Lok Sabha Election: उज्जैन सीट है बीजेपी का ‘गढ़‘; अबकी आमने-सामने होंगे कांग्रेस के महेश परमार और बीजेपी के अनिल फिरोजिया
Ujjian Lok Sabha seat: मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन जितनी फेमस एमपी में है उतनी पूरे देश और विदेश में है. महाकाल की नगरी, राजा विक्रमादित्य की नगरी, 51 शक्तिपीठ में से एक, मंगल की जन्मभूमि, भगवान कृष्ण की शिक्षा की भूमि, कुंभ मेले की नगरी, भारत की सप्तपुरियों में से एक, वराहमिहिर की नगरी जैसे कई सारी विशेषता रखने वाला उज्जैन भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
एमपी की 29 लोकसभा सीट में से एक उज्जैन सीट है. मालवा रीजन की ये सीट एमपी की राजनीति में अहम जगह रखती है. एमपी के वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसी सीट के उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक हैं. उज्जैन सीट पर चौथे चरण में 13 मई को चुनाव होने हैं.
दो जिलों की आठ विधानसभा सीट
उज्जैन लोकसभा सीट में दो जिलों की आठ विधानसभा सीट आती हैं. इनमें उज्जैन की सात विधानसभा – नागदा-खाचरौद, महिदपुर, तराना, घाटिया, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, बड़नगर और रतलाम जिले की आलोट विधानसभा शामिल है. महिदपुर और तराना विधानसभा छोड़कर बाकी बची विधानसभा बीजेपी के पास है. तराना, घाटिया और आलोट विधानसभा एससी वर्ग के लिए रिजर्व्ड हैं.
उज्जैन लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. बीजेपी ने इस बार फिर से अनिल फिरोजिया पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने महेश परमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में –
अनिल फिरोजिया – उज्जैन से वर्तमान सांसद
एजुकेशन – हायर सेकेंडरी
संपत्ति – 8 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य (0)
अनिल फिरोजिया पर बीजेपी ने फिर से दांव लगाया है. फिरोजिया ने संगठन स्तर पर काम किया है. बजरंग दल से लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा तक के विभिन्न पदों पर काम किया है. अनिल फिरोजिया को राजनीति विरासत में मिली है तो ये कहना गलत नहीं होगा. फिरोजिया के पिता भूरेलाल फिरोजिया जनसंघ और बीजेपी के संस्थापक सदस्य में से एक थे.
मुख्य धारा की राजनीति में आने से पहले फिरोजिया संघ से भी जुड़े रहे. उज्जैन जिले में बजरंग दल के नगर संयोजक, जिला संयोजक पदों पर रहे. बाद में बजरंग दल के प्रांत उपाध्यक्ष भी बने. भारतीय जनता युवा मोर्चा के उज्जैन मंडल के अध्यक्ष और नगर जिला अध्यक्ष भी रहे. इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री और प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए.
बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद फिरोजिया को यूपी, असम, हरियाणा और पंजाब में जिला स्तर पर चुनाव प्रबंधन का दायित्व दिया गया. साल 2009 से 2011 तक बीजेपी के जिला मंत्री रहे और 2011-13 तक जिला उपाध्यक्ष पद पर रहे. अनिल फिरोजिया ने पहला चुनाव तराना विधानसभा सीट से 2013 में लड़ा और जीते. इस दौरान फिरोजिया को उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष भी बनाया गया.
पहला लोकसभा का चुनाव 2019 में लड़ा. इस चुनाव में फिरोजिया ने बाबूलाल मालवीय को हराया था. संगठन की बात की जाए तो फिरोजिया वर्तमान में बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं.
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महेश परमार – तराना विधानसभा सीट से विधायक हैं
एजुकेशन – पोस्ट ग्रेजुएट
संपत्ति – 2 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – 8
कांग्रेस ने इस बार महेश परमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. परमार की कांग्रेस के संगठन स्तर पर काम करने के साथ-साथ सक्रिय राजनीति में भागीदारी रही है. परमार की राजनीतिक जीवन में एंट्री छात्र जीवन में ही हो गई थी. कॉलेज में कांग्रेस की छात्र यूनिट NSUI से जुड़ गए थे. कॉलेज में NSUI से चुनाव जीतकर उपाध्यक्ष रहे. विक्रम विश्वविद्यालय में NSUI के अध्यक्ष पद पर रहे.
उज्जैन जिला पंचायत के तीन बार सदस्य रहे. साल 2013 से 2018 तक उज्जैन जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे. इसके बाद 2018 में ही पहला विधानसभा चुनाव तराना विधानसभा सीट से लड़ा. उज्जैन के वर्तमान सांसद और उस समय तराना से विधायक रहे अनिल फिरोजिया को 2 हजार से ज्यादा वोट से हराकर विधानसभा पहुंचे थे. साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस के टिकट से तराना सीट से जीतकर विधायक बने.
महेश परमार का ये पहला मौका है जब वे लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
अनिल फिरोजिया बनाम महेश परमार
दोनों ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की थी. संगठन में अलग-अलग पदों पर काम किया. दोनों के पास चुनाव लड़ने का अनुभव है. दोनों एससी वर्ग से हैं. अनिल फिरोजिया के पास लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव है. उज्जैन के चर्चित चेहरे बन गए हैं.
साल 2018 के चुनाव में अनिल फिरोजिया को महेश परमार ने विधानसभा के चुनाव हराया था. जनसमर्थन परमार के पक्ष में रहता है तो फिरोजिया को फिर से हरा सकते हैं.
आम चुनाव 2019 : अनिल फिरोजिया पहली बार सांसद बने
इस चुनाव में बीजेपी के अनिल फिरोजिया को 7 लाख, 91 हजार, 663 वोट मिले और कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय को 4 लाख, 26 हजार, 26 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 3 लाख, 65 हजार, 637 रहा.
उज्जैन सीट का राजनीतिक इतिहास: सत्यनारायण जटिया 7 बार सांसद रहे
साल 2009 से 2014 तक का समय छोड़ दें तो 1989 से लगातार इस सीट से बीजेपी के सांसद जीतते आ रहे हैं. बीजेपी के सत्यनारायण जटिया इस सीट से सबसे ज्यादा 7 बार यानी साल 1980, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद रहे. जटिया साल 1980 में जनता पार्टी के टिकट से सांसद रहे. बाकी 6 बार बीजेपी से टिकट से सांसद बने.
उज्जैन सीट पर पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था. इस चुनाव में कांग्रेस के राधेलाल व्यास ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 1957 और 1962 में व्यास ने चुनाव जीता और सांसद बने. इस सीट से पहले गैर कांग्रेसी सांसद भारतीय जनसंघ के टिकट से 1967 में हुकुम चंद कचवाई बने.
साल 2009 में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू ने मात्र 15 हजार वोटों से सत्यनारायण जटिया को हराया था. 2014 में बीजेपी के चिंतामणि मालवीय और 2019 में अनिल फिरोजिया सांसद बने.
उज्जैन सीट पर जातिगत समीकरण
इस सीट में कुल 17 लाख, 72 हजार, 734 वोटर्स हैं. इनमें से 8 लाख से ज्यादा पुरुष वोटर्स और 8.77 लाख महिला वोटर्स हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां एससी-एसटी वोटर्स 46 फीसदी के करीब है. सामान्य वर्ग 24 फीसदी और पिछड़ा वर्ग का वोटर्स करीब 18 फीसदी है. वहीं अल्पसंख्यक करीब 3 फीसदी हैं.
(SOURCE : ECI, Digital sansad, MP Vidhansabha, myneta.info)