MPPSC Result 2023: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती! 6 बार फेल हुए, 7वीं बार में बने डिप्टी कलेक्टर सिद्धार्थ मेहता

सिद्धार्थ के पिता शांतिलाल मेहता गांव में ही किराना की दुकान चलाते हैं. जबकि सिद्धार्थ के बड़े भाई श्रेयांश भी किराना की दुकान में ही पिता के साथ काम करते हैं. इसके अलावा सिद्धार्थ खुद भी समय निकालकर पिता की दुकान में हाथ बंटाते थे.
Siddharth Mehta has achieved success in MPPSC Result 2023.

MPPSC Result 2023 में सिद्धार्थ मेहता ने सफलता हासिल की है.

MPPSC Result 2023: कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है. मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रहने वाले सिद्धार्थ मेहता ने इस कहावत को चिरितार्थ किया है. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2023 के रिजल्ट आ चुके हैं. इस परीक्षा में सिद्धार्थ मेहता का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है. लेकिन सिद्धार्थ के लिए ये राह इतनी आसान नहीं थी. इसके पहले उन्होंने 6 बार परीक्षा दी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी. लेकिन वे लगातार खामोशी के साथ मेहनत करते रहे और आखिरकार रिजल्ट सबके सामने है.

7वीं बार में बने डिप्टी कलेक्टर

रतलाम जिले के रावटी गांव में इस समय जश्न का माहौल है. इसका कारण सिद्धार्थ मेहता हैं. 28 साल के सिद्धार्थ का चयन MPPSC 2023 की परीक्षा में हुआ है. फाइनल रिजल्ट के बाद उन्होंने 17वीं रैंक हासिल की है. अब वह डिप्टी कलेक्टर बनेंगे. सिद्धार्थ ने बताया कि उनका बचपन से ही सपना था कि वह प्रशासनिक अधिकारी बनें. इसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू की और परीक्षा दी. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. लगातार 6 बार वे परीक्षा में सफल नहीं हो सके. हालांकि 2019 की परीक्षा में वह इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन फाइनल रिजल्ट में उनका नाम सफल होने वाले कैंडिडेट्स में नहीं था. कोई और होता तो शायद तैयारी छोड़ देता. या फिर हताश और निराश होकर कोई और काम शुरू कर देता, लेकिन सिद्धार्थ हार मानने वालों में से नहीं थे. वह लगातार संघर्ष करते रहे. और आखिरकार वो दिन आ गया, जब उनके बचपन का सपना साकार हुआ और वे 7वीं बार में MPPSC की परीक्षा में डिप्टी कलेक्टर के पद पर उनका चयन हुआ.

किराना दुकानदार का बेटा बना डिप्टी कलेक्टर

सिद्धार्थ के पिता शांतिलाल मेहता गांव में ही किराना की दुकान चलाते हैं. जबकि सिद्धार्थ के बड़े भाई श्रेयांश भी किराना की दुकान में ही पिता के साथ काम करते हैं. इसके अलावा सिद्धार्थ खुद भी समय निकालकर पिता की दुकान में हाथ बंटाते थे. मां गृहणी हैं. वहीं अब जब सिद्धार्थ डिप्टी कलेक्टर बन गए हैं. तो पूरे गांव में ढोल-नगाड़े के साथ जश्न का माहौल है.

सिद्धार्थ की सफलता की कहानी उन लोगों के लिए भी सीख है, जो अपने जीवन में उतार-चढ़ाव के दौरान धैर्य छोड़ देते हैं.

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