MP के इस जिले में है ज्योतिष के आधार पर बना भारत का एकमात्र नवग्रह मंदिर, 25 करोड़ की लागत से बनेगा नवग्रह लोक

MP News: यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है. इसका निर्माण ज्योतिष ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार किया गया है. मान्यता है कि यहां आकर किसी भी ग्रह से संबंधित समस्या का निवारण किया जा सकता है
Khargone has the country's only Surya Pradhan Navgrah temple

खरगोन में है देश का एकमात्र सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर

MP News: मध्य प्रदेश के खरगोन (Khargone) शहर में कुंदा नदी (Kunda River) के किनारे स्थित है सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर. अपनी अद्वितीय संरचना और ज्योतिषीय महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा नवग्रह मंदिर है, जिसे ज्योतिष के पैमाने और गणित के आधार पर डिजाइन किया गया है.

सीढ़ियों से लेकर गुंबद हर जगह ज्योतिष

मंदिर के गर्भगृह में सूर्य देव नौ ग्रहों के साथ विराजमान हैं. मंदिर में प्रवेश के लिए भक्तों को 7 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो सात दिनों या सात वारों का प्रतीक मानी जाती हैं. गर्भगृह में जाने के लिए 12 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं, जो 12 राशियों का प्रतीक हैं. मंदिर से बाहर निकलने के लिए दूसरी दिशा से 12 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो 12 महीनों को दर्शाती हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार, यह मंदिर जीवन के इसी गणितीय और ज्योतिषीय सिद्धांतों के आधार पर बनाया गया है.

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मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है

मंदिर के पुजारी आचार्य लोकेश बताते हैं कि उनका परिवार पिछली 6 पीढ़ियों से मंदिर में सेवा दे रहा है. उनके पूर्वज शेषाप्पा सुखावधानी ने बगलामुखी माता के स्वप्न के बाद इस मंदिर की स्थापना की थी. यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है. इसका निर्माण ज्योतिष ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार किया गया है. मान्यता है कि यहां आकर किसी भी ग्रह से संबंधित समस्या का निवारण किया जा सकता है. खासकर ग्रह संबंधित दान देने से समस्याओं का समाधान होता है.

मंदिर के तीन शिखर त्रिदेव को दर्शाते हैं

मंदिर की संरचना और मूर्तियां आंशिक दक्षिण भारतीय शैली में बनाई गई हैं. मंदिर में तीन शिखर हैं, जो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं. नौ ग्रहों के साथ-साथ अन्य मूर्तियां भी अपने-अपने वाहन, ग्रह मंडल, ग्रहयंत्र, ग्रहरत्न और अस्त्र-शस्त्र के साथ स्थापित की गई हैं. सूर्य देव की मूर्ति मंदिर के मध्य में स्थापित है और उसके अनुसार शनि, गुरु और मंगल ग्रहों की मूर्तियां दाएं-बाएं स्थित हैं.

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सूर्य के किरणें सीधे गर्भगृह तक पहुंचती हैं

सुबह के समय सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह तक पहुंचती हैं. उत्तरायण और दक्षिणायन के समय सूर्यचक्र के माध्यम से किरणें भगवान सूर्य तक पहुंचती हैं.

महाकाल लोक की तर्ज पर नवग्रह लोक

यहां हर साल मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस मंदिर के आसपास नवग्रह लोक का निर्माण किया जाएगा. इसे बनाने में 25 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

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