Lok Sabha Election 2024: ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी का क्या है ‘मिशन 2024’? कांग्रेस की ‘कड़ी’ को तोड़ने के लिए अमित शाह ने चली कौन सी चाल
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस को तोड़ने की रणनीति बनाने आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का टारगेट कांग्रेस के कार्यकर्ता भी हैं. अभी तक कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज पार्टी को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. लेकिन अब शाह की नजर उन कार्यकर्ताओं पर है जो हर बूथ स्तर को मजबूत बनाए हुए हैं. बैठक में शाह ने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह ज्यादा से ज्यादा संख्या में कांग्रेस के हर बूथ कार्यकर्ता को पार्टी में शामिल कराएं, ताकि कांग्रेस में कोई बस्ता उठाने वाला न बच सके. वहीं भारत जोड़ो न्याय यात्रा ग्वालियर-चंबल अंचल से मध्य प्रदेश से प्रवेश कर रही है.
क्या है शाह की रणनीति?
भाजपा मिशन 2024 के साथ साथ ग्वालियर-चंबल अंचल को कांग्रेस विहीन करने में जुटी हुई है, क्योंकि प्रदेश में ग्वालियर चंबल-अंचल एक ऐसा इलाका है जहां सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस अभी भी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. अभी हाल में ही हुए विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल की 34 सीटों में से कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की. सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस का नेतृत्व करने वाला भले ही कोई नहीं है, लेकिन इसके बावजूद कार्यकर्ता पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए पूरी तरह मेहनत कर रहे हैं और अब इन्हीं कार्यकर्ताओं पर अमित शाह की नजर है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चाहते हैं कि ग्वालियर-चंबल अंचल में अब कांग्रेस की मजबूत कड़ी मनी जाने वाली बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में तोड़ा जाए ताकि कांग्रेस पूरी तरह टूट जाए. इसलिए अबकी बार इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी की नजर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर रहेगी. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी का नेतृत्व और बड़े नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना उन्हें निराश कर रहा है. इसलिए मौके का फायदा उठाकर बीजेपी पूरी तरह इस इलाके को कांग्रेस विहीन करना चाहती है.
कांग्रेस ने कहा, जोड़तोड़ की नीति अपना रही बीजेपी
वही कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि कांग्रेस एक महासमुंद्र है. पीएम मोदी कांग्रेस युक्त भाजपा करना चाहते हैं क्योंकि भाजपा के पास कुछ बचा नहीं है. इसलिए वह कांग्रेस की तरफ निगाह किए हुए हैं और जोड़-तोड़ की राजनीति कर रहे हैं.