MP News: भोपाल में बारिश ने बढ़ाई रहवासियों की चिंता, कई जगहों पर भरा पानी, लोग हो रहें परेशान

MP News: भोपाल नगर निगम की व्यवस्था कितनी है चाक-चौबंद है, इसकी पोल खुलनी शुरू हो गई है. बीते एक सप्ताह से जारी बूंदाबांदी और 23 जून और 26 जून की रातभर हुई रिमझिम बारिश में ही कई कॉलोनियों में घुटनों तक पानी भर गया है.
Rain in Bhopal increased the worries of the residents.

भोपाल में बारिश ने रहवासियों की चिंता बढ़ा दी.

MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की जनता साल 2016 और साल 2019 की बाढ़ आज भी नहीं भूल पाई है. क्या पुराना शहर, क्या नया शहर… कोलार… नर्मदापुरम रोड…. कटारा, रायसेन रोड, इंदौर रोड… करोंद और एयरपोर्ट रोड की बसाहट, कॉलोनी-मोहल्ले अवैध बस्तियां सब डूब में गए. रूह कंपा देने वाला यह मंजर लोगों की जेहन में इस तरह से बैठा हुआ है कि जैसे ही 2 घंटे बारिश हो जाए , उनके दिल बैठ जाते हैं. महिलाएं और बच्चे सोचने लगते हैं कहीं बाढ़ ना आ जाए. कहीं उनके जीवन भर की कमाई बाढ़ में तो ना बह जाएगी. उनका घर तो ना डूब जाएगा. बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे और बाढ़ के साथ आए सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़े-मकोड़े जीवन तो खत्म ना कर देंगे…. जैसे तमाम सवाल उनके जेहन में घूम जाते हैं.

पहली से बारिश में ही लोगों की चिंता बढ़ी

दरअसल, मानसून के दरमियान बाढ़ से घिर जाने की चिंता में घुल रहे भोपाल के लोगों की इस चिंता की वजह भी है. बारिश के दरमियान लोगों को रात-रातभर यह चिंता सोने नहीं देती, क्योंकि भोपाल नगर निगम के आला अफसर और जमीनी अमला लापरवाह है. नगर निगम के जिम्मेदार हर साल मानसून से पहले चाक-चौबंद व्यवस्था करने के दावे करते हैं. लेकिन हकीकत यह है मानसून के लिए जिस तरह के इंतजाम करने चाहिए, नहीं करते. नाले-नालियों की गाद नहीं हटाते. कचरे के ढेर साफ नहीं करवाते. खुदी हुई सड़कें और गड्ढे नहीं पाटते. जैसे शहर से उन्हें कोई लेना-देना ही नहीं है.

प्री मानसून एक्टिविटीज में ही खुलने लगी नगर निगन की पोल

वर्ष 2024 का मानसून की दस्तक देने वाला जून महीना गुजर रहा है. 15 से 20 जून के बीच भोपाल में मानसून आ जाता है लेकिन इस बार अभी केवल प्री मानसून एक्टिविटीज ही हो रही हैं. एक बार फिर मानसून दस्तक दे रहा है. मानसून पूर्व की बारिश शुरू हो चुकी है. सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि भोपाल नगर निगम की व्यवस्था कितनी है चाक-चौबंद है, इसकी पोल खुलनी शुरू हो गई है. बीते एक सप्ताह से जारी बूंदाबांदी और 23 जून और 26 जून की रातभर हुई रिमझिम बारिश में ही कई कॉलोनियों में घुटनों तक पानी भर गया है. लोगों के घरों में पानी भर गया है. नालियों की सफाई नहीं हुई, इसलिए कॉलोनी तालाब बन गई हैं. इन कॉलोनियों में झूलते हुए बिजली के तार किस वक्त पानी में करंट दौड़ा दें और बच्चों को जान से हाथ धोना पड़े, लोग इस डर से उन्हें स्कूल ही नहीं भेज रहे.

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रहवासियों का आरोप- नगर निगम के अफसर नहीं सुनते

जब करोंद क्षेत्र की आधा दर्जन कॉलोनी में बारिश का पानी भरा तो लोगों ने सबसे पहले स्थान न्यूज़ की टीम को फोन किया. कुछ लोगों ने अपने हालात की तस्वीर और वीडियो बनाकर भेजकर अपने दर्द को जाहिर किया. विस्तार न्यूज़ की टीम जब यहां पहुंची तो कलियों के हालात देखकर दंग रह गई. लगा जैसे नगर निगम सीमा में आने वाले इन कॉलोनियों के रहवासी निगम की जिम्मेदारों की लापरवाही की सजा भुगत रहे हैं.

दरअसल, सरकार में सहकारिता मंत्री और नरेला क्षेत्र के विधायक विश्वास सारंग का नरेला क्षेत्र विकास पूरी तरह महरूम है. राजवंश कॉलोनी, अहिंसा नगर जैसी करोंद क्षेत्र की छह से अधिक कॉलोनियों के घरों में घुसा पानी. रोड और नाली जलमग्न हो गए. थोड़ी सी बारिश में बाढ़ के हालात से रहवासी लगातार 5 वर्षों से जूझ रहे हैं. जनप्रतिनिधियों से नाला बनाने का आग्रह करने के बावजूद जब सुनवाई नहीं हुई तो लोग सड़क पर उतरे. चक्का जाम भी किया. उस समय जनप्रतिनिधियों ने माफी मांगते हुए दावा किया था कि अगले साल के मानसून तक सब ठीक हो जाएगा लेकिन जैसे कहा जाता है झूठे की बात और बरसात की रात का कोई भरोसा नहीं.

वर्ष 2022 में बायपास रोड का चक्का जाम भी किया गया था, परंतु आज तक कोई इंतजाम नहीं किए गए. बिजली दिल्ली के तार बाल में डूबे हुए हैं तो डीपी तक पानी पहुंच चुका है. सड़क और नाली तालाब की तरह दिख रहे हैं, ऐसे में आशंका है कि कोई भी बड़ा हादसा जो जाए.

ठेकेदार नाले का अधूरा काम छोड़कर नदारद

कुछ ऐसी ही तस्वीर नारियलखेड़ा क्षेत्र से गुजरने वाले नाले की भी यहां दोहरी लापरवाही दिखाई देती है. 2 साल पहले नगर निगम ने जिस ठेकेदार को नाला बनाने का काम दिया था, वह अधूरा काम छोड़कर भाग गया. निगम अफसर हाथ मलते रह गए लेकिन उस पर एक्शन लेना तो दूर दूसरी बार इस नाले का ठेका भी किसी को नहीं दिया. अब 2 साल से मानसून के दरमियान रहवासी परेशान हैं. उनके मकान दुकान में पानी भर जाता है तो लकड़ी और लोहे का पटरा लगाकर निकलते समय कई बार बच्चे नाले में गिर जाते हैं. ऐसे में उन्हें डर लगा रहता है कि जब नाला उफान पर होगा तो कहीं बच्चे इसमें गिर कर बह ना जाएं और उनकी जान न चली जाए.

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