MP News: नकल माफियाओं के कब्जे में जीवाजी विश्वविद्यालय, पैसे लेकर पास कराने की दी जाती है गांरटी!

Exam cheating: जीवाजी यूनिवर्सिटी के संबद्धता रखने वाले लगभग 450 से अधिक कॉलेज हैं जिनमें अधिकांश कॉलेज भिंड, मुरैना और दतिया में संबंधित हैं.
Gwalior exam in jivaji university

ग्वालियर के सबसे प्रतिष्ठित जीवाजी विश्वविधालय अब शिक्षा मफियाओं का अड्डा बन चुका है.

JU Exams 2024: मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल इलाका वैसे तो रेत माफिया के लिए बदनाम है लेकिन यहां अब नकल माफिया भी सबसे ज्यादा हावी है. हालात ऐसे हैं कि यहां छात्रों से पैसे लेकर उन्हें पास कराने तक की गारंटी का ठेका लिया जाता है. मतलब यहां कोई भी फेल नहीं होता है.. ग्वालियर में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय जो कि वर्तमान में नकल को लेकर काफी बदनाम होती जा रही है. यहां जीवाजी विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में खुलेआम नकल कराई जाती है और यह सिलसिला कई दशकों से जारी है.

शिक्षा माफिया की गिरफ्त जीवाजी विश्वविद्यालय

चंबल में कई दशकों से नकल माफिया के लिए बदनाम जीवाजी विश्वविद्यालय इस समय शिक्षा माफिया की गिरफ्त में पूरी जकड़ चुका है. जैसे ही जीवाजी विश्वविद्यालय की परीक्षाओ का समय आता है तब अंचल में नकल कराने वाले माफिया काफी सक्रिय हो जाते हैं. ग्वालियर चंबल संभाग में जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता रखने वाले दो सैकड़ा से अधिक प्राइवेट महाविद्यालय है जिनमे खुलेआम छात्रों को नकल कराने का ठेका लिया हैं और फिर छात्रों ने मोटी रकम वसूल कर इन महाविद्यालयों में खुलेआम नकल कराई जाती है. इसे रोकने के लिए न तो अभी तक जीवाजी विश्वविद्यालय हिम्मत जुटा पाया है और नहीं प्रशासन का अमला इसे रोक पाता है. इन नकल माफियाओं के सामने जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने घुटने टेक दिए हैं.

मधुमक्खियां की तरह संचालित हो रहे प्राइवेट कॉलेज

बता दें कि ग्वालियर चंबल संभाग के मुरैना और भिंड ऐसे जिले हैं जहां मधुमक्खियां की तरह प्राइवेट कॉलेज संचालित हो रहे हैं और यह सभी कॉलेज सिर्फ नकल के सहारे ही चलते हैं, यहां नकल माफिया सिर्फ कॉलेज को व्यापार की तरह चलाते हैं. जब जीवाजी विश्वविद्यालय की परीक्षाएं संचालित होती है या फिर नकल माफिया के द्वारा छात्रों से पास करने की गारंटी लेकर ठेका कराया जाता है. इसके बदले उनसे मोटी रकम वसूली जाती है. यह नकल माफिया जीवाजी विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारियों तक पैसा पहुंचते हैं और उसके बाद यह छात्रों की भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं.

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मनचाही जगह परीक्षा केंद्र परीक्षा केंद्र बनवाते माफिया

चंबल में नकल माफिया कितने हावी है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब जीवाजी विश्वविद्यालय की परीक्षाएं संचालित होती है तो यह नकल माफिया पैसे देकर मनचाही जगह परीक्षा केंद्र परीक्षा केंद्र बनवाते है. इस पूरी कड़ी में माफियाओं के साथ स्थानीय केंद्रा अध्यक्ष और जीवाजी विश्वविद्यालय की बड़ी अधिकारियों की मिलीभगत होती है. इस नकल को रोकने के लिए यहां से फ्लाइंग स्कॉट की टीमें कॉलेजों में जाती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इन अधिकारियों और माफियाओं की गठजोड़ के कारण यह टीमें वापस लौट आती है. जीवाजी विश्व विद्यालय के कुलपति अविनाश तिवारी ने माना है कि दो ऐसे हैं मुरैना और भिंड जहां पर छात्र संख्या अधिक है इसलिए हम अशासकीय महाविद्यालय को अधिकृत करके परीक्षा केंद्र बनते हैं, लेकिन लोकल लेवल पर जो केंद्राअध्यक्ष होते हैं उनकी मिलीभगत रहती है इसलिए नकल चलती है.

जीवाजी विश्वविद्यालय नकल को ही बढ़ावा देता:  वंश माहेश्वरी (NSUI उपाध्यक्ष)

जीवाजी यूनिवर्सिटी के संबद्धता रखने वाले लगभग 450 से अधिक कॉलेज हैं जिनमें अधिकांश कॉलेज भिंड, मुरैना और दतिया में संबंधित हैं. यहां पर बड़ी संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा देते हैं लेकिन यह परीक्षाएं सामान्य परीक्षार्थियों की तरह नहीं बल्कि सामने गाइड रखकर और अलग-अलग तरीकों से नकल करवाई जाती हैं. यहां छात्र ही नहीं बल्कि अध्यापक और कॉलेज के प्रिंसिपल तक नकल कराने में संलिप्त रहते हैं जब भी छापामार कार्रवाई होती है तब दर्जनों नकलची पकड़े तो जाते हैं. एनएसयूआई के उपाध्यक्ष वंश माहेश्वरी का कहना है कि जीवाजी विश्वविद्यालय में नकल माफिया का एक बड़ा ग्रह है और अंदाज आप इसे लगा सकते हैं कि जीवाजी विश्वविद्यालय सरकारी महाविद्यालय को छोड़कर प्राइवेट महाविद्यालय में परीक्षा केंद्र बना रहा है ताकि नकल आसानी से हो सके. जीवाजी विश्वविद्यालय नकल को ही बढ़ावा देता है और इसके बदली वह नकल माफिया से मोटी रकम लेते हैं.  इसको लेकर हम लगातार विरोध भी करते हैं यह इतने बेशर्म हो चुके हैं कि उनके कानों तक आवाज नहीं पहुंचती है. जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति और कुल सचिव ऐसे निजी महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र बनाते है जहां कोई व्यवस्था नहीं है वहां आसानी से नकल कराई जा सके.

A++ ग्रेड का मिला है दर्जा

नकल के लिए बदनाम जीवाजी विश्वविद्यालय को अभी हाल में ही ए प्लस प्लस का दर्जा हासिल मिला है. लेकिन हालात ऐसे हैं कि जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्धता रखने वाले ग्वालियर चंबल अंचल के कॉलेज नकल के लिए काफी बदनाम हैं और इस नकल माफियाओं की चेन तोड़ने के लिए भले ही जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन दावे करता है, लेकिन असल में सच्चाई यह है कि नकल माफिया और अधिकारियों की मिली भगत के चलते बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

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