Lok Sabha Election 2024: चुनौतियां अपार…कैसे होगी कांग्रेस की नैया पार?

Lok Sabha Election 2024: विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए अपनी जमीन बचाए रखना बड़ी चुनौती है.
jitu patwari

जीतू पटवारी (फाइल फोटो)

Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस भले ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटने का दावा कर रही है. लेकिन उसके लिए 23 प्रतिशत से अधिक मतों के अंतर की खाई को पाटना किसी चुनौती से कम नहीं है. दिल्ली में कांग्रेस की आज अहम बैठक है. इस बैठक में राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष ओर प्रदेश प्रभारियों से लोकसभा चुनाव की तैयारियों का खाका मांगा गया है.

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी और प्रदेश प्रभारी भवर जितेंद्र सिंह भी बैठक में शामिल हैं. विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए अपनी जमीन बचाये रखना बड़ी चुनौती है. पिछले लोकसभा चुनाव में उसे महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था. इस स्थिति में सुधार के लिए कांग्रेस को जमकर पसीना बहाना पड़ सकता है.

28 सीटों पर बीजेपी का कब्जा

मौजूदा वक्त में मध्यप्रदेश में बीजेपी के पास 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर बढ़त है. कांग्रेस के पास छिंदवाड़ा की एक मात्र सीट है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं. छिंदवाड़ा को कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है. हाल के विधानसभा चुनाव में भी छिंदवाड़ा प्रदेश के उन दो जिलों में से एक रहा जहां कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया. बाकी जिलों में उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.

बढ़ रहा बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत का अंतर

विधानसभा चुनाव में उसके वोट शेयर में भी गिरावट आई है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव की ही बात करें तो वर्ष 2019 के चुनाव में बीजेपी को 58 प्रतिशत और कांग्रेस को 34.5 प्रतिशत वोट मिले थे. यानी 23 प्रतिशत का अंतर रहा है. इसी प्रकार वर्ष 2014 के चुनाव में बीजेपी को 54.02 और कांग्रेस को 34.89 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. वहीं 2009 के चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस की तुलना में सिर्फ 3.31 प्रतिशत वोट ही अधिक मिले थे.

इस तरह चुनाव दर चुनाव कांग्रेस के लिए यह अंतर बढ़ता गया. आगामी अप्रैल-मई में लोकसभा के अगले चुनाव संभावित हैं. इधर हाल के विधानसभा चुनाव में अपना वोट शेयर करीब साढ़े 8 फीसद तक बढ़ाने में सफल रही बीजेपी लोकसभा चुनाव में इसे 51 प्रतिशत करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही है. लोकसभा चुनाव में तीसरे दल बेअसर रहे हैं. बीएसपी को छोड़ दें तो पिछले दो लोकसभा चुनाव में कोई भी क्षेत्रीय दल एक प्रतिशत वोट भी नहीं पा सका. इसके इतर निर्दलीय करीब चार प्रतिशत तक वोट हासिल करते रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस की राह आगामी लोकसभा चुनाव में आसान नहीं नजर आ रही है.

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