Exclusive: क्या है भोपाल पुलिस का ‘फ्यूचर प्लान’? अपराधियों पर कैसे लगेगी लगाम, साइबर अपराध के खिलाफ क्या रहा प्लान, जानें क्या बोले पुलिस कमिश्नर

Exclusive: भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने कहा है कि पुलिस कमिश्नरी में एक सिस्टम है और उसके तहत लोग प्रथम दृष्टि वहां मदद के लिए वहां जाएं, यह होना चाहिए और हो भी रहा है.
Harinarayan Chari Mishra

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा

Exclusive: भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र अपनी विशेष सधी और अनुशासित कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर में एसएसपी से लेकर पुलिस कमिश्नर तक के पदों पर रह कई बड़े अपराधिक प्रकरणों में सफलता पाकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहे. वह अपने बुलंद हौसले के साथ राजधानी भोपाल में पुलिसिंग के सिस्टम को लगातार सुधार रहे हैं. अपराधियों पर नकेल कस रहे हैं तो वहीं अपराधों के ग्राफ को नीचे लाने में भी जुटे हुए. आखिर क्या है उनका “फ्यूचर प्लान” लिए देखते हैं.

हरिनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि लोकसभा चुनाव को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी कमर कस रखी है. पिछले चुनाव के दौरान अपराधियों ने जो प्रक्रिया में बाधक पहुंचाई है उन पर कार्रवाई करना. ऐसे अपराधियों पर नजर रखना, उन पर नकेल कसना और संवेदन्शील बूथों पर लगातार मॉनिटरिंग करना ताकि आसपास के लोगों में किसी तरह का भाई का माहौल न रहे, यह प्राथमिकता में शामिल है. इसी को देखते हुए पुलिस ने पिछले दिनों एक बड़ा कांबिंग ऑपरेशन चलाया था, जिसमें एक ही दिन में 1018 अपराधियों के खिलाफ अभी भोपाल में कार्रवाई की.

उन्होंने कहा कि ऐसा बहुत कम होता है कि एक ही दिन में बड़ी तैयारी के साथ इतने लोगों पर कार्रवाई की जाए. पुलिस जब इस तरह की कार्रवाई करती है तो इसका असर धीरे-धीरे बाकी व्यवस्थाओं में भी दिखाई देता है. खासकर का असामाजिक तत्वों के खिलाफ जब पुलिस कार्रवाई करती है तो इसका असर कानून व्यवस्था और चुनावी तैयारी पर भी दिखाई देता है. आने वाले समय में क्योंकि चुनाव में अभी थोड़ा सा समय है, इसको देखते हुए हम लगातार कार्रवाई करेंगे. विशेष रूप से मादक पदार्थ, अवैध शराब के विरुद्ध और असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई की गति लगातार बढ़ाई जा रही है. हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि आने वाले चुनाव पूरी तरफ पारदर्शी रहेंगे. निष्पक्ष होंगे और एक बड़े ही सुरक्षित माहौल में होंगे.

आम लोगों को किसी तरह की समस्या ना हो

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि कोई भी व्यवस्था तभी बेहतर मानी जाती है, जब उसमें जनता सुकून के साथ रहे. पुलिस की कार्रवाई का उद्देश्य कभी भी यह नहीं होता की जनता परेशान हो. कार्रवाई का मकसद जनता को सुरक्षित बनाना और सामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाना है. इसीलिए चुनावी प्रशिक्षण के दौरान विशेष ध्यान रखा जाता है कि आम जनता को किसी भी तरह की समस्या ना हो और जनता इस पूरी प्रक्रिया से खुद को कनेक्ट करे, खुद को उसका हिस्सा माने. जनता ध्यान रखें कि उसके आसपास कोई संदिग्ध या गैर कानूनी गतिविधि हो रही है तो उसकी जानकारी पुलिस को दे और हमारे पास इस तरह की जानकारी लगातार आ भी रही है.

उन्होंने कहा कि हम लोगों ने यहां पर “ऑपरेशन अंकुश” के तहत कार्रवाई की जोकि खासतौर पर मादक पदार्थों के लिए होता है, वह चलाया था. उसमें पिछले दिनों बड़ी कार्रवाई हुई. अगर हम पिछले तीन-चार महीना की बात करें तो उसमें 5 से 10 करोड़ तक तक की कार्रवाई की. विशेष रूप से नेपाल बॉर्डर से होने वाली चरस समेत अन्य मादक पदार्थों की सप्लाई को लेकर करवाई की. इस तरह बड़ी घटनाओं को लेकर पुलिस को लगातार सूचनाओं मिलती हैं जिसके आधार पर अपराधियों को निशाने पर लिया जाता है.

संसाधनों की कमी जवाब

भोपाल पुलिस कमिश्नर ने कहा कि थोड़ी सी चुनौतियां निश्चित तौर पर रहती हैं. इस सिस्टम से पुलिस के सामने जिम्मेदारियां बढ़ जाती है लेकिन जो भी संसाधन उपलब्ध हैं उनमें पुलिस ने बेहतर परफॉर्म करके दिखाया है. खास तौर पर अगर हम भोपाल की बात करें. अगर हम पिछले 1 वर्ष का अध्ययन करें तो 1 जनवरी तक आईपीसी के अपराध है, उसमें 6% की कमी दर्ज हुई है. जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और उसे अनुपात में हम काफी बेहतर कर रहे हैं. जनसंख्या के हिसाब से अपराध नहीं बढ़ रहे हैं बल्कि और कमी आ रही है तो यह कहीं ना कहीं पुलिस की बड़ी उपलब्धि है.

उन्होंने कहा कि भास्कर हत्या जैसे अपराधों में 42 फ़ीसदी की कमी आई थी इस वर्ष. महिला संबंधी अपराधों में 16% की कमी आई है. यह पुलिस कमिश्नरी की बेहतर प्रणाली का नतीजा है. जहां तक बाल और संसाधनों की कमी का सवाल है तो हम आसानी भी थे कि आने वाले दिनों में दोनों में वृद्धि होगी. इसके लिए प्रक्रिया चल रही है भर्ती भी की जा रही है. इसके बाद व्यवस्था जो है वह बहुत अच्छी होगी.

व्यावसायिक राजधानी इंदौर की तुलना में भोपाल के अपराध किस तरह अलग

इस सवाल का जवाब देते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा कि किसी भी शहर की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियां अपराध के नेचर को तय करती हैं. अगर हम इंदौर भोपाल की तुलना करें तो दोनों शहरों की एक तो आबादी में बड़ा अंतर है. भोपाल से लगभग दोगुनी जनसंख्या इंदौर में रहती है. इंदौर में आबादी की सघनता के कारण चुनौतियां बढ़ जाती हैं. शहर के आसपास की परिस्थितियों के आधार भी अपराधी पैदा होते हैं. ऐसे में इन अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस भी उसे हिसाब से खुद को ढाल लेती है.

उन्होंने कहा कि अगर हम प्रदेश की बात छोड़ दें और अलग-अलग राज्यों को देखें तो वहां की पुलिस की प्रणाली में थोड़ा सा अंतर दिखाई देगा. अगर खास तौर पर हम उनकी सामाजिक संरचना को देखें तो बड़ा अंतर दिखाई देता है. इंदौर और भोपाल में दोनों जगह पुलिस ने बड़ी सशक्तता के साथ काम किया है. लेकिन निरपेक्ष रूप से अगर तुलना करें तो भोपाल में कानून व्यवस्था को लेकर चुनौतियां बहुत ज्यादा है. यहां पर सुरक्षा व्यवस्था से चाक चौबंद जो लोग हैं, उनकी व्यवस्था भी पुलिस देखती है. हालांकि भोपाल में संवेदनशील अपराध और सुनियोजित अपराधों की संख्या काफी कम है. इंदौर में उस तरह के अपराध जनसंख्या ज्यादा होने से ज्यादा दिखाई देते हैं. हालांकि कानून व्यवस्था को लेकर वहां चुनौतियां कम हैं.

साइबर अपराध से निपटने के लिए भी कर रहे तैयारी

हरि नारायण चारी मिश्रा ने कहा कि पिछले 10 सालों में हमारी परिस्थितियों को जो सबसे ज्यादा किसी ने बदला है और यहां तक की सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित किया है. राजनीतिक ताने-बाने से लेकर आर्थिक ढांचे को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो वह है तकनीक. और तकनीक से अपराधी छूटा नहीं है. आधुनिक चुनौती को अगर हम देखें तो इससे पुलिस की चुनौतियां कई गुना बढ़ी हैं. खास तौर पर पिछले 5 सालों में इनका स्वरूप बदला है. इसका एक उदाहरण मैं आपको बताना चाहता हूं. पिछले दिनों हमने बहुत बड़ा नेटवर्क पकड़ा था, एक जिले में. जब हमने वहां पर अपराधियों को पकड़ कल आए जो “कॉल स्पूफिंग” यानी की वह किसी का भी नंबर आपके मोबाइल पर डिस्प्ले करके “साइबर फ्रॉड” करते थे. जब इस केस की पड़ताल करी तो पाया कि संबंधित 20 हजार आबादी वाले गांव में लगभग 3000 लोग इस धंधे से जुड़े हैं. आगे और पड़ताल की तो पता चला कि उसे जिले में ऐसे 8 से 10 गांव थे.

उन्होंने कहा कि सोचिए साइबर क्राइम से जुड़े इस नेटवर्क में 25 से 30000 के ग्रामीण थे. आप सोच सकते हैं कि इस तरह के अपराधियों का विस्तार कि तेजी से हो रहा है. यह चुनौती तेजी से बढ़ रही है इसलिए संसाधन प्रशिक्षित स्टाफ का होना बेहद जरूरी है, इस दिशा में लगातार सुधार के प्रयास जारी हैं. पुलिस इन अपराधियों पर तो नकल कैसे ही लेकिन साथ-साथ में आम लोगों को जागरूक करें यह भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. यह स्वरूप भी समय के हिसाब से बदलते हैं जैसे ही वित्तीय वर्ष खत्म होने पर आया तो लोगों के पास फ्रॉड करने के लिए फोन करने लगे क्या आपका पैन कार्ड और आधार कार्ड जुदा नहीं है अतः हम लिंक भेज रहे हैं उसे पर क्लिक करें. यह आपके पास ओटीपी आया है उसका नंबर बता दे. ऐसे में अगर आम आदमी जागरूक नहीं है तो उसे लगता है सचमुच यह फोन सही है और वह उनके ट्रैप में फंस जाता है.

पुलिस कमिश्नरी के सिस्टम के प्रचार प्रसार करने से जुड़े सवाल पर उनका जवाब था, ‘बिल्कुल ठीक बात है पुलिस कमिश्नरी में एक सिस्टम है और उसके तहत लोग प्रथम दृष्टि वहां मदद के लिए वहां जाएं, यह होना चाहिए और हो भी रहा है. कई बार किसी विशेष प्रकरण में चाहते हैं कि शीर्ष अधिकारी के पास जाएंगे तो ठीक होगा इसलिए वह पुलिस कमिश्नर के कार्यालय आते हैं.’

पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग पर जोर

पुलिस से जुड़ी व्यवस्था पर सवाल का जवाब देते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा, ‘जब कॉरपोरेट सेक्टर में काम करते हैं तो किसी सिस्टम का जब मूल्यांकन किया जाता है तो सबसे पहले उसके स्टेकहोल्डर्स से फीडबैक लेते हैं. उस बारे में बात करते हैं, मूल्यांकन की प्रकिया देखते हैं उसके बाद हम सही निष्कर्ष पर पहुंच पाते हैं. यह बात सरकारी संगठन के लिए भी उतनी ही उपयोगी है. हमारे सिस्टम से जुड़ी हुई जनता हमारी सबसे बड़ी स्टेकहोल्डर है और सबसे बड़ा मूल्यांकन वही करती है. पुलिस की लगातार कोशिश है कि जो सुनवाईया हों, उसके लिए हम हर थाने में जो शिकायतकर्ता आते हैं, उसके लिए वहां फीडबैक फॉर्म दिए गए हैं.’

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उन्होंने कहा कि लोगों के पास फीडबैक लेने के लिए हमारे ऑफिस से फोन जाते हैं. कार्यालय में जो लोग आते हैं, उनसे पूछा जाता है कि क्या समस्या है क्या बेहतर है यानी हमारी हर स्तर पर कोशिश है कि लगातार जनहित को ध्यान में रखते हुए सुधार किया जाए. इसका फायदा यह होगा कि हमारा सिस्टम ज्यादा उन्नत और ज्यादा पारदर्शी होगा ताकि आम व्यक्ति जो कि पीड़ित होता है उसकी तत्काल समाधान निकाले उसे राहत मिले.

विस्तार न्यूज़ के लिए संदेश

भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने विस्तार न्यूज़ हेडक्वार्टर का मुआयना किया और बताया कि वह तमाम टीवी चैनलों में जा चुके हैं लेकिन आपका सिस्टम सबसे आधुनिक है. संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग किया है और आपके पास एक बड़ी मजबूत और जवान टीम है. बृजेश जी के नेतृत्व में आप के साथ जो पूरी टीम है एक अलग तरह की पहचान रखती है. खबरों की दुनिया में आप लोगों का अपना एक मुकाम है रहेगा.

अपने संदेश में उन्होंने कहा किनिश्चित तौर पर इसका फायदा आगे भी आप लोगों को मिलेगा. खबरिया चैनल की जो पहचान होती है पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करते हुए लोगों तक पहुंचे यह आप क्या हो रहा है. आपको शुभकामना देता हूं कि आपकी खबरों का विस्तार हो.. साख का विस्तार हो… अनंत कलेवर लिए खबरों की दुनिया में काफी ऊंचाइयों तक पहुंचे और नई संभावनाओं का विस्तार हो.

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