45 दिन, 4 लाख करोड़ का कारोबार…महाकुंभ से उत्तर प्रदेश की ‘छप्पर फाड़’ कमाई!

अर्थव्यवस्था की बात करें, तो महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व में भी ऐतिहासिक वृद्धि की. सरकार ने अनुमान लगाया था कि इस आयोजन से 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये का राजस्व होगा.
Maha Kumbh 2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

Maha Kumbh 2025: जरा सोचिए, जब आप एक धार्मिक यात्रा पर जाते हैं, तो वहां आपको आत्मिक शांति मिलती है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस यात्रा से लाखों करोड़ों की कमाई हो सकती है? यह बात एकदम सच है और महाकुंभ 2025 ने इसे साबित भी किया. प्रयागराज महाकुंभ न सिर्फ आस्था का केन्द्र बना, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा इंजन बन गया.

65 करोड़ श्रद्धालुओं का असर!

किसी भी धार्मिक मेले में श्रद्धालुओं की तादाद सबसे अहम होती है, लेकिन महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की संख्या ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. इस बार 65 करोड़ से ज्यादा लोग प्रयागराज पहुंचे. कल्पना कीजिए, जब इतनी बड़ी संख्या में लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं, तो उस स्थान का असर ना सिर्फ धार्मिक, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बहुत बढ़ जाता है.

आर्थिक तुफान!

दावा किया जा रहा है कि महाकुंभ ने राज्य की अर्थव्यवस्था में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की. ये 3 लाख करोड़ रुपये महज कोई मामूली आंकड़ा नहीं है. महाकुंभ का असर न केवल प्रयागराज पर पड़ा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, काशी और चित्रकूट पर भी देखने को मिला. इन स्थानों पर पर्यटन और व्यापार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई.

दुनियाभर का ध्यान खींचा

जब हम बात करते हैं महाकुंभ के प्रभाव की, तो यह सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा. इस आयोजन ने 100 से अधिक देशों के श्रद्धालुओं को आकर्षित किया. विदेशी पर्यटक भी इस धार्मिक मेले का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित थे. इसने होटल, ट्रांसपोर्ट, रिटेल, और हॉस्पिटेलिटी जैसे क्षेत्रों को भी नया जीवन दिया. कहीं न कहीं यह एक विशाल व्यापारिक आयोजन बन गया, जो लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का कारण बना.

राजस्व में चमत्कारी वृद्धि

वहीं, Confederation of All India Traders के महासचिव और दिल्ली की चांदनी चौक सीट से लोक सभा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बड़ी संख्या में जो श्रद्धालु महाकुंभ आये वो काशी, अयोध्या और चित्रकूट भी पहुंचे. इसलिए इस ऐतिहासिक क्षेत्र में कुल कारोबार 4 लाख करोड़ से भी ज़्यादा का हुआ.

अर्थव्यवस्था की बात करें, तो महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व में भी ऐतिहासिक वृद्धि की. सरकार ने अनुमान लगाया था कि इस आयोजन से 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये का राजस्व होगा. और यही हुआ भी! यह राजस्व राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाने में मददगार साबित हुआ. यह धनराशि अब विकास परियोजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं में इस्तेमाल की जा सकती है.

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धार्मिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से अहम

महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह एक आर्थिक युग की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है. कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इसे ‘धार्मिक आस्था और व्यापारिक गतिविधियों का मिलाजुला संगम’ बताया. महाकुंभ मेले ने न केवल श्रद्धा को बढ़ावा दिया, बल्कि इसने एक नए व्यापारिक क्षेत्र को भी जन्म दिया. वहां होने वाली गतिविधियां जैसे शॉपिंग, खानपान, और सेवा क्षेत्र ने व्यापार को नया आयाम दिया.

महाकुंभ 2025 ने साबित कर दिया कि धर्म और अर्थव्यवस्था का एक साथ मिलकर काम करना संभव है. यह आयोजन न सिर्फ आस्थाओं की अभिव्यक्ति था, बल्कि एक ऐतिहासिक आर्थिक अवसर भी था. इसने उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा दी है.

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