MP News: महिलाओं को पीरियड्स के समय होने वाली समस्याओं की जागरूकता को लेकर 2000 KM पदयात्रा पर निकला युवक, जानिए पूरा मामला
MP News: अभी तक आपने टीवी चैनलों पर फिल्म स्टार अक्षय कुमार को सेनेटरी पैड का प्रचार करते हुए देखा था. लेकिन पटना से रीवा यात्रा के दौरान पहुंचे विशाखा नद ने पैदल यात्रा के माध्यम से अभियान शुरू किया है. जिस यात्रा का नाम चुप्पी तोड़ो पदयात्रा रखा गया है. बिहार के पटना जिले से शुरू हुई चुप्पी तोड़ो पदयात्रा का आगमन आज रीवा शहर में हुआ. चुप्पी तोड़ पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को पीरियड के दौरान होने वाली परेशानियां और उसके निदान को लेकर जागरूक बनाने का है. यात्रा के दौरान सेनेटरी पैड का वितरण भी किया जा रहा है.
महिलाओं को होने वाले पीरियड के बारे में जागरूक बनाने के उद्देश्य से यह चुप्पी तोड़ो यात्रा बिहार के पटना से शुरू होकर 2000 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद महाराष्ट्र के मुंबई में नीता अंबानी से मिलने के बाद समाप्त की जाएगी. यात्रा का उद्देश्य महिलाओं को इसके प्रति जागरूक बनाना उनको सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना आदि है. अमूमन देखा जाता है की महिलाएं इस बारे में किसी से बात करने में शर्माती है जबकि यह विषय शर्म का नहीं जागरूकता का है, जितना जागरुक रहेंगे उतना ही बीमारियों से बचा जा सकता है. ग्रामीण इलाकों में देखा गया है कि महिलाएं गरीबी के कारण सेनेटरी पैड नहीं खरीद पाती और कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. जिसके कारण वह कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाती है जिन्हें बचाना हम सब की जिम्मेदारी होनी चाहिए पदयात्रा कर्ता का कहना है कि मुंबई में हम नीता अंबानी जी से मिलकर इस बारे में चर्चा करेंगे और पीरियड के दौरान होने वाली समस्याओं के बारे में उनसे विस्तृत चर्चा कर सेनेटरी पैड वितरण में उनके मदद लेंगे.
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मासिक धर्म को लेकर समाज में है मिथक
मासिक धर्म एक ऐसी घटना है जो सिर्फ़ लड़कियों तक सीमित है. हालाँकि, यह हमेशा से ही मिथकों से घिरा रहा है जो महिलाओं को सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के कई पहलुओं से अलग रखते हैं. भारत में, यह विषय आज तक वर्जित रहा है. कई समाजों में मौजूद मासिक धर्म के बारे में ऐसी वर्जनाएँ लड़कियों और महिलाओं की भावनात्मक स्थिति, मानसिकता और जीवनशैली और सबसे महत्वपूर्ण रूप से स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं. मासिक धर्म में सामाजिक-सांस्कृतिक वर्जनाओं और मान्यताओं को संबोधित करने की चुनौती, यौवन, मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में लड़कियों के कम ज्ञान और समझ के स्तर से और भी जटिल हो जाती है. इसलिए, इन मुद्दों से निपटने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है और उसके लिए जागरूकता बेहद जरूरी है.