MP: नशे की चपेट में विंध्य, नशीली कफ सिरप का सेवन कर रहे हैं युवा, ऑपरेशन में बड़ा खुलासा

Madhya Pradesh News: कुछ सालों से विंध्य के युवाओं को मेडिकल नशे ने इस तरह गिरफ्त में ले लिया की यहां के युवाओं का एक बड़ा समूह मेडिकल नशा प्रमुख तौर पर नशीली कफ सिरप की चपेट में आ चुका है.
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नशीली शीशीयों की खेप

Madhya Pradesh News: हमेशा से अपनी प्रसिद्धि और खनिज संपदा के लिए मध्य प्रदेश का एक प्रमुख भाग विंध्य विख्यात है. लेकिन कुछ सालों से विंध्य के युवाओं को मेडिकल नशे ने इस तरह गिरफ्त में ले लिया की यहां के युवाओं का एक बड़ा समूह मेडिकल नशा प्रमुख तौर पर नशीली कफ सिरप की चपेट में आ चुका है. विंध्य का हर पांचवा युवा इस खतरनाक नशे की गिरफ्त में है. विंध्य के सभी जिलों को मिला कर हर महीने 25 से 30 कार्रवाई नशीली कफ सिरप की होती है.

एक समय ऐसा था जब नशा करने वाला महक की वजह से पकड़ में आ जाता था. अब रासायनिक पदार्थों के सहारे नए इजाद हो रहे नशे से खुशबू या बदबू लापता हो गई है. वहीं नशा भी भरपूर होता है. यही वजह है कि जिले को मेडिकल नशे ने बुरी तरह से जकड़ लिया है, जिसमें नशीली कफ सिरप यानी की कोरेक्स सबसे अधिक है. छत्तीसगढ़ से गांजा तथा उत्तर प्रदेश से शराब व मेडिकल नशा की खेप लगातार पहुंच रही है.

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तबाह हो रहा है युवाओं का भविष्य

सरकारी कार्रवाई व धरपकड़ से दुगना प्रतिशत आवक का रहता है. लिहाजा इसके कारोबार में कहीं भी रुकावट नहीं होती है. नशा की गिरफ्त में आने से युवाओं का भविष्य तबाह हो रहा है. सीमावर्ती राज्य से आ रहे मादक पदार्थों ने जिले को बुरी तरह से जकड़ लिया है. युवा और नाबालिग बीते कुछ वर्षों से मेडिकल नसें की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं. गांव हो या फिर शहर नशीली कफ सिरप की खाली शीशियां देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस हद तक मेडिकल नशा का प्रकोप फैला हुआ है. जिसके कारण अपराधों की संख्या भी तेजी के साथ बढ़ रही है.

नशे के आदि युवा अपराध करते हैं, ऐसा भी नहीं है कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है. पुलिस द्वारा लगातार मेडिकल नशा के माफियाओं को पकड़कर सलाखों के पीछे भेजा जाता है. पिछले तीन सालों में 500 लोगों से अधिक की गिरफ्तारी मेडिकल नशे के मामले में हुई है. जिनमें काफी लोगों को 10 साल से अधिक की सजा भी न्यायालय के द्वारा सुनाई गई है. लेकिन इससे नशीली कफ सिरप का नशा करने वालों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. बावजूद इसके मेडिकल नशे का अवैध कारोबार जस का तस बना रहता है.

एक शीशी की कीमत 200 रुपये

आज तक इस बात को कोई नहीं उठा पा रहा है रीवा जिले में पकड़ी जाने वाली नशीली सिरप किस कंपनी से किस थोक व्यापारी द्वारा उठाए जा रहे हैं. जबकि बैच नंबर सभी शीशीओं में लिखा होता है. केवल पकड़ कर कार्रवाई कर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया जाता है और अपने कार्य से मुक्ति पा ली जाती है. बेरोजगारी के आलम में अधिकांश युवा अब इसी धंधे पर आश्रित हो धुके हैं और गांव-गांव में बेचते हुए देखे जाते हैं. खुफिया तंत्र पूरी तरह असफल हैं, ऐसे व्यापार को ढोने के लिए गांवों के नाबालिग बच्चों को 500 पेटी देकर दवाइयां पहुंचाई जाती है, वहीं बसों में ट्रकों या अन्य माध्यमों से दवाइयों का परिवहन किया जा रहा है. सूत्रों की माने तो सर्वाधिक दवा आयात सतना की तरफ लायी जाती है. यह नशीली कफ सिरप शहर में कितनी आसानी से मिलती है विस्तार न्यूज़ ने इसकी पड़ताल अपने खुफिया कैमरे से की जिसमें एक नाबालिग के द्वारा नशीली कफ सिरप बेची जा रही थी, एक शीशी  की कीमत 200 रुपये बताई. लेकिन जब कुछ कम करने के लिए कहा गया तो वह 180 रुपये में कोरेक्स की बोतल दे देता है.

लगातार बढ़ रही है बेचने वालों की संख्या

इस नशे का आलम ये है की कॉलेज के पीछे यहां तक कि थाना के भी पीछे सार्वजनिक चौराहों पर वाशरूम वाले स्थानों में शीशियां और गोलियों के रैपर पड़े रहते हैं. नशीली कफ सिरफ कुछ मेडिकल स्टोरों और फुटकर नशा बेचने वाले लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण करने वाले अधिकारी एक तरफ जहां मूक बनकर बैठे हैं, वहीं दूसरी तरफ सत्ता और विपक्ष के राजनेता भी युवाओं को बर्बाद करने वाले इस नशा को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाते नजर नहीं आ रहे हैं.

मोटरसाइकिल, फोर व्हीलर और वीआईपी वाहन राजनीतिक दल की गाड़ियों का बोर्ड लगा कर पुलिस प्रशासन की आंख में धूल झोंक जा रहा है. इस धंधे में अब पुरुष और युवा ही नहीं बल्कि महिलाएं भी शामिल हो गई हैं. वहीं दूसरी तरफ नशा के सेवन करने वाले घर में मारपीट, रास्ते में लूटपाट की घटनाओं और जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. रीवा एसपी विवेक सिंह बताते है की कोरेक्स का नशा करने वाले युवाओं की उम्र 18 से 25 वर्ष होती है.

नशे की धंधे में पुलिस भी शामिल

पुलिस कप्तान और अधिकांश थाना प्रभारियों द्वारा अवैध नशे को रोकने का पूरा प्रयास किया जा रहा है तो कहीं कहीं ऐसा भी देखने को मिलता है कि स्थानीय स्तर पर पुलिस के लोग भी ऐसे नशे के कारोबार में अपनी आमदनी खोज लेते हैं.  कांग्रेस विधायक ने पुलिस अधीक्षक को एक ज्ञापन देते हुए कहा की रीवा को लोग कोरेक्स सिटी के नाम से बाहर जानते है.

“मुश्किल है इस नशे से बाहर निकलना”

मनोचिकिसक का मानना है की कोरेक्स पीने वाले युवा अक्सर गलत संगत से गिरफ्त में आ जाते हैं. क्योंकि उनका मानना होता है कि अगर उसका दोस्त पी रहा है तो वह युवा भी नशे की चपेट में आ जाता है और अगर लत लग जाती है तो इसको दूर करना थोड़ा मुश्किल होता है. अचानक से छोड़ने पर शरीर पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ने लगता है.

विस्तार न्यूज़ ने नशे को लेकर पड़ताल की जिसमें नशे की गिरफ्त में आए एक युवा से बात की गई. अपनी पहचान छुपा कर बात करने वाले युवा ने बताया कि वह इस नशे के दलदल से निकलना चाहता है, लेकिन निकल नहीं पा रहा है. इसका असर उसके शरीर में होने लगता है जिसके कारण वह मजबूर है. लेकिन विस्तार न्यूज़ में उसने शपथ ली कि वह इस नशे की दलदल से निकलने की पूरी कोशिश करेगा.

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