क्या नहाने लायक नहीं है संगम का पानी? CPCB की रिपोर्ट के बाद केंद्र और राज्य के बीच टकराव
संगम मं डुबकी लगाते लोग
CPCB Report: प्रयागराज महाकुंभ इस बार एक और मुद्दे के कारण सुर्खियों में है. संगम में नहाने के लिए पानी की गुणवत्ता पर एक दिलचस्प और विवादास्पद बहस छिड़ी हुई है. केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर मतभेद गहरे होते जा रहे हैं.
दरअसल, केंद्र सरकार के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि संगम का पानी नहाने के लिए उपयुक्त नहीं है. इसके अनुसार, पानी में अपशिष्ट जल की मौजूदगी और प्रदूषण स्तर स्वीकार्य सीमा से कहीं अधिक है, जो धार्मिक स्नान के लिए खतरनाक हो सकता है. लेकिन उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया और दावा किया कि संगम का पानी पूरी तरह से नहाने के लिए सुरक्षित है.
UPPCB ने क्या कहा?
यूपीपीसीबी का कहना है कि गंगा और यमुना नदियों के पानी का प्रदूषण नियंत्रण मानकों के अनुसार है. उन्होंने यह भी बताया कि नालों के माध्यम से कोई प्रदूषित सीवेज गंगा या यमुना में नहीं छोड़ा जा रहा है. यूपीपीसीबी का दावा है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना पर 6 पॉइंट्स पर पानी की गुणवत्ता नहाने के लिए पूरी तरह उपयुक्त है, हालांकि शास्त्री ब्रिज के पास कुछ मामूली वृद्धि दिखाई दी है.
इसका मतलब है कि UP पूरी तरह से आश्वस्त है कि संगम में नहाना सुरक्षित है, और किसी प्रकार का गंभीर प्रदूषण नहीं है. इसके बावजूद, केंद्रीय बोर्ड की रिपोर्ट से स्थिति और भी जटिल हो गई है.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने इस मुद्दे की सुनवाई शुरू कर दी है. बुधवार को यूपीपीसीबी ने सीपीसीबी की रिपोर्ट पर और अधिक अध्ययन करने के लिए समय मांगा. एनजीटी ने यूपीपीसीबी को सीपीसीबी की रिपोर्ट पर गौर करने का निर्देश दिया और एक नई रिपोर्ट पेश करने की बात कही. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी.
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क्या है असल स्थिति?
सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महाकुंभ के दौरान कुछ स्थानों पर पानी की गुणवत्ता नहाने के लिए उपयुक्त नहीं थी. खासकर, अपशिष्ट जल के स्तर ने चिंता जताई है. सीपीसीबी के मुताबिक, ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की मौजूदगी ने जल गुणवत्ता को प्रभावित किया है, और यह नहाने के लिए स्वीकार्य सीमा से अधिक था.
महाकुंभ संगम के पानी की गुणवत्ता को लेकर इस समय राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक दिलचस्प टकराव चल रहा है. दोनों ही पक्ष अपने दावे को साबित करने के लिए तर्क दे रहे हैं, और इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी. तब तक यह सवाल बना रहेगा कि क्या महाकुंभ के दौरान संगम का पानी वाकई नहाने के लायक है या नहीं.