इंडिया ब्लॉक की बैठक में शामिल नहीं होंगी ‘दीदी’, दूरी जरूरी या फिर मजबूरी?

तीसरी मीटिंग के बाद इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने अलग राह चुन ली. 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई चौथी बैठक के बाद बंगाल में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस से खींचतान हुई.
ममता बनर्जी

ममता बनर्जी

India Alliance Meet: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग के दिन एक जून को इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई गई है. यह बैठक दिल्ली में होने वाली है. बताया जा रहा है कि विपक्ष 4 जून से पहले ही आगे की रणनीति तैयार कर लेना चाहता है. सूत्रों के अनुसार, एक जून की बैठक में इंडिया ब्लॉक के नेता पीएम पद के दावेदारों और रिजल्ट के बाद की रणनीति पर चर्चा करेगी. इस मीटिंग में नए सहयोगी दलों की तलाश पर भी बात होगी. ऐसे में नतीजे से पहले ही इंडिया गठबंधन की बैठक काफी अहम मानी जा रही है. हालांकि, एक बार फिर से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इंडी अलायंस को गच्चा दे दिया है. उन्होंने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है.

ममता बनर्जी ने क्या कहा?

हालांकि, ममता बनर्जी ने इसके पीछे अपना तर्क दिया है. ‘दीदी’ ने कहा, “इंडिया ब्लॉक ने पहले कहा था कि वे 1 जून को एक बैठक करेंगे. मैंने उनसे कहा कि मैं नहीं आऊंगी क्योंकि हमारे यहां अभी भी कुछ अन्य राज्यों की तरह चुनाव होंगे. जब एक तरफ चक्रवात और राहत अभियान चल रहा हो और दूसरी तरफ चुनाव हो तो मैं कैसे जा सकता हूं?” इससे पहले ममता बनर्जी ने कहा था कि टीएमसी इंडी गठबंधन को बाहर से समर्थन देगी. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना रुख बदलते हुए कहा था कि गठबंधन उनके दिमाग की उपज है और वह इसका हिस्सा हैं.

ममता दीदी अपनी मर्जी से करती रही हैं गठबंधन से डील

पिछले साल ममता बनर्जी इंडी ब्लॉक के साथ भी रहीं और दूर भी. याद कीजिए 23 जून को इंडी अलायंस की पहली बैठक पटना में हुई थी. तब नीतीश कुमार इसके संयोजक थे. इसके बाद विपक्षी दलों के गठबंधन की तीन और मीटिंग हुई, जिसमें ममता बनर्जी शामिल हुईं. तीसरी मीटिंग के बाद इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने अलग राह चुन ली. 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई चौथी बैठक के बाद बंगाल में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस से खींचतान हुई. ममता बनर्जी ने एकतरफा बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.

इसके बाद मजबूर कांग्रेस को बंगाल में वाम दलों के साथ चुनाव में उतरना पड़ा. जब 31 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में हुई लोकतंत्र बचाओ रैली में विपक्षी दलों के नेता जुटे, ममता दीदी ने इसमें शामिल होने से भी इनकार कर दिया. उन्होंने अपने टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को भेज दिया था. इसी बीच ममता का वो बयान आया था जिसमें वो कह रही थीं कि हम इंडिया गठबंधन को बाहर से समर्थन देंगे.

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रिजल्ट के बाद पत्ते खोलेंगी ममता

राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, चुनाव के रिजल्ट से पहले विपक्षी दल एक-दूसरे की ताकत आंकने की कोशिश करेंगे. केंद्र में सरकार बनाने के लिए 272 लोकसभा सीटों की जरूरत होगी. मतलब जो जितनी सीटें जीतेगा, उसे उतनी हिस्सेदारी मिल सकती है. बहरहाल, ममता दीदी इस गठबंधन में बड़ी स्टेक होल्डर हो सकती हैं. हालांकि, उन्हें इसके लिए बंगाल की 42 में से कम से कम 30 सीटें जीतनी होंगी.

ठीक ऐसा ही हाल बिहार में तेजस्वी यादव, तमिलनाडु में स्टालिन और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार का है. इन नेताओं को भी गठबंधन में अपनी हिस्सेदारी के लिए 90 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतना आवश्यक है.  बंगाल में मुकाबला कड़ा है और इस चुनाव में ममता बनर्जी की प्रतिष्ठा दांव लगी है.

नतीजे को भांप चुकी ममता!

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मोदी मैजिक, मुफ्त राशन और आक्रामक चुनाव प्रचार के बाद 400 पार करने का दावा कर रही है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के लिए ज्यादा हासिल की संभावना कम हो जाती है. छह चरणों के मतदान के बाद वोटिंग पैटर्न भी इशारा दे रहा है कि इस बार कोई बड़ा बदलाव नहीं हो रहा है. ममता बनर्जी इन नतीजों को भांप चुकी हैं, इसलिए वह रिजल्ट के बाद ही अपने पत्ते खोलेंगी.

कांग्रेस से नाराजगी

हालांकि, ममता की बैठक से दूरी का एक और पहलू है. दरअसल, 4 जून को रिजल्ट के बाद क्लियर होगा कि इंडी ब्लॉक में शामिल पार्टियों को कितनी सीटें मिली हैं. इसके बाद ही नेताओं की हैसियत का भी अंदाजा होगा. लेकिन , कांग्रेस ने चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की मीटिंग में राहुल गांधी के लिए एजेंडा तय कर रखा था. राहुल गांधी ने मीटिंग में बिना चर्चा किए प्रेस कॉन्फ्रेंस में जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण का राग छेड़ दिया था. बताया जाता है कि इससे ममता दीदी नाराज भी हुईं. इसके बाद कांग्रेस से सीटों के बंटवारे को लेकर भी उन्होंने अलग रास्ता अपनाया था. खैर अब देखना ये होगा कि ममता बनर्जी का अगला रुख क्या होगा.

 

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