Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस को एक अहम निर्देश दिया है. न्यायालय ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़िताओं के मेडिकल टेस्ट के साथ उनकी प्रेग्नेंसी जांच भी होनी चाहिए. वर्तमान में प्रेग्नेंसी जांच में देरी और कोर्ट की मंजूरी के चलते गर्भपात पर निर्णय लेने में देर होती है. इसे लेकर डीजीपी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
एसपी को जारी किए जाएंगे निर्देश
प्रदेश में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के कारण गर्भपात के मामले सामने आ रहे हैं. इसे देखते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय ने मेडिकल जांच के दौरान ही प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जाए. फिलहाल जांच में देरी होने से और कोर्ट की मंजूरी मिलने में लगने वाले समय के कारण गर्भपात पर निर्णय लेने में देर होती है. न्यायालय ने डीजीपी को इस निर्देश के पालन के लिए कहा है. इसके साथ ही प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए गए है कि नाबालिग रेप पीड़िताओं का प्रेग्नेंसी टेस्ट, मेडिकल जांच के दौरान ही कराया जाए.
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— Vistaar News (@VistaarNews) June 29, 2025
हाई कोर्ट जारी कर चुका है गाइडलाइन
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसी साल फरवरी में एक गाइडलाइन जारी की थी. इसके मुताबिक अगर नाबालिग लड़की 24 हफ्ते या उससे ज्यादा गर्भवती हो तो तो गर्भपात के लिए हाई कोर्ट से अनुमति जरूरी है. जिला अदालतों से भी ऐसे मामलों में सावधानी बरतने के लिए कहा गया है.
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इसे लेकर सरकार की ओर से कहा गया था कि 24 हफ्ते के बाद गर्भावस्था को समाप्त करना जोखिम भरा होता है. भ्रूण 6 या 7 हफ्ते के बाद जीवित हो जाता है और जब भ्रूण पहले से ही जीवित होता है, तब देर से गर्भावस्था को समाप्त करने का निर्णय और भी जटिल हो जाता है. इससे पीड़िता और जीवित भ्रूण दोनों को खतरा होता है.
