MP News: दिग्विजय सिंह को VVPAT पर भरोसा नहीं, चुनाव आयोग पर लगाए पक्षपात के आरोप
MP News: मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने VVPAT की विश्वसनीयता सहित चुनाव आयोग पर पीएम मोदी व भाजपा के दबाव में पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया है. आज अपने सरकारी आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने VVPAT का डेमो करवाते हुए सॉफ़्टवेयर के माध्यम से उसे भाजपा के पक्ष में वोट डलवाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मैं 2003 से लगातार ईवीएम के ऊपर सवाल उठाता आ रहा हूं, पर ना आप न मेरी पार्टी, इस पर बात को मानने को तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में कभी भी 15 प्रतिशत वोट स्विंग नहीं हुए. भाजपा ये सब करते हुए एक नरेटिव तैयार करती है. कभी पुलवामा हमला तो कभी लाड़ली बहना और अब रामलला.
‘चुनाव आयोग वाले इग्नोर करते हैं’
दिग्विजय ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले छः माह से हम उनसे मिलने का समय मांग रहे हैं और वो हमें इग्नोर कर रहे हैं. अब तो हमें सिर्फ उच्चतम न्यायालय पर ही भरोसा है. कांग्रेस नेता ने कहा कि वे यह लड़ाई लड़ते रहेंगे और मतदाता के अधिकार की हत्या नहीं होने देंगे.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकारें मशीन की बजाय मतदाता से चुनी जाए, इसके लिये जरूरी है कि वीवीपैट की पर्ची मतदाता के हाथ में दी जाये, जिसे वो मतदान पेटी में डालें और उसकी गिनती कर सही निर्णय दिया जा सके. उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी ने भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये थे. विश्व में मात्र पांच देश ऐसे हैं जहां ईवीएम से चुनाव होते हैं.
तकनीक पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता ने कहा, “ईवीएम का इस्तेमाल 2003 में शुरू हुआ, फिर अविश्वास सामने आने के बाद वीवीपैट लगाई गई. वीवीपैट तार से बैलेट यूनिट से कनेट होती है. वीवीपैट सेंट्रल इलेक्शन कमिशन के सर्वर से कनेक्ट होती है. कौन सी यूनिट कहां जायेगी… पहले कलेक्टर ये तय करते थे, लेकिन अब यह सेंट्रल सर्वर से होता है, जिसके लिए प्राइवेट इंजीनियर बुलाए जाते हैं.”
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उन्होंने कहा, “इंजीनियर लैपटॉप से मशीन को कनेक्ट करते हैं, जिसके बाद सिंबल लोड होते हैं, जिसके चलते चिप सर्वेसर्वा हो जाता है. वीवीपैट मशीन में 7 सेकंड के लिए दिखाई देता है, लेकिन जो दिखा वही डब्बे में गिरा.. इस बात का संदेह है. माइक्रोचिप जो वीवीपैट में है, वही वोट डाल रहा है. ऑस्ट्रेलिया में मशीन में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है, वो पब्लिक डोमेन में है. लेकिन भारत में आज तक कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है ये जानकारी पब्लिक को नहीं है.”