INDI गठबंधन की मेगा रैली और AAP का दांव… पीएम पद के उम्मीदवार की रेस में आगे निकले Arvind Kejriwal!

बिजली, पानी, स्कूल, मोहल्ला क्लिनिक... ये सारी बातें दिल्ली के लोगों और आम आदमी पार्टी के लिए नई नहीं थीं. लेकिन जिस अंदाज में सुनीता केजरीवाल के जरिए AAP ने अपने एजेंडे पर मुहर लगवा ली, उसके सियासी मायने जरूर निकाले जाने लगे हैं.
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इंडी अलायंस

Arvind Kejriwal: दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को विपक्षी गठबंधन INDI की मेगा रैली हुई. लोकसभा चुनाव 2024 के महासमर में वैसे तो ये रैली चुनावी ही कही जाएगी, लेकिन इस ‘लोकतंत्र बचाओ’ रैली के आयोजन के पीछे वजह थे दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी की कस्टडी में चल रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. दिल्ली के सीएम की गिरफ्तारी के बाद से तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने एक सुर में उनके खिलाफ ईडी के एक्शन की न केवल आलोचना की है बल्कि प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई को मोदी सरकार के इशारों पर विपक्ष को दबाने की कार्रवाई बताया है, इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है. भले ही पिछले दिनों इंडी गठबंधन के घटक दलों में सीट शेयरिंग से लेकर कई मुद्दों पर असहमति दिखाई दे रही थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने उन्हें एक बार फिर एक मंच पर ला खड़ा किया.

हालांकि, इस रैली के सियासी फायदे की बात करें तो जरूर इसमें आम आदमी पार्टी को गठबंधन के अन्य दलों के मुकाबले बढ़त मिलती दिखाई दे रही है और इसके पीछे भी एक बार फिर वजह हैं पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल. दरअसल, जब भी इंडी गठबंधन के पीएम पद के उम्मीदवार को लेकर सवाल उठे हैं, आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल का नाम आगे किया है. आम आदमी पार्टी शुरू से ही कहती रही है कि पीएम मोदी और बीजेपी को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वह उनकी ही पार्टी और उनके नेता अरविंद केजरीवाल दे सकते हैं. इसके पीछे पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव की जीत से लेकर पिछले साल एमसीडी में जीत का हवाला भी देती है, जहां कभी बीजेपी का एकछत्र राज्य चला करता था. वहीं अब आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी डर गई है और इसलिए अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है.

लेकिन, ये अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल को कभी गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों ने उतनी तवज्जो नहीं दी, जितनी आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी. लेकिन अब बदले हालात में आम आदमी पार्टी के एक कदम के कारण अटकलों का बाजार गर्म है कि क्या अरविंद केजरीवाल इंडी गठबंधन के पीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं? ये चर्चा महज इसलिए नहीं हो रही है कि केजरीवाल के समर्थन में तमाम नेता जुटे थे.

अरविंद केजरीवाल की 6 गारंटियां

दरअसल, रामलीला मैदान की मेगा रैली में सुनीता केजरीवाल ने अरविंद केजरीवाल का एक संदेश पढ़ा. इस दौरान सुनीता केजरीवाल ने अरविंद केजरीवाल को शेर बताया और कहा कि उनको लंबे समय तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है. केजरीवाल के इस संदेश में 6 गारंटियां भी थीं, जिनका ऐलान सुनीता केजरीवाल ने किया. ये गारंटियां निर्बाध बिजली आपूर्ति, गरीबों के लिए मुफ्त बिजली, सरकारी स्कूल, मोहल्ला क्लीनिक और मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा थीं.

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बिजली, पानी, स्कूल, मोहल्ला क्लिनिक… ये सारी बातें दिल्ली के लोगों और आम आदमी पार्टी के लिए नई नहीं थीं. लेकिन जिस अंदाज में सुनीता केजरीवाल के जरिए AAP ने अपने एजेंडे पर मुहर लगवा ली, उसके सियासी मायने जरूर निकाले जाने लगे हैं.

केजरीवाल के एजेंडे को सहमति!

केजरीवाल का संदेश पढ़ते हुए सुनीता केजरीवाल ने कहा, ‘गठबंधन के साथियों से माफी मांगता हूं क्योंकि मैंने ये ऐलान करने से पहले उनकी अनुमति नहीं मांगी, सहमति नहीं ली. जेल में हूं इसलिए यह संभव नहीं था और उम्मीद करता हूं कि किसी को आपत्ति नहीं होगी. ये सभी 6 गारंटियां 5 साल में पूरा करेंगे. पैसा कहां से आएगा, ये मैंने पूरी प्लानिंग कर ली है.’ यानी कहें तो केजरीवाल ने जेल में रहकर इंडी गठबंधन के सारे साथियों की सहमति ले ली, जिस पर शायद जेल से बाहर रहने के दौरान या गठबंधन की मीटिंग के दौरान सहमति बन पाना मुश्किल होता.

मौन सहमति के पीछे मजबूरी भी!

एक तो केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में रैली… दूसरी तरफ, पहली बार राजनीतिक मंच से पत्नी सुनीता केजरीवाल का भावुक करने वाला भाषण… इन सबके बीच जिस कांग्रेस पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के पोस्टर रहते मंच पर आने तक से कतरा रहे थे, वे भी अरविंद केजरीवाल की 6 गारंटियों पर मौन सहमति जताने पर मजबूर थे. ये कहना गलत नहीं होगा कि खचाखच भरे रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में आम आदमी पार्टी के समर्थकों की मौजूदगी, ‘अरविंद केजरीवाल जिंदाबाद’ के नारे, केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में इंडी गठबंधन के तमाम दलों के शीर्ष नेताओं की एक मंच पर मौजूदगी ने AAP के राष्ट्रीय संयोजक का कद उनके सहयोगियों की तुलना में जरूर बढ़ा दिया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या चुनाव प्रचार के आगे बढ़ने के साथ इंडी गठबंधन के तमाम दल केजरीवाल के नाम पर सहमत होंगे और बीजेपी के खिलाफ चुनावी समर में उतरेंगे.

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