Lok Sabha Election: सरगुजा के गांव में नाव के सहारे नदी पार कर वोट डालने जाते थे ग्रामीण, इस बार किया चुनाव का बहिष्कार

Lok Sabha Election: चिंतामणि महाराज का कहना है कि जब वहां विधायक था तब सरकार से पुल निर्माण का आश्वासन मिला था लेकिन मेरे बाद वहां दूसरे विधायक आए, उन्होंने क्या पहल किया और अब वर्तमान विधायक ही बता सकते हैं कि पुल क्यों नहीं बना.
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नाव से नदी पार करते लोग

Lok Sabha Election: सरगुजा लोकसभा सीट के लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र में लवाईडीह गांव है, यहां के लोगों को गांव से बाहर जाने के लिए नाव से नदी को पार करना पड़ता है. बच्चे भी बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं. वहीं अब नदी में पुल नहीं बनने से गांव के लोग लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर रहें हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नेता सिर्फ आश्वासन देते हैं, इसलिए इस बार हमने वोट नहीं करने का फैसला लिया है.

जान जोखिम में डालकर नदी पार करते है ग्रामीण

जिला मुख्यालय अंबिकापुर से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम लवईडीह 1975 में दो हिस्सों में बंट गया. इसका मुख्य कारण घुनघुट्टा नदी में डेम का निर्माण किया गया है. इसकी वजह से एक लवईडीह खास बन गया, तो दूसरा लवईडीह बरपारा के नाम से जाना जाता है. लवईडीह का बरपारा टापू जैसा बन गया है. यहां के लोग लगभग 48 वर्षों से लकड़ी के नाव के सहारे नदी पार करते हैं, तब जिला मुख्यालय पहुंच पाते हैं. वहीं यह डेम अब तक कई जिन्दगियां निगल चुका है. लवईडीह बरपारा के निवासियों को लवईडीह खास व जिला मुख्यालय अंबिकापुर आने के लिए डेम पार करने नाव व ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है. ऐसी स्थिति में कई बार हादसा भी हो चुका है. जिला प्रशासन द्वारा 1994 में लवईडीह बरपारा के लोगों को विस्थापित करने की पहल की गई थी, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के ही कारण इस पर पहल हुआ और न नदी में पुल बना. जबकि लवईडीह बरपारा में लगभग 50 घर हैं.

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यहां के छोटे बच्चों को हर दिन स्कूल आना जाना पड़ता है. प्राथमिक व मिडिल स्कूल लवईडीह खास में है. इस स्थिति में लवईडीह बरपारा के बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए नाव व ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है. इस बांध में बारह महीने पानी भरा रहता है. विशेष कर बारिश के दिनों में बांध उफान पर रहता है. ऐसी स्थिति में बच्चे एक टूटी-फूटी नाव व ट्यूब के सहारे स्कूल आना जाना करते हैं.

लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर रहे ग्रामीण

गांव की ललिता कुजूर का कहना है कि हम चुनाव का बहिष्कार इसलिए कर रहें हैं, हर बार नाव पार कर मतदान करने जाते रहें हैं, लेकिन किसी को हमारी चिंता नहीं है. वहीं अजीत लकड़ा कहते हैं कि जब चिंतामणि महाराज कांग्रेस से लुंड्रा विधायक थे, जो अभी भाजपा से सांसद प्रत्याशी हैं, उन्होंने पुल बनवाने का वादा किया था, लेकिन पुल नहीं बना. जबकि इस नदी में एक महिला डूबी थी जिसको लेकर उन्होंने जल सत्याग्रह भी किया था, लेकिन विडंबना तो यह है कि पुल नहीं बनवाया गया.

2017-18 में नदी में पुल निर्माण को लेकर जल सत्याग्रह करने वाले तत्कालीन कांग्रेस विधायक और वर्तमान में भाजपा से लोकसभा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज का कहना है कि जब वहां विधायक था तब सरकार से पुल निर्माण का आश्वासन मिला था लेकिन मेरे बाद वहां दूसरे विधायक आए, उन्होंने क्या पहल किया और अब वर्तमान विधायक ही बता सकते हैं कि पुल क्यों नहीं बना.

चुनाव बहिष्कार पर अफसर मौन

दरअसल जहां चुनावी विसात हर पार्टी बिछा रही है, लेकिन सरगुजा लोकसभा में ऐसे मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे कई गांव हैं, जहां आज भी ऐसी समस्याएं बनी हुई है लेकिन इस पर न तो प्रशासन की नजर पड़ती है, और न नेताओं की और जब चुनाव का समय आता है तो ऐसे वाक्या निकलकर सामने आते हैं.  वहीं अब कल मतदान है तो गांव वालों को समझाने अफसर गांव जाते हैं या नहीं यह तय नहीं है.  दूसरी तरफ इस पूरे मामले में सरगुजा के प्रशासनिक अफसरों ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है, मतलब साफ है जिम्मेदार जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं.

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