MP News: दमोह में बोर्ड परीक्षा के रिकार्ड की फाइलों को खा गई दीमक, जिम्मेदार अभी भी बेखबर, बाबू ने अधिकारी पर लगाए गंभीर आरोप
मनोज उपाध्याय-
MP News: प्रदेश में शिक्षा के लिए नई-नई योजनाएं चलाई जा रही है जिससे देश के आने वाले भविष्य सुनहरा बने, लेकिन मुरैना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते पांचवी और आठवीं का बोर्ड परीक्षा का रिकॉर्ड दीमक ने हजम कर लिया है. ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारोंके संज्ञान मैं नहीं हो लेकिन जिम्मेदारो की अनदेखी का शिकार हुई है यह रिकॉर्ड शाखा प्रभारी का भी यही आरोप है.
बिल्डिंग जर्जर होने के कारण हो रही है समस्याएं
जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय मुरैना में पांचवी और आठवीं बोर्ड परीक्षा का 1965 से 2007 तक का रिकॉर्ड रखा गया है. लेकिन बिल्डिंग जर्जर होने के चलते कुछ रिकॉर्ड को तो दीमक ने हजम कर लिया है, तो वहीं कुछ रिकॉर्ड को बारिश की बूंद होने नष्ट कर दिया है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि रिकॉर्ड शाखा के प्रभारी विनोद सिंह कुशवाह खुद बता रहे हैं. उन्होंने कहा है कि, मेरी पदस्थापना रिकॉर्ड शाखा में 2006 में हुई है 2006 से संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी सहित कलेक्टर को भी लिखित में पत्र के माध्यम से रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के लिए मांग कर रहा हूं, लेकिन छात्रों के रिकॉर्ड पर किसी का ध्यान नहीं है. जब मैं कलेक्टर को गोपनीय पत्र लिखा तो उसकी भी ऑफिस वालों को खबर हो गई जिस वजह से कर्मचारियों द्वारा मुझे धमकी दी गई. जिसकी शिकायत भी मैंने की थी लेकिन आज दिनांक तक ना तो उन कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई हुई और नहीं रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए कोई उपकरण और दवा मुझे दी गई. आने वाले समय में जब छात्रों को रिकॉर्ड की जरूरत पड़ेगी तो उन्हें रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होगा रिकॉर्ड को तो दीमक चट कर गई. मेरा कक्ष भी पूरी तरह जर्जर है, डर के साए में कक्ष में बैठकर मैं काम रहा हूं.
जर्जर छत से टपक रहा पानी
आगे शाखा प्रभारी ने बताया कि पूरा भवन क्षति ग्रस्त है, बरसात के समय में छत से पानी टपकता है उसे समय रिकॉर्ड हमें डर से उधर पलट कर रखना पड़ता है कक्ष के बेल्टिनेशन की पटिया भी टूटी है. ऐसे में जब जिले का शिक्षा अधिकारी कार्यालय जर्जर हालत में बना हुआ है तो जिले के स्कूलों की क्या हालत होगी इससे अंदाजा लगाया जा सकता है. जिला की शिक्षा पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. जिला शिक्षा अधिकारी का ध्यान भी उन शाखों पर है जो कमाई का जरिया बनी हुई है जो कर्मचारी को दे रहे हैं उन पर अधिकारियों की मेहरबानी बनी हुई है लेकिन देश के भविष्य की ओर किसी का ध्यान नहीं है.