Bhopal News: युद्ध ने छिना आशियाना, यूक्रेन से भोपाल आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या में 60 प्रतिशत तक आई कमी

Bhopal News: पक्षियों की 80 से ज्यादा प्रजातियां रुस, साइबेरिया और चीन होते हुए बड़े तालाब पहुंचती हैं.
birds migration

प्रतीकात्मक तस्वीर

Bhopal News: रूसयूक्रेन युद्ध का असर ना केवल इंसानी जिन्दगी पर बल्कि पशु-पक्षियों पर भी पड़ा है. रुस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने राजधानी भोपाल में अपना आशियाना बनाने वाले पक्षियों से भी उनका घर छिन लिया है.

दरअसल, यूरोप में जमा देने वाली ठंड का मौसम शुरू होते ही यूरोप से हर साल भोपाल विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं. वो ठंड के मौसम में यहां रहने के बाद वापस अपने देश लौट जाते हैं. मगर पिछले दो सालों से वॉर के कारण पक्षी भारत नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते शहर के तालाबों में प्रवासी पक्षियों की मौजदूगी कम नजर आ रही है.

नवंबर के महीने में आते हैं पक्षी

प्रवासी पक्षी हर साल नवंबर महीने के अंत में भोपाल आना शुरू हो जाते हैंं. साथ ही यूरोप में ठंड कम होने पर अप्रैल से मई महीने के बीच वापस अपने देशों में चले जाते हैं. हर साल ये सिलसिला जारी रहता है. भोपाल में बड़े तालाब और वन विहार में इन पक्षियों को दो साल पहले आसानी से देखा जा सकता था.

किन-किन देशों से भोपाल आते हैं पक्षी?

पक्षी वैज्ञानिक मोहम्मद खालिक के अनुसार, पक्षियों की 80 से ज्यादा प्रजातियां रुस, साइबेरिया और चीन होते हुए बड़े तालाब पहुंचती हैं. लेकिन पिछले दो सालों से ये संख्या 60 प्रतिशत तक कम हो गई है, जिसका कारण तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन है. इसमें यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ा भीषण युद्ध भी एक कारण है. इस वजह से इन प्रवासी पक्षियों के रास्ते में इंसानी दखल बढ़ गया है, जिससे वो तेज ठंड में भी वहीं रहना पसंद करते हैंं. लगातार हो रहे हमलों का असर भी पक्षियों की जीवन पर पड़ता है. इन रास्तों से गुजरने वाले कई पक्षी बीच में मारे भी जाते हैं.

बता दें कि इन पक्षियों में रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रीन सैंडपीपर, पेंटेड स्टोर्क, ब्राउन हेडेड गल्ल, ब्लैक हेडेड गल्ल, स्पॉट बिल डक, लैसर व्हिस्टलिंग डक, ब्लैक हेडेड आइबिस, ग्लॉसी आइबिस, रेड स्टार्ट, कॉमन स्निप, ब्लैक बिटर्न, स्पॉटेड ईगल जैसी प्रजातियां शामिल हैं.

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