Lok Sabha Election: मतदान के बीच EC को नहीं देना होगा वोटिंग का आंकड़ा, SC ने चुनाव आयोग को दी राहत

Supreme Court: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और महुआ मोइत्रा की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की.
Supreme Court on Election Commission

भारतीय निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के वोटिंग खत्म होने के बाद 48 घंटे के भीतर वोटिंग का डाटा सार्वजनिक करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की. कोर्ट ने फिलहाल इस याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया है. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस चरण में हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा है और कहा कि चुनाव के बाद उचित बेंच इसपर सुनवाई करेगा. जस्टिस दत्ता ने कहा हम चुनाव में बाधा नहीं डाल सकते. हम भी जिम्मेदार नागरिक हैं और हमें संयमित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और महुआ मोइत्रा की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल हलफनामे में चुनाव आयोग ने 48 घंटे के भीतर वोट प्रतिशत सार्वजनिक किए जाने की मांग का विरोध किया है. चुनाव आयोग ने फॉर्म 17C को सार्वजनिक किए जाने की याचिकाकर्ता की मांग का विरोध किया.

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“17C का सार्वजनिक खुलासा करना ठीक नहीं”

चुनाव आयोग ने कहा कि नियमों के अनुसार फॉर्म 17C केवल मतदान एजेंट को ही दिया जाना चाहिए. नियम किसी भी अन्य व्यक्ति या संस्था को फॉर्म 17C देने की अनुमति नहीं देते. नियमों के मुताबिक फॉर्म 17C का सार्वजनिक रूप से खुलासा करना ठीक नहीं है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फॉर्म 17सी (मतदान का रिकॉर्ड) को वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है. इसमें छेड़छाड़ की संभावना है, जिससे जनता के बीच अविश्वास पैदा हो सकता है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा सवाल 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा 2019 और 2024 की अर्जियों में क्या नेकसस है. ⁠आपने अलग से याचिका क्यों दाखिल नहीं की. ⁠आपने अतंरिम राहत क्यों मांगी. ⁠आपके लिए हमारे पास बहुत सवाल हैं. आप 2019 से क्या कर रहे थे. जाहिर है दो साल कोविड की बात करेंगे. ⁠आप इसे लेकर मार्च में क्यों नहीं आए.आप अप्रैल में भी इस मुद्दे को लेकर नहीं आए.

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