Lok Sabha Election: ‘2024 तो सिर्फ झांकी, 2047 की तैयारी’, BJP का दावा, कांग्रेस के सामने यक्ष प्रश्न- कब बहुरेंगे दिन?

Lok sabha Election 2024: भाजपा नेता तो यह भी कहते हैं कि हम तो 2047 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. 2024 का चुनाव तो सिर्फ एक झांकी है.
Chhattisgarh News

बीजेपी-कांग्रेस(फाइल फोटो)

Lok Sabha Election 2024: भारत अपनी लोकतंत्र की खूबसूरती और मिश्रित सभ्यता के कारण वैश्विक पटल पर अलग पहचान रखता है. यह समय-समय पर देखने को भी मिलता है .लोकतंत्र के उच्च सदन लोकसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने तारीखें भी घोषित कर दी हैं. इस महायज्ञ का सारथी बनने की ललक सिर्फ तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बनाने में भाजपा के अंदर ही दिखाई दे रही है. बाकी विपक्षी दल अब तक मैदान में उतरने का वार्मअप तक करते दिखाई नहीं दे रहे हैं. ऐसा लगता है मानो कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल भाजपा और एनडीए गठबंधन के नारे और संकल्प ‘इस बार 400 पार’ को वॉकओवर दे चुके हैं.

पार्टी के बड़े नेता बने रहे वटवृक्ष

लंबे समय से देश की राजनीतिक विरासत को चलाने वाली कांग्रेस के ऐसे दिन आएंगे भरोसा नहीं होता. कांग्रेस की इस दशा का जिम्मेदार कोई और नहीं कांग्रेस स्वयं है. पार्टी के बड़े नेता वटवृक्ष बने रहे और अपने नीचे किसी को पनपने ही नहीं दिया. परिवारवाद से कभी बाहर ही नहीं आए और पार्टी और कार्यकर्ताओं के भविष्य की चिंता ही नहीं की. ऐसे में बूंद-बूंद कर कांग्रेस विचारधारा से प्रेरित लोगों का सब्र टूटता रहा तो दूसरी पार्टियों पर लोगों का विश्वास बनता चला गया.

जनसंघ की तर्ज पर BJP ने बनाई पैठ

जनसंघ की तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी ने जनता के बीच अपनी पैठ बनाई और कांग्रेस की कमजोर नस को पकड़ लिया. अब आज देश सहित विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गई. आज अपने काम, संगठन और विचारधारा के दम पर देश की 543 लोकसभा सीटों में अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 400 पार का दावा भी ठोक रही है. चुनाव में जनता की आखिरी मुहर लगने के बाद नतीजों के साथ यह भी तय हो जाएगा कि भाजपा के दावे में कितना दम था .

विपक्षी दल पड़े हैं शिथिल

इतना ही नहीं भाजपा नेता तो भरे मुंह यह भी कहते हैं कि हम तो 2047 लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. 2024 का चुनाव तो सिर्फ एक झांकी है. विपक्षी दल जहां चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भी शिथिल पड़े हुए हैं, तो वहीं भाजपा प्रत्याशियों के नाम के ऐलान के बाद प्रचार-प्रसार में कहीं आगे निकल चुकी हैं. मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस का कुनबा ही भाजपा की तरफ खिसकता जा रहा है. कांग्रेस के सहयोगी दलों में भी खींचतान मची हुई है. कांग्रेस ने प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से दस पर ही अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है. एक सीट समझौते में समाजवादी पार्टी को दी है. शेष बची 18 सीटों पर अभी भी जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवारों की दरकार है.

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चुनाव में कौन करेगा अश्वमेध यज्ञ

आलम यह है कि पार्टी के जिन लोगों ने कांग्रेस के अच्छे दिनों में मलाई मारी, अब वह चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं.यह वही नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस में न नए बीज रोपे न नए पौध लगने दिए. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे बड़े चेहरे और भाजपा के कामों की लहर के सामने कोई नेता टिकने को तैयार ही नहीं है. ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि क्या लोकतंत्र के इस चुनावी मैदान में बिना लड़े ही भाजपा अश्वमेध यज्ञ करेगी या कुछ लड़ाई रोचक देखने को मिलेगी और क्या कांग्रेस के दिन बहुरेंगे?

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