है. RLD, SBSP और अपना दल कमेरावादी ने सपा का साथ छोड़ दिया है.

दोनों ही चुनाव में दिख सकता है असर

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो स्थानीय नेताओं की नाराजगी और गठबंधन टूटना भी प्रत्याशियों को बार-बार बदलने का महत्वपूर्ण कारण है. ऐसे में देखा जाए तो अखिलेश के सामने लोकसभा के साथ-साथ 2027 का विधानसभा चुनाव भी बड़ी चुनौती है. इस बीच अखिलेश का बार-बार प्रत्याशियों को बदलने का प्रयोग ठीक नहीं रहा तो, दोनों ही चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है.

प्रत्याशी बदलने का हालिया मामला मेरठ सीट का

प्रत्याशी बदलने का हालिया मामला मेरठ सीट का है. इस सीट पर सपा ने एक बार फिर अपने प्रत्याशी को बदला है. इससे पहले एडवोकेट भानु प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया था. इस दौरान मेरठ के सरधना से विधायक अतुल प्रधान पार्टी के इस फैसले से नाराज हैं तो अतुल प्रधान को टिकट दे दिया गया. बाद में अतुल प्रधान का भी टिकट काटकर सुनीता वर्मा को दे दिया गया. अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर अतुल प्रधान के समर्थकों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. अतुल प्रधान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के बड़े चेहरे माने जाते हैं. मेरठ के साथ ही सपा ने अब तक बदायूं, बागपत, मुरादाबाद, मिश्रिख, गौतम बुद्ध नगर और बिजनौर में इस तरह के हालात का सामना कर चुकी है.

बदायूं से चाचा चाहते हैं बेटे को मिले टिकट

बदायूं लोकसभा सीट पर सबसे पहले पार्टी ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया था. बाद में चाचा शिवपाल यादव को टिकट दे दिया गया. अब शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव(Aditya Yadav) को बदायूं से चुनाव लड़ाना चाहते हैं. इसी तरह मिश्रिख सीट पर भी सपा ने दो बार प्रत्याशियों को बदल दिया है. सपा ने सबसे पहले पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी को टिकट दिया. इसके बाद उनके बेटे मनोज राजवंशी को प्रत्याशी बनाया गया. एक बार फिर से बदलाव करते हुए पार्टी ने मनोज राजवंशी की पत्नी संगीता राजवंशी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

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रामपुर में सपा समर्थकों ने किया था बहिष्कार

रामपुर में सपा समर्थकों का अलग ही रूप देखने को मिला था. स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर अखिलेश के इस सीट से न लड़ने पर चुनाव के बहिष्कार का ऐलान तक कर दिया था. बाद में दिग्गज नेता आजम खान के करीबी आसिम राजा ने अपना नामांकन किया और खुद को सपा उम्मीदवार बताया, लेकिन उनके पास पार्टी का सिंबल नहीं था और उनका नामांकन रद्द हो गया. बाद में अखिलेश ने मोहिबुल्लाह नदवी को चुनाव मैदान में उतारा.

मुरादाबाद में एसटी हसन की जगह रुचि वीरा का नाम

पार्टी को सबसे खराब हालात तो मुरादाबाद में देखने को मिला. मुरादाबाद में पहले मौजूदा सांसद एसटी हसन को चुनावी मैदान में उतारा है. इसके कुछ देर बाद ही बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा को टिकट थमा दिया गया. पार्टी के इस फैसले से नाराज होकर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने रुचि वीरा का प्रचार न करने का ऐलान कर दिया. खुद सांसद एसटी हसन ने भी रुचि वीरा के लिए प्रचार करने से मना कर दिया है.

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बागपत, गौतम बुद्ध, बिजनौर में भी दिखा कंफ्यूजन

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में भी सपा का कंफ्यूजन देखने को मिला.पहले सपा ने पहले मनोज चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में अमरपाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया. ऐसा ही मामला गौतम बुद्ध नगर में भी दिखा. इस सीट पर पहले डॉ. महेंद्र नागर को उम्मीदवार बनाया गया, बाद में युवा कार्यकर्ता राहुल अवाना को प्रत्याशी घोषित किया गया. इसके बाद फिर से बदलाव करते हुए डॉ. महेंद्र नागर को एक बार फिर से प्रत्याशी बना दिया गया. बिजनौर सीट पर भी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. यहां से पहले यशवीर सिंह को टिकट मिला, लेकिन बाद में नूरपुर के सपा विधायक राम अवतार सैनी के बेटे दीपक सैनी को पार्टी में चुनावी मैदान में उतार दिया.

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