बठिंडा से BJP प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर गहराया संकट! IAS परमपाल कौर को नहीं मिल रही ‘नोटिस पीरियड’ से राहत, जानें पूरा मामला
Lok Sabha Election 2024: पंजाब के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका की बहु और पंजाब की आईएएस अधिकारी परमपाल कौर के मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है. अब उनके इस्तीफे में एक नया अपडेट सामने आया है. बता दें कि दो दिन पहले केंद्र सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूर कर लिया था और इस मामले में केंद्र ने पंजाब सरकार को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन मंगलवार को पंजाब सरकार ने परमपाल कौर के वीआरएस को रिजेक्ट कर दिया. पंजाब सरकार ने परमपाल कौर को तुरंत ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा है.
ऐसे में परमपाल कौर को नामांकन पर्चा दाखिल के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. परमपाल कौर ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने पति के साथ बीजेपी में शामिल हो गई थीं, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें बठिंडा से उम्मीदवार घोषित कर दिया था. पंजाब सरकार के पर्सोनल विभाग के नोटिस में कहा गया कि परमपाल कौर सिद्धू की ओर से ऑल इंडिया सर्विस नियमों के रूल 16(2) के तहत समर्थ पूर्व सेवामुक्ति के लिए आवेदन किया गया था.
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“यह अधिकार केवल राज्य सरकार के पास”
परमपाल कौर द्वारा सेवामुक्ति को लेकर किए गए आवेदन में कहा गया है कि सेवानिवृत्ति अपनी बुजुर्ग मां की देखभाल करने के लिए चाहिए, क्योंकि उम्रदराज मां की देखभाल के लिए कोई रिश्तेदार नहीं है. इसके साथ ही परमपाल कौर ने सेवानिवृत्ति आवेदन के नियम मुताबिक तीन महीने का नोटिस पीरियड भी माफ करने का आग्रह किया था.
पंजाब सरकार के पर्सोनल विभाग की ओर से भेजे गए नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि जिस नियम के तहत सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया गया था, उस नियम के मुताबिक सिर्फ राज्य सरकार ही संबंधित अधिकारी को तीन महीने के नोटिस पीरियड से छूट प्रदान कर सकती है. यह अधिकार केंद्र सरकार के पास नहीं है.
“तुरंत ड्यूटी ज्वाइन करें परमपाल कौर”
नोटिस में स्पष्ट किया गया कि सेवानिवृत्ति के लिए दिए गए आवेदन में बताए गए मां की देखभाल संबंधी कारण को भी असत्य माना जा रहा है, क्योंकि आवेदन देने के तुरंत बाद से ही परमपाल कौर राजनीतिक तौर पर सक्रिय हैं. यह उनके आवेदन में दिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आधारों को गलत साबित करता है. विभाग की ओर से परमपाल कौर को निर्देश दिया गया है कि वह तुरंत अपनी ड्यूटी दोबारा ज्वाइन करें, जब तक कि पंजाब सरकार नियमों के मुताबिक उनके सेवामुक्ति के आवेदन पर कोई फैसला नहीं ले लेती.