OBC Reservation: MP News: सुप्रीम कोर्ट में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर होने वाली सुनवाई टल गई है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी. उच्चतम न्यायालय में बुधवार से रोजाना इस मामले में सुनवाई होनी थी, इसे ‘टॉप ऑफ द बोर्ड’ लिस्ट में रखा गया था. कोर्ट ने दोनों पक्षों को दलील पेश करने के लिए कहा है.
कोर्ट ने कहा कि कोई मजाक नहीं चल रहा है. यह बहुत गंभीर मामला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जा रहा है कि कोर्ट का कहना है कि हम तो इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हैं लेकिन कोई पहल करने के लिए तैयार ही नहीं है.
राज्य सरकार की ओर से तुषार मेहता रखेंगे पक्ष
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षा परिणाम जारी करने के लिए 87-13 फॉर्मले का अपनाया है. अब इसी फॉर्मूले के खिलाफ ओबीसी स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ-साथ तमिलनाडु के एडवोकेट और राज्यसभा सांसद पी. विल्सन और शंशाक रतनू पक्ष रखेंगे.
वर्तमान में क्या स्थिति है?
मध्य प्रदेश में फिलहाल अनुसूचित जाति को 16 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 20 फीसदी, ओबीसी को 14 प्रतिशत और EWS को 10 परसेंट आरक्षण मिलता है. इस तरह कुल आरक्षण 60 फीसदी हो जाता है. यदि अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलता है तो ये सीमा 73 फीसदी पहुंच जाएगे.
13 फीसदी पदों को होल्ड करने पर चुनौती
दरअसल, MPPSC परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए 87-13 फॉर्मूला अपनाता है. इस फॉर्मूले के अनुसार मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के परिणाम दो भाग में जारी किए जाते हैं. 87 फीसदी वाले भाग को मुख्य रिजल्ट के रूप में जारी कर दिया जाता है, वहीं 13 फीसदी वाले भाग को होल्ड पर रख दिया जाता है. यही सबसे बड़े विवाद की जड़ है, क्योंकि अंतिम परिणाम जारी होने के बाद भी होल्ड पदों का रिजल्ट जारी नहीं किया जाता है.
