MP News: मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मजबूत इन सीटों पर क्यों हारी कांग्रेस? जानिए सबसे बड़ी वजह

MP News: लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के साथ-साथ ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस को बुरी तरह हर का सामना करना पड़ा है. इसी ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस अपने आपको सबसे अधिक मजबूत मान रही थी वहां पर वह एक भी सीट नहीं जीत पाई. कांग्रेस की हार के पीछे नेताओ में आपसी गुटबाजी और टिकिटो को लेकर नाराजगी हार की प्रमुख वजह मानी जा रही है.
Lok Sabha Election, Lok Sabha Election 2024, Madhya Pradesh, Congress,

कांग्रेस की हार के पीछे नेताओ में आपसी गुटबाजी

Madhya Pradesh News: लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के साथ-साथ ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस को बुरी तरह हर का सामना करना पड़ा है. इसी ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस अपने आपको सबसे अधिक मजबूत मान रही थी. लेकिन, वहां पर वह एक भी सीट नहीं जीत पाई. कांग्रेस की हार के पीछे नेताओ में आपसी गुटबाजी और टिकटों को लेकर नाराजगी हार की प्रमुख वजह मानी जा रही है. दरअसल, ग्वालियर चंबल अंचल वह इलाका है जहां 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन लगभग अच्छा रहा था.

विधानसभा के चुनाव में अंचल की 34 सीटों में से 16 सीट है कांग्रेस जीतने में सफल रही थी, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां पर अपनी लाज बचाने में नाकाम साबित हुई. इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा आपसी गुट बड़ी और खींचतान देखी गई है. क्योंकि इस बार के चुनाव में देखने में आया था कि प्रचार प्रसार के दौरान कोई भी कांग्रेस का बड़ा नेता प्रत्याशी के साथ दिखाई नहीं दिया और न ही प्रचार प्रसार करते नजर आए.

ये भी पढ़ें- MP News: नोटा में नंबर 1 आने पर मना जश्न, कांग्रेस ने केक काटकर मनाई खुशियां

कांग्रेस की हार के कई कारण

कांग्रेस को पूरा भरोसा था कि ग्वालियर चंबल अंचल की इन सीटों पर उन्हें सफलता जरूर मिलेगी, लेकिन आपसी भीतरघात और गुटबाजी में एक बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. चुनाव के दौरान सबसे बड़ी भूमिका स्टार प्रचारकों की होती है, लेकिन पूरे चुनाव प्रचार के दौरान देखने में आया कि कोई भी बड़ा स्टार प्रचारक चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के नजदीक नजर नहीं आया. प्रत्याशी खुद ही अपना प्रचार करते हुए नजर आए. सबसे बड़ी बात यह है कि इस दौरान वाक्य केवल एक सीट पर नहीं बल्कि ग्वालियर चंबल अंचल की सभी सीटों पर देखने को मिला.

एक तरफ जहां ग्वालियर लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक और मुरैना लोकसभा से कांग्रेस सत्यपाल सिंह सिकरवार के टिकट को लेकर देरी की गई यह भी कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण माना जा रहा है. जिसके चलते प्रत्याशियों को प्रचार करने का भी पूरा मौका नहीं मिल पाया और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा अगर भिंड लोकसभा सीट की बात करें तो वहां भी कांग्रेस की आपसी नेताओं में काफी कोतवाली देखने को मिली. सिर्फ प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस का कोई शीर्ष नेता चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचा. इसके साथ ही जातिगत भाषाओं का उपयोग करने वाले फूल सिंह बरैया का विरोध सबसे ज्यादा देखने को मिला. क्योंकि वह लगातार मंच से जातिगत टिप्पणी करते हुए नजर आते रहे. इसलिए संवर्ण वर्ग लगातार उनसे नाराज रहा और यह भी एक हार का कारण माना जा रहा है.

कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाए आरोप

मध्य प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत और कांग्रेस की बड़ी हार के कई मायने निकाले जा रहे हैं. वहीं कांग्रेस भाजपा पर कई आरोप-प्रत्यारोप भी लगा रही है. हाल ही में कांग्रेस ने भाजपा पर लालच देने और लोगों को बदलने के लिए महिलाओं संबंधी योजनाएं चलाने की बात कही है जिसको लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि जो भी जनता का निर्णय है उसें हम स्वीकार करते हैं.

लेकिन हमारा मनाना है की चुनाव एक न्याय संगत प्रक्रिया है और इसमें जो भी दल हैं उन्हें बराबारी का मौका मिलना चाहिए. लेकिन मोदी सरकर ने अपने दल बल के साथ हमें आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए हमारे अकाउंट स्विच करवा दी. हमारे नेताओं के यहां ईडी और सीबीआई के छापे पड़वाए गए. यह बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज के समय में चुनाव लड़ने के लिए धन बल की कितनी आवश्यकता होती है. इसके बावजूद हम अच्छा प्रदर्शन कर देश के राजनीति में एक अच्छी स्थिति में आए हैं.

भाजपा ने कांग्रेस पर किया पलटवार

वहीं ,भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार को लेकर भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को में उनके अनुशासन के लिए बधाई देना चाहता हूं कि जिनके प्रदेश के नेता ने कह दिया था पार्टी जाए तेल लेने तो कार्यकर्ताओं ने भी वहीं काम किया. वहीं योजनाओं को लेकर उनका कहना था कि यह कोई पहली बार नहीं है. कांग्रेस की तो फितरत ही यही रही है कि वह राष्ट्र कार्यकारी योजनाओं को स्लोगन का दर्जा दे जबकि यदि अनाज या अन्य योजनाओं का लाभ लोगों को दिया जा रहा है तो वह भारत की जनता का अधिकार है जिसे जो मिलना चाहिए वह मिलेगा.

ज़रूर पढ़ें