MP Results 2024: रीवा में जनार्दन मिश्रा ने लगाई जीत की हैट्रिक, बनाया नया रिकॉर्ड
MP Results 2024: मध्य प्रदेश के रीवा लोकसभा सीट पर भाजपा का जलवा कायम है.भाजपा प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा पिछले तीन चुनाव में लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं. लगातार जीत दर्ज कर उन्होंने रिकॉर्ड बना दिया है. भाजपा प्रत्याशी को इस मर्तबा भी भारी भरकम वोट मिले हैं, हालांकि यह पिछले बार से 1 लाख कम रहे हैं. वहीं कांग्रेस की बात करें तो पिछले तीन चुनाव में इनका आंकड़ा दो से तीन लाख के बीच ही अटका हुआ है. इससे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
रीवा संसदीय क्षेत्र के परिणाम ने नया रिकार्ड बना दिया है. अब तक यहां से लगातार तीन मर्तबा जीत किसी ने दर्ज नहीं की थी. भाजपा के जनार्दन मिश्रा ने यह कारनामा कर दिखाया है. वह पिछले तीन चुनावों में जीतते आ रहे हैं. उन्हें हर चुनाव में लोगों ने हाथो हाथ लिया है. जनता ने जमकर वोट लुटाए. इस मर्तबा भले ही लोगों के बीच उनके प्रति नाराजगी नजर आई लेकिन वोट देने में किसी ने कमी नहीं की. यही वजह है कि वोट का आंकड़ा 4 लाख के पार पहुंच गया. यही पिछले चुनाव परिणाम की बात करें तो वर्ष 2019 में इन्हें 58,3769 वोट मिले थे. ऐसे में वर्ष 2024 और वर्ष 2019 के वोट में तुलना करें तो इस मर्तबा जरूर इन्हें 1 लाख वोट कम मिले हैं. जीत का अंतर भी थोड़ी कम हुआ है लेकिन जनता ने पुराने चेहरे पर ही भरोसा जताया है. केन्द्र की योजनाओं और पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा प्रत्याशी ने वोट मांगा और उन्हें विजय भी मिली.
कांग्रेस के लिए जिला में जमकर महौल बना था लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को नहीं मिला. हालांकि इसके पीछे वजह भी थी. नीलम मिश्रा को टिकट मिलने के बाद पार्टी में ही बगावत हो गई थी. कई कांग्रेस के पुराने और दिग्गज नेताओं ने ही बगावत कर दी थी. इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा. यही वजह है कि इस मर्तबा जो उम्मीदें जीत की थी वह भी धरसाई हो गई. कांग्रेस पिछले तीन चुनावों में 2 से 3 लाख के आंकड़ों के बीच ही जूझ रही है.
सिर्फ दो की बची जमानत
रीवा लोकसभा चुनाव में 14 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इनमें से सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार ही जमानत बचा पाए। शेष सब की जमानत जब्त हो गई। बसपा प्रत्याशी की भी जमानत नहीं बची. 12 उम्मीदवार तय मापदंड से कहीं कम वोट पाए हैं. जमानत बचाने के लिए उम्मीदवार को कुल पड़े वोट का 1/6 वां वोट मिलना था. यानि 9 लाख 18 हजार 129 में से 1 लाख 53 हजार 21 वोट चाहिए था. यह भी नहीं पा पाए.
जनार्दन मिश्रा, भाजपा- 4,77,459
नीलम अभय मिश्रा, कांग्रेस- 2,84,085
अभिषेक मास्टर बुद्धसेन पटेल, बसपा- 1,17,221
नोटा- 6,936
इस चुनाव में बसपा को वोट कटवा मान रहे थे. एससी, एसटी वोट पर इनकी नजर थी. हालांकि इसमें वह पूरी तरह से सेंध नहीं लगा पाए. देवराज पटेल वर्ष 2009 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद से बसपा यहां उबर नहीं पाई. पिछले तीन चुनावों से बसपा संघर्ष कर रही है और तीसरे नंबर की पार्टी बनी हुई है. पार्टी ने युवा चेहरा लोकसभा चुनाव में उतारा था लेकिन वह भी कमाल नहीं कर पाए. सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों को ही टारगेट कर पारिवारिक समस्या तक ही सिमट कर रह गए.