Lok Sabha Election: बस्तर में बीजेपी-कांग्रेस के बीच होगी कांटे की टक्कर! विधानसभा चुनाव के ट्रेंड से मिल रहे संकेत, जानें क्या है पूरा समीकरण

Lok Sabha Election: विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों को बस्तर में चार लाख से ज्यादा वोट मिले थे. अगर यही ट्रेंड लोकसभा में भी रहा तो मुकाबला टक्कर का रहेगा. दोनों ही पार्टी के लिए बस्तर लोकसभा सीट चुनौती रहेगी.
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Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनावी सरगर्मियां तेज हैं. 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है. इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने भी पूरी तैयारी कर ली है. चुनाव के पहले चरण में छत्तीसगढ़ के बस्तर लोकसभा क्षेत्र में वोट डाले जाएंगे. बस्तर सीट छत्तीसगढ़ के हाई प्रोफाइल सीट में से एक है. बस्तर में सीधे तौर पर भाजपा बनाम कांग्रेस की लड़ाई है. बस्तर से भाजपा ने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा को अपना उम्मीदवार बनाया है. दोनों ही पार्टी के नेताओं ने बस्तर क्षेत्र में जमकर प्रचार-प्रसार किया है. कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही पार्टी के शीर्ष नेताओं तक ने बस्तर की जनता को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा है.

बस्तर लोकसभा क्षेत्र का समीकरण

छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट काफी चर्चित सीट है. यह लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है. बस्तर लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकूट, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन आठ विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर भाजपा का कब्जा है, वहीं तीन सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की हुई है. बस्तर लोकसभा क्षेत्र में करीब 22 लाख की आबादी रहती है. इस बार बस्तर लोकसभा सीट से भाजपा ने महेश कश्यप को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने सात बार के विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा पर भरोसा जताया है. इसके अलावा कुछ अन्य उम्मीदवार भी इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इन नेताओं में सलवा जुडूम नेता चिन्ना राम गोटा के बेटे प्रकाश कुमार गोटा का नाम भी शामिल हैं.

महेश कश्यप बनाम कवासी लखमा

भाजपा ने चौंकाते हुए लोकसभा चुनाव के लिए बस्तर से महेश कश्यप को टिकट दिया है. महेश कश्यप बहुत कम प्रोफाइल रखते हैं. महेश कश्यप सरपंच संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. साथ ही महेश कश्यप अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद और बजरंग दल में भी सक्रिय रह चुके हैं. हिंदुत्व के नेता की छवि होना उनके टिकट के लिए महत्वपूर्ण कारण बनी. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के लिए भी महेश कश्यप दावेदारी ठोक रहे थे हालांकि उन्हें टिकट नहीं दी गई. कवासी लखमा की तुलना में महेश कश्यप के पास राजनीतिक अनुभव कम है.

कवासी लखमा वर्तमान में बस्तर लोकसभा क्षेत्र के कोंटा विधानसभा सीट से विधायक हैं. कवासी लखमा लगातार सातवीं बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी सोयम मुका को हराया था. कवासी लखमा अपने मुखर अंदाज के लिए जाने जाते हैं. आदिवासियों में कवासी लखमा की अच्छी पैठ मानी जाती है. 2018 में विधायक बनने के बाद उन्हें भूपेश सरकार में आबकारी मंत्री बनाया गया था. 2023 विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के अधिकतर मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था वहीं कवासी लखमा अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे. यही वजह है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें बस्तर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. कवासी लखमा का सीधा मुकाबला भाजपा के महेश कश्यप से है.

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बस्तर लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे

बस्तर लोकसभा क्षेत्र का मुख्य मुद्दा नक्सलवाद है. आज भी बस्तर में नक्सलवाद खत्म नहीं हुआ है. बस्तर में आए दिन नक्सली हमले देखने को मिलते हैं. साथ ही आज भी बस्तर के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है. सड़क पानी बिजली की समस्याएं यहां आम है. हालांकि लगातार सरकार द्वारा बस्तर के सुदूर अंचल तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने के लिए कोशिश जारी है. इस क्षेत्र में लोगों तक शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाना जनप्रतिनिधियों के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि अधिकतर क्षेत्रों में नक्सलियों का दबदबा है. हालत क्या पहले से कुछ सुधार हुआ है लेकिन फिर भी बस्तर लोकसभा क्षेत्र का कई हिस्सा नक्सलियों का डांस झेल रहा है. यहां रहने वाले ग्रामीणों का जीवन जंगल पर ही आधारित है. लेकिन खास बात यह है कि यहां के लोग लोकतंत्र के महापर्व में अपना योगदान जरूर देते हैं.

बस्तर लोकसभा का इतिहास

बस्तर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से लगातार राजनीतिक उलट फेर देखने को मिला है. वर्ष 1952 में पहली बार हुए आम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी मुचाकी कोसा ने जीत हासिल की. वहीं 1957 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने इस सीट से जीत दर्ज की. इसके बाद के तीन चुनावों 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस को निर्दलीय प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 1977 में भारतीय लोक दल के प्रत्याशी रिगपाल शाह केसरी शाह ने कांग्रेस को हराया. वर्ष 1980 में लगभग दो दशक के बाद कांग्रेस ने बस्तर सीट को फ़तेह किया. कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण कर्मा बस्तर से सांसद बने. इसके बाद 1984 1989 और 1991 में कांग्रेस ने इस सीट से लगातार जीत दर्ज की. वर्ष 1996 में एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र कर्मा ने इस सीट पर कब्जा जमाया. बस्तर सीट पर पहली बार 1998 में भाजपा ने अपना खाता खोला. इसके बाद फिर 2014 तक इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाए रखा. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज ने बस्तर लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर ली. दीपक भाई ने भाजपा के बैदु राम कश्यप को मात दी थी. कुल मिलाकार इस सीट का इतिहास देखा जाए तो यहां के लोगों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही को मौका दिया है. यही वजह है कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए इस सीट पर भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कांग्रेस इस सीट से लगातार दूसरी बार जीतना चाहती है तो वहीं भाजपा इस सीट को कांग्रेस से छीन कर फिर से अपना कब्जा जमाना चाहती है.

बस्तर में अब तक इनकी हुई सभाएं

बस्तर फतेह करने के लिए दोनों ही पार्टी के स्टार प्रचारकों ने इस क्षेत्र में लगातार दौरा किया है. प्रधानमंत्री मोदी खुद मोर्चा संभालते हुए 8 अप्रैल को बस्तर के आमाबाल गांव में भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप के पक्ष में प्रचार किया. इस दौरान प्रधानमंत्री बस्तर जीतने के लिए पूरी ताकत झोंकते हुए नजर आए. उन्होंने अपने कार्यकाल के 10 साल के कामकाज को जनता को गिनाया. साथ ही लोगों को मोदी की गारंटी पर भरोसा बरकरार रखने के लिए निवेदन किया. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कांकेर में जनसभा कर भाजपा को समर्थन देने के लिए लोगों से अपील की. वहीं दूसरी ओर 13 अप्रैल को कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी ने जगदलपुर में जनसभा को संबोधित किया. राहुल गांधी ने लोगों से कांग्रेस को वोट करने के लिए बस्तर की जनता से अपील की.

बस्तर में विवादित बोल की रही चर्चा

बस्तर में चुनाव प्रचार करने के दौरान पूर्व मंत्री बस्तर से कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा ने प्रधानमंत्री को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी. इसके बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई. पिछले दिनों चुनावी चौपाल करते वक्त कांग्रेस प्रत्याशी ने विवादित बयान देते हुए कहा कि लखमा जीतेगा मोदी मरेगा. इसे लेकर भाजपा ने कवासी लखमा को जमकर घेरा. इसके बाद कवासी लखमा पर उनके विवादित बयान को लेकर FIR भी दर्ज गई. यहां तक ही नहीं कवासी लखमा का साक्षात्कार करने गए एक पत्रकार के साथ अभद्रता करते हुए लखमा का वीडियो वायरल हो गया. इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी अब विवादों में घिर गए हैं. कवासी लखमा के विवादित बोल के बाद बस्तर का चुनाव चर्चा में है.

पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े के मुताबिक लोकसभा का यह हो सकता है रिजल्ट

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में बस्तर लोकसभा की 5 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. वहीं 3 सीटों को जीतने में कांग्रेस कामयाब रही थी. निर्वाचन आयोग के मुताबिक बस्तर लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को कुल 4 लाख 87 हजार 399 वोट मिले थे. कांग्रेस को 4 लाख 5 हजार 753 वोट मिले थे. इसका मतलब यह है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस के तुलना में 83 हजार के लगभग ज्यादा वोट मिले थे. विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों को बस्तर में चार लाख से ज्यादा वोट मिले थे. अगर यही ट्रेंड लोकसभा में भी रहा तो मुकाबला टक्कर का रहेगा. दोनों ही पार्टी के लिए बस्तर लोकसभा सीट चुनौती रहेगी. बस्तर लोकसभा सीट किसी भी पार्टी के झोली में जा सकती है.

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