मध्य प्रदेश पुलिस का ‘हम होंगे कामयाब’ नवाचार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, महिला सुरक्षा में ऐतिहासिक उपलब्धि
MP News: मध्य प्रदेश पुलिस की महिला सुरक्षा शाखा द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रोकथाम और पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए चलाए गए नवाचार ‘हम होंगे कामयाब’ को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. इस पहल को 29 अगस्त 2024 को हैदराबाद में तेलंगाना पुलिस महिला सुरक्षा विंग द्वारा आयोजित नेशनल टेक्निकल कंसल्टेशन समारोह में पुरस्कार मिला. एसएसपी किरणलता केरकट्टा ने इस पुरस्कार को प्राप्त किया. यह मध्य प्रदेश पुलिस के लिए गर्व का क्षण था.
पुरस्कार समारोह
हैदराबाद में आयोजित इस समारोह में विभिन्न राज्यों की पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हुए. मध्य प्रदेश पुलिस की ओर से एसएसपी किरणलता केरकट्टा ने पुरस्कार प्राप्त किया. समारोह के दौरान, पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना ने इस नवाचार की सराहना की और महिला सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए राज्य के विभिन्न विभागों और संगठनों की प्रतिबद्धता की सराहना की. उन्होंने सभी संबंधित पक्षों को प्रोत्साहित किया कि वे मिलकर काम करें और महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करें.
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‘हम होंगे कामयाब’ अभियान
‘हम होंगे कामयाब’ एक समन्वित पहल है, जो महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रोकथाम, महिला जागरूकता, और पीड़िताओं के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करती है. इस पहल में तीन प्रमुख तत्व—प्रिवेंशन (रोकथाम), प्रोटेक्शन (सुरक्षा), और प्रॉसिक्यूशन (अभियोजन)—पर ध्यान दिया गया है. इस पहल के तहत, मध्यप्रदेश पुलिस महिला सुरक्षा शाखा ने राज्य के विभिन्न विभागों और एनजीओ के साथ मिलकर एक व्यापक योजना बनाई है. इसमें महिला एवं बाल विकास विभाग, ग्रामीण आजीविका मिशन, पर्यटन विभाग, श्रम विभाग, पंचायत विभाग और अन्य गैर-सरकारी संगठनों का सहयोग शामिल है.
‘हम होंगे कामयाब’ की शुरुआत इंदौर और उज्जैन रेंज के सात थानों में की गई. महिला उर्जा डेस्क की स्थापना के साथ, इन थानों में सभी स्टेक होल्डर मिलकर कार्य कर रहे हैं. अब तक, 150 पीड़िताओं की पहचान की गई है और उनके मानसिक स्वास्थ्य की काउंसलिंग की गई है. पीड़िताओं को आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूह से जोड़ने की कोशिश की जा रही है ताकि उनका पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके. इस पहल का उद्देश्य महिला अपराधों की रोकथाम, नियंत्रण, और अभियोजन के साथ-साथ पीड़िताओं को समाज में पुनर्वासित करना है. इस मॉडल को अब अन्य विभागों और राज्यों में भी लागू करने की योजना है.