MP News: मुरैना के पशु अस्पताल में महीनों से लगा है ताला, प्राइवेट में इलाज कराने को मजबूर पशुपालक

MP News: जिला मुख्यालय जहां सभी अधिकारी रहते हैं. अगर वहां ही अस्पताल में ताले लगे हैं तो ग्रामीण अंचल के अस्पतालों की क्या स्थिति होगी, यह जांच का विषय है. ले
The hospitals in rural areas are locked.

ग्रामीण अंचल के अस्पताल में ताले लगे हैं.

मनोज उपाध्याय-

MP News: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीणों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का अधिकारियों की अनदेखी के चलते निरंतर क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. इसका उदाहरण मुरैना जिले के नगर निगम के वार्ड क्रमांक एक बायपास रोड मुडिय़ा खेड़ा गांव में बना पशु अस्पताल है जो अक्सर बंद रहता है. ग्रामीण पशुपालकों को मजबूरन अपने बीमार पशुओं का इलाज प्राइवेट चिकित्सक से कराना पड़ रहा है. शासन की मुफ्त सुविधाएं होने के बाद भी ग्रामीणों को पैसा खर्च करके इलाज कराना पड़ रहा है.

पशु अस्पताल में एक डॉक्टर और एक महिला भृत्य पदस्थ है. रहवासियों के मुताबिक अस्पताल महीनों से नहीं खुला हैं क्योंकि अस्पताल के सामने दो तीन फीट ऊंचा घास खड़ा है. अगर अस्पताल खुलता तो निकलने जैसा रास्ता तो होता. अस्पताल के चारों तरफ बड़े-बड़े खरपतवार के पौधे खड़े हुए हैं जब विस्तार न्यूज़ की टीम सुबह 10:45 बजे अस्पताल पर पहुंची, तो देखा अस्पताल में ताला पड़ा है अस्पताल की दीवार पर डॉक्टर का नंबर लिखा था.

पशुपालकों की लगातार बढ़ रही मुसीबत

जिला मुख्यालय जहां सभी अधिकारी रहते हैं. अगर वहां ही अस्पताल में ताले लगे हैं तो ग्रामीण अंचल के अस्पतालों की क्या स्थिति होगी, यह जांच का विषय है. लेकिन अभी पशुपालकों की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं जानकरी के मुताबिक, खबर है कि पशु चिकित्सक प्राइवेट प्रेक्टिस करते हैं इसलिए अस्पताल पर नहीं पहुंचते.

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ग्रामीणों का कहना- कभी-कभार खुलता है अस्पताल

ग्रामीण इस बारे में लगातार शिकायत करते रहते है पशुपालक प्रमोद राजौरिया का कहना है कि, यहां का अस्पताल कभी-कभार खुलता है,  लेकिन यहां कोई इलाज नहीं होता. पशु बीमार होते हैं तो पशुपालक मजबूरी में प्राइवेट चिकित्सक से इलाज कराते हैं. वही एक अन्य पशुपालक श्रीनिवास राजौरिया कहते है कि, यहां कोई इलाज नहीं होता है. अस्पताल के चारों ओर झाड़ खड़े हैं. यहां डॉक्टर नहीं आते इसिलिए लोग अपने पशुओं का प्राइवेट डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं.

वहीं इस पूरे मामले पर यहां के रहवासी सोने राजौरिया का कहना है कि, डॉक्टर जब कभी आते हैं, आधा से एक घंटे मोबाइल चलाकर वापस हो जातें हैं. चिकित्सक के आने का कोई निश्चित समय व तारीख नहीं हैं.

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