रीवा के अजय कैला ने रचा इतिहास, खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 में पेंचक सिलाट में स्वर्ण पदक जीता

अजय ने पेंचक सिलाट के 75 किलोग्राम टैंडिंग इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया है.
Ajay Kela

अजय केला

Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के उभरते हुए खिलाड़ी अजय कैला ने खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. अजय ने पेंचक सिलाट के 75 किलोग्राम टैंडिंग इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल रीवा बल्कि पूरे मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया है. यह पहली बार है जब रीवा का कोई खिलाड़ी खेलो इंडिया बीच गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा है, साथ ही वे इस आयोजन में भाग लेने और स्वर्ण पदक हासिल करने वाले रीवा के पहले और एकमात्र एथलीट बन गए हैं.

पहली बार दमन और दीव में आयोजित इस खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025 में अजय ने अपनी प्रतिभा और कठिन मेहनत का लोहा मनवाया. पेंचक सिलाट, एक इंडोनेशियाई मार्शल आर्ट, में उनकी कुशलता और तकनीक ने उन्हें इस प्रतिस्पर्धा में अव्वल स्थान दिलाया. इस जीत ने रीवा के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है, क्योंकि अजय इस आयोजन में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं.

अजय कैला ने अपनी जीत पर खुशी जताते हुए कहा, “यह मेरे लिए गर्व का क्षण है. मैंने कड़ी मेहनत की थी और इस स्वर्ण पदक को रीवा और मध्य प्रदेश के लोगों को समर्पित करता हूँ. खेलो इंडिया जैसे मंच ने हमें अपनी प्रतिभा दिखाने का शानदार अवसर दिया.” रीवा के खेल प्रेमियों और स्थानीय प्रशासन ने अजय की इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया है. उनके कोच और स्थानीय खेल संगठनों का कहना है कि अजय की यह जीत युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी. यह उपलब्धि न केवल रीवा के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है कि मेहनत और लगन से किसी भी क्षेत्र में शिखर तक पहुँचा जा सकता है.

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खेलो इंडिया बीच गेम्स 2025, जो 19 से 24 मई तक दमन और दीव के घोघला बीच पर आयोजित हुआ, में पेंचक सिलाट सहित छह मेडल स्पोर्ट्स और दो प्रदर्शनी खेल शामिल थे. इस आयोजन में देश भर से 1000 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया, और अजय कैला की इस जीत ने रीवा को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दी है. अजय की इस उपलब्धि ने न केवल उनके गृहनगर रीवा को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ी भी राष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ सकते हैं.

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