MP News: 85 फिट ऊंचे टावर पर लगेगी पहली विश्व की पहली वैदिक घड़ी, पीएम मोदी करेंगे लोकार्पण

Ujjain Vedic Clock: आरोह श्रीवास्तव से बातचीत में बताया कि इस वैदिक घडी को उन्होने विकसित किया है. वे लखनऊ के रहने वाले हैं.
Vedic Clock in Ujjain

उज्जैन मे विश्व की एकमात्र और पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी

MP News: काल गणना का केन्द्र कही जाने वाली नगरी में स्थित जंतर-मंतर क्षेत्र में 85 फिट ऊंचे टावर पर विश्व की एकमात्र और पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी लगने जा रही है. पीएम नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 29 फरवरी को इस विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण करेंगे.

वैदिक घड़ी एप्प की होगी लांचिग

खास बात यह की इस विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के एप्प की भी लॉन्चिंग इस दिन होना है. यह दुनिया की पहली ऐसी डिजिटल वॉच होगी, जिसमें इंडियन स्टैंडर्ड टाइम और ग्रीनविच मीन टाइम के साथ पंचाग और मुहूर्त की जानकारी मिलेगी. इस विक्रमादित्य वैदिक घड़ी में एक दिन में 24 नहीं बल्कि 30 घंटे होंगे. 48 मिनट का एक घंटा रहेगा.

यह विक्रमादित्य वैदिक घड़ी उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ ज्योतिषाचार्य के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होने वाली है. इसके ग्राफिक्स को भोपाल की एक संस्था ने तैयार किया है, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंगं, श्री राम मंदिर और कैलाश मानसरोवर को दर्शया है. इसकी एप्प आरोह श्रीवास्तव ने तैयार की है, जिसकी लॉन्चिंग भी 29 फरवरी को है. घड़ी में हर घंटे बाद बैकग्राउंड में नई तस्वीर दिखाई देगी.

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पंचाग, मौसम से जुड़ी जानकारी बताएगी घड़ी

यह एप्प और घड़ी सूर्योदय सूर्यास्त व सूर्य और चन्द्र ग्रहण, पंचाग, मौसम जे जुडी जानकारी कब कैसा रहेगा यह भी बताएगी. घड़ी में घण्टे, मिनट और सेकंड वाली सुई भी रहेगी. टावर पर एक टेलिस्कोप होगा जो खगोलीय घटनाओं का नजारा दिखायेगा. लइंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी इस घड़ी का कहीं भी उपयोग किया जा सकेगा.

आरोह श्रीवास्तव ने बनाई है घड़ी

आरोह श्रीवास्तव से विस्तार न्यूज़ से बातचीत में बताया कि इस वैदिक घडी को उन्होने विकसित किया है. वे लखनऊ के रहने वाले हैं. आरोह ने बताया कि भारतीय काल गणना की जो पारंपरिक पद्धति है उसके आधार पर इसको नियोजित किया गया है. यह हमारे लिए दुर्भाग्य का विषय है कि भारतीय परंपराओं को ध्वस्त करने का निरंतर प्रयास किया जाता रहा है. उसी क्रम में भारतीय काल गणना की जो पद्धति है. उसको भी नष्ट किया गया और लगभग 1906 के आसपास भारतीय मानक समय को भी स्वीकृत कर दिया गया. भारतीय मानक समय को भी चयनित किया गया और फिर वह ग्रीनविच और बाद में फिर वह टीएमटी पद्धति को लागू किया गया, जिसका सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह था. इस घड़ी में लगभग 48 मिनट का मुहूर्त घटित होगा, जिसके आधार पर घटना चालू रहेगी, इस घड़ी में वैदिक डिजिटल डेवलप किया गया है.

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