क्या है Bhopal Gas Tragedy का प्रतीक बन चुकी तस्वीर की कहानी, जिसे देख पूरी दुनिया की आंखें हो गई थीं नम

Bhopal Gas Tragedy: जब भी कभी भोपाल गैस त्रासदी का जिक्र होता है तो उस भयानक मंजर के साथ-साथ एक बच्चे की तस्वीर सबसे पहले सामने आती है. जानते हैं उस भयानक तस्वीर की कहानी, जिसे देखने के बाद सब रोआंसे हो उठे थे. वही तस्वीर जो इस त्रासदी की 'प्रतीक' बन चुकी है.
Bhopal Gas Tragedy

Bhopal Gas Tragedy का प्रतीक बन चुकी तस्वीर

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की रात एक फैक्ट्री से मिथाइल आइसो साइनाइट गैस का रिसाव होने लगा. यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकल रही यह जहरीली गैस धीरे-धीरे पूरे शहर में फैल गई और हवा में ऐसी घुली कि हजारों लाश बिछ गई. यह रात न सिर्फ भारत के इतिहास की सबसे काली रातों में से एक बनी, बल्कि पूरी दुनिया में सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) बन गई. अखबारों के फ्रंट पेज पर सिर्फ इसी घटना को कवर किया गया. इस त्रासदी को कवर करने के लिए मशहूर फोटोग्राफर रघु राय भी भोपाल आए. उन्होंने एक मासूम की तस्वीर क्लिक की, जो भोपाल गैस त्रासदी की प्रतीक बन गई. उसे देखकर पूरी दुनिया आज भी उस हादसे को याद करती है.

बच्चे की तस्वीर बन गई भोपाल गैस त्रासदी का प्रतीक

भोपाल गैस त्रासदी का जिक्र होने पर एक तस्वीर जो सबसे पहले सामने आती है, उसमें एक बच्चा है. तस्वीर में मासूम का सिर्फ चेहरा दिख रहा है, जबकि आस-पास सिर्फ मिट्टी. उसका पूरा शरीर मिट्टी में दफन हो चुका था. मासूम की आंखें खुली थीं. तस्वीर में बच्चे के सिर के पास एक हाथ भी नजर आता है, जो उस पर मिट्टी डालकर उसे दफन कर रहा था. मशहूर फोटोग्राफर रघु राय द्वारा क्लिक की गई यह तस्वीर लोगों के जहन में ऐसी बैठी की सबकी आंखें नम हो गईं. साथ ही यह भोपाल गैस त्रासदी का प्रतीक बन गई.

कब्रिस्तान में क्लिक की थी तस्वीर

गैस त्रासदी को कवर करने के लिए मशहूर फोटोग्राफर रघु राय भी भोपाल पहुंचे थे. इस कवरेज का जिक्र करते हुए  एक इंटरव्यू के दौरान रघु राय ने बताया था कि वह गैस त्रासदी के दूसरे दिन 3 दिसंबर को कवर करने के लिए पहुंचे. उन्होंने हमीदिया अस्पताल और आसपास में मृतकों की तस्वीर खींचने के बाद श्मशान घाट और कब्रिस्तान का जायजा लेने के बारे में सोचा. वह कब्रिस्तान पहुंचे, जहां एक बच्चे को दफन किया जा रहा था. एक मासूम बच्चा, जिसकी आंखें तक बंद नहीं हुई थीं. उस पर मिट्टी डाली जा रही थी. बच्चे को देख रघु ने तुरंत तस्वीर क्लिक कर ली.

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रुंह कांप गई थी 

बच्चे की तस्वीर के बारे में बताते हुए रघु राय ने बताया कि वह उस बच्चे की तस्वीर देखने के बाद काफी देर तक उसके बारे में सोचते रहे. वहां वह मासूम अकेला नहीं था. कई ऐसी नन्हीं लाशें और थीं, जिन्हें दफन किया जाना था. उन्होंने कहा कि बच्चे की मौत बहुत पीड़ादायक होती है, जिसकी तकलीफ बहुत दूर तक होती है.

फोटोग्राफर रघु राय

मशहूर फोटोग्राफर रघु राय को ‘भारतीय फोटोग्राफी का जनक’ भी कहा जाता है. उन्हें फोटोग्राफी के लिए राष्ट्रीय सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अपने आस-पास की दुनिया को जी कर उन्हें तस्वीरों में उतारा. उन्होंने कई ऐसी तस्वीरों को क्लिक किया जो दुनिया में प्रतीक के रूप में इस्तेमाल हुईं. इनमें भोपाल गैस त्रासदी, संजय गांधी विमान दुर्घटना, स्वर्ण मंदिर में जरनैल सिंह भिंडरावाले आदि शामिल हैं.

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