MP By-Election: स्टार प्रचारक होने के बाद भी विजयपुर नहीं पहुंचे सिंधिया, गुटबाजी या नाराजगी? जानें वजह

MP By-Election: मध्य प्रदेश की विजयपुर सीट पर उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों और पार्टियों ने पूरा जोर लगा दिया है. CM मोहन यादव समेत वरिष्ठ नेता यहां प्रचार करने के लिए पहुंचे, लेकिन स्टार प्रचारक होने के बावजूद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं आए, जिसकी पीछे की वजह को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
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विजयपुर उपचुनाव

MP By-Election: मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार आज पूरी तरह से थम चुका है, लेकिन BJP की प्रतिष्ठा की लड़ाई वाली विजयपुर सीट अब इस प्रचार को लेकर चर्चाओं में आ गई है. यहां प्रचार के लिए प्रदेश के मुखिया सहित BJP के तमाम बड़े दिग्गज नेता मैदान में उतरते हुए नजर आए, लेकिन पार्टी के स्टार प्रचारक और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरे प्रचार के दौरान गायब रहे. पार्टी द्वारा स्टार प्रचारक बनाए जाने के बाद भी सिंधिया एक भी बार विजयपुर क्यों नहीं पहुंचे एक बड़ा सवाल बन गया है.  इसे लेकर गुटबाजी और नाराजगी दोनों की बात सामने आ रही है.

विजयपुर में कांटे की टक्कर

विजयपुर विधानसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चाओं में रही है क्योंकि यहां पर BJP और कांग्रेस की कड़ी टक्कर मानी जा रही है. यही वजह है कि BJP ने यहां प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है.  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद 5 बार आकर क्षेत्र में ताबड़तोड़ रैलियां और प्रचार किया. वहीं, जातिगत समीकरण को बैठाने के लिए उन्होंने दो बार रात्रि विश्राम भी किया.

नहीं पहुंचे केंद्रीय मंत्री सिंधिया

सीएम के अलावा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी जातिगत समीकरण को बैठाने के लिए रणनीति बनाते हुए नजर आए. साथ ही डिप्टी सीएम से लेकर 12 से ज्यादा कैबिनेट मंत्री पूरे समय प्रचार करते हुए नजर आए. BJP की ओर से मध्य प्रदेश के तमाम बड़े दिग्गज नेता प्रचार के लिए पहुंचे, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री पूरी तरह गायब रहे. इस उप चुनाव में सिंधिया के ना आने को लेकर उनके समर्थक मंत्री सफाई दे रहे हैं. उनका कहना है कि उनको झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में जिम्मेदारी दे दी गई है इसलिए यहां आने का समय नहीं मिल पाया.

क्या BJP प्रत्याशी से नाराज हैं सिंधिया?

विजयपुर विधानसभा सीट पर BJP ने वन मंत्री रामनिवास रावत को मैदान में उतारा है. BJP प्रत्याशी रावत के सिंधिया परिवार से गहरे और बहुत पुराने रिश्ते रहे हैं. रामनिवास स्व. माधवराव सिंधिया के भी बेहद करीबी रहे हैं. उन्हीं के कोटे से वह दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी उनके रिश्ते वैसे ही थे, लेकिन जब साल 2020 में ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस छोड़ी तो रामनिवास उनके साथ नहीं आए. सिंधिया परिवार के करीबी रहने के बावजूद जब रामनिवास रावत ने कांग्रेस नहीं छोड़ी, तब से ज्योतिरादित्य नाराज चल रहे हैं.

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गुटबाजी की चर्चाएं

इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों का विजयपुर विधानसभा के उपचुनाव में प्रचार के लिए न जाना एक दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है. लोकसभा चुनाव के समय रामनिवास रावत के भाजपा में लाने के पीछे अहम भूमिका ग्वालियर-चंबल अंचल के बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर की मानी जाती है.  इसका सीधा फायदा भी लोकसभा चुनाव में BJP को हुआ. BJP ने मुरैना सीट पर जीत दर्ज की.

कांग्रेस ने लगाए आरोप

मार्च 2020 से पहले तक सिंधिया समर्थक रहे रामनिवास रावत की गिनती अब BJP में नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों में होती है. यही कारण है कि उपचुनाव में रामनिवास रावत को जीत दर्ज कराने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरी चुनावी कमान अपने हाथों में संभाल ली है. लगातार चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं. वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री और नेताओं ने विजयपुर उपचुनाव से दूरी बना ली है. इस पूरे उपचुनाव में सिंधिया के गायब होने पर कांग्रेस ने BJP में गुटबाजी होने का भी आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि सिंधिया अपने आप को प्रदेश नहीं बल्कि वैश्विक नेता समझने लगे हैं.

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मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के BJP में आने के बाद से ही ग्वालियर-चंबल की राजनीति में असंतुलन की स्थिति बनी हुई है. ग्वालियर-चंबल की BJP नई और पुरानी BJP में बंट गई है.  यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच अंदरूनी वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है क्योंकि दोनों बड़े दिग्गज नेता अपने आपको ग्वालियर-चंबल अंचल का सबसे बड़ा नेता मानते हैं.

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