Modi 3.0 Cabinet: सहयोगी दलों ने 4 बड़े मंत्रालयों पर साधा निशाना, हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी बीजेपी
Modi 3.0 Cabinet: चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरी हैं. लिहाजा नीतीश और नायडू ने बीजेपी पर अहम मंत्रालय के बंटवारे की मांग रख दी है. हालांकि, भाजपा अपने सहयोगियों को कुछ प्रमुख मंत्रालय आसानी से नहीं दे सकती है. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक जेडीयू और टीडीपी ने, रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों पर अपना दावा ठोका है.
सूत्रों के अनुसार , 16 और 12 सीटों वाली टीडीपी और जेडीयू अपने पसंदीदा मंत्रालयों पर नज़र गड़ाए हुए हैं. शुरुआती चर्चाओं के आधार पर सहयोगी दल हर 4 सांसदों के लिए एक मंत्री की मांग कर रहे हैं. कथित तौर पर टीडीपी चार कैबिनेट बर्थ की मांग कर रही है, जबकि जेडीयू तीन मंत्रियों के लिए जोर दे रही है. इसके अलावा 7 सीटों वाली एकनाथ शिंदे की शिवसेना और पांच सीटों वाली चिराग पासवान की एलजेपी दोनों को दो-दो मंत्रालय मिलने की उम्मीद है.
स्पीकर की कुर्सी पर भी नजर!
चंद्रबाबू नायडू भी लोकसभा अध्यक्ष पद पर नज़र गड़ाए हुए हैं, लेकिन भाजपा इस मांग को स्वीकार करने को तैयार नहीं है. टीडीपी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी मांग कर सकती है. बता दें कि इस बार के चुनाव में भाजपा को 240 सीटें मिली हैं. मोदी सरकार 3.0 के लिए इन सहयोगियों की भूमिका महत्वपूर्ण है. टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास कुल 40 सांसद हैं.
पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले दो चुनावों में जहां भाजपा ने अकेले ही बहुमत का आंकड़ा पार किया था, एनडीए के सहयोगी प्रमुख कैबिनेट पदों पर नहीं रह पाए थे. हालांकि, 2024 के नतीजों में भाजपा के लिए स्पष्ट बहुमत के बिना आनुपातिकता के आधार पर केंद्रीय मंत्रालय बनाना होगा. इस बार भाजपा के मंत्रियों की संख्या घटेगी और सहयोगी दलों के मंत्रियों की संख्या बढ़ेगी. हालांकि, यह संभावना नहीं है कि भाजपा मुख्य मंत्रालयों पर समझौता करेगी.
गरीब, महिला, युवा और किसान सब अहम
रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों के अलावा भाजपा बुनियादी ढांचे के विकास, कल्याण, युवा मामलों और कृषि से संबंधित मंत्रालयों को भी अपने पास रखना चाहेगी. ये विभाग चार महत्वपूर्ण वोट बैंक -गरीब, महिला, युवा और किसान – के लिए योजनाओं को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा, भाजपा का दावा है कि उसने पिछली एनडीए सरकारों के तहत रेलवे और सड़क परिवहन आदि में बड़े सुधार किए हैं, और पार्टी उन्हें सहयोगियों को देकर सुधारों की गति को धीमा नहीं करना चाहती है.
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जेडीयू के खाते में जा सकता है पंचायती राज और ग्रामीण विकास
भाजपा पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय जेडीयू को देने पर विचार कर सकती है, जबकि नागरिक उड्डयन और इस्पात जैसे विभाग टीडीपी को दिए जा सकते हैं. भारी उद्योग का प्रभार शिवसेना को दिया जा सकता है. पर्यटन, एमएसएमई, कौशल विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और सामाजिक न्याय और अधिकारिता जैसे अन्य मंत्रालय भी सहयोगियों को सौंपे जाने की संभावना है.अगर चंद्रबाबू नायडू लोकसभा अध्यक्ष पद पर जोर देते हैं, तो भाजपा उन्हें उपसभापति पद की पेशकश करके मनाने की कोशिश कर सकती है.
हालांकि, आज हुई एनडीए संसदीय दल की बैठक में गठबंधन के सभी दल एकजुट दिखे. अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार कैसे होता है.