Navratri Special: श्मशान में स्थित इस मंदिर में हाजिरी लगाने आते हैं नेता; हल्दी और मिर्ची यज्ञ से पूरी होती है मन्नत

Navratri Special: देवी बगलामुखी को पीला रंग बहुत पसंद है. देवी को पीले रंग के वस्त्र अर्पित किए जाते हैं. सोने के गहने पहनाए जाते हैं
Nalkheda Baglamukhi Temple which fulfills wishes

नलखेड़ा बगलामुखी मंदिर जो पूरी करती है मन्नत

Navratri Special: शक्ति जिसे माता पार्वती और देवी सती का रूप माना जाता है. देवी के रूप में पूजा की जाती है. एमपी समेत पूरे भारत में देवी के कई रूप में पूजा की जाती है. दस महाविद्या जिन्हें देवी के दस रूपों में जाना जाता है. इनमें से एक हैं बगलामुखी. एमपी के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित है बगलामुखी देवी का मंदिर.

तीन मुख वाली अनोखी मूर्ति

आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में देवी बगलामुखी का मंदिर स्थित है. इस मंदिर में बगलामुखी देवी की तीन मुख वाली मूर्ति स्थापित है. लखुंदर नदी के किनारे स्थित ये मंदिर एमपी में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में भी बहुत प्रसिद्ध है. बगलामुखी का अर्थ होता है बगुले या सारस जैसे मुख वाली. विद्वान इसका एक और मतलब बताते हैं. बगलामुखी वल्गा का बिगड़ा रूप है. वल्गा का अर्थ लगाम लगाना या दंड देना भी होता है. बगलामुखी को दुश्मनों पर लगाम लगाने वाली या दंड देने वाली कहा जाता है.

युद्ध जीतने के लिए युधिष्ठिर ने की थी स्थापना

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापरयुग में की गई थी. महाभारत युद्ध जीतने के लिए भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी. देवी बगलामुखी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पांडवों को युद्ध में जीत मिली. इस मंदिर का जीर्णोद्धार राजा विक्रमादित्य ने भी करवाया था. आज जिस मंदिर को हम देखते हैं वो 1816 में पंडित ईबुजी और कारीगर तुलाराम ने करवाया था.

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इसके गर्भगृह की बात करें तो चांदी से मढ़ा हुआ है. गर्भगृह जहां देवी की मूर्ति स्थापित उस जगह को सोने की परत से मढ़ा गया है. मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति स्वयंभू है यानी खुद ही जमीन से बाहर आई है. महालक्ष्मी, भगवान हनुमान, महासरस्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां भी स्थापित हैं.

श्मशान में स्थित है मंदिर, तांत्रिक क्रियाएं भी जाती हैं

नलखेड़ा का बगलामुखी मंदिर श्मशान में स्थित है. श्मशान में स्थित होने के कारण इस मंदिर की महत्ता बढ़ जाती है. देवी बगलामुखी को दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या के रूप में जाना जाता है. दुश्मनों पर लगाम लगाने के लिए पूजा की जाती है. पहले मंदिर बलि भी दी जाती थी और तंत्र और मंत्र की क्रियाएं की जाती थीं. आज भी लोग दुश्मनों से मुक्ति पाने के लिए यहां धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.

बगलामुखी देवी को हल्दी चढ़ाई जाती है

देवी बगलामुखी को पीला रंग बहुत पसंद है. देवी को पीले रंग के वस्त्र अर्पित किए जाते हैं. सोने के गहने पहनाए जाते हैं. यहां तक की देवी की मूर्ति को भी पीले रंग से रंगा गया है. यहां प्रसाद के साथ-साथ हल्दी अर्पित की जाती है. हल्दी का पाउडर और हल्दी की गांठ दोनों अर्पित की जाती है.

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बड़े-बड़े नेता और मंत्री मन्नत मांगने आते हैं

इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं. यहां धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे नेता से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री तक यहां आते हैं. चुनाव से पहले सांसद-विधायक बनने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करने आते हैं.

नवरात्रि में होता है विशेष आयोजन

चैत्र नवरात्रि और शारदेय नवरात्रि दोनों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग दर्शन किए आते हैं. मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है. श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है.

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