Janmashtami 2025: भगवान श्रीकृष्ण की 8 दिव्य लीलाएं जो हर भक्त को कर देती हैं मंत्रमुग्ध
Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पावन पर्व, हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 15 और 16 अगस्त को जन्माष्टमी का उत्सव देशभर में उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें कान्हा, नंदलाला और माखन चोर के नाम से भी जाना जाता है, अपनी दिव्य लीलाओं के लिए प्रसिद्ध हैं. उनकी लीलाएं न केवल भक्तों को आनंदित करती हैं, बल्कि जीवन के गहरे दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश भी देती हैं
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निधि तिवारी
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Last Updated: Aug 16, 2025 02:06 PM IST
नंदलाला का जन्म: श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में हुआ. कंस के भय से वासुदेव ने नवजात कृष्ण को गोकुल में नंद-यशोदा के पास पहुंचाया.
माखन चोरी लीला: कान्हा की माखन चोरी की लीला सबसे लोकप्रिय है. गोकुल में यशोदा के लाडले नंदलाला गोपियों के घरों में माखन चुराने जाते और अपनी नटखट हरकतों से सबका मन मोह लेते.
कालिया मर्दन लीला: कान्हा ने यमुना नदी में रहने वाले कालिया नाग का दमन किया. कालिया के विष से यमुना का जल दूषित हो गया था, जिसे कृष्ण ने अपनी शक्ति से शुद्ध किया.
गोवर्धन पूजा: जब इंद्र ने ब्रज पर मूसलाधार बारिश की, तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की. आज भी गोवर्धन पूजा जन्माष्टमी के अगले दिन धूमधाम से मनाई जाती है.
रास लीला: वृंदावन की कुंज गलियों में श्रीकृष्ण और राधा के साथ गोपियों की रास लीला भक्ति और प्रेम का अनुपम उदाहरण है. बांसुरी की मधुर धुन पर गोपियों के साथ किया गया यह नृत्य आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है.
पूतना वध: कंस ने नवजात कृष्ण को मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजा, जो दूध पिलाने के बहाने विष लेकर आई. बालकृष्ण ने पूतना का दूध पीकर उसका वध कर दिया.
कंस वध: मामा कंस के अत्याचार का अंत करके कृष्ण ने यह प्रमाणित किया कि अन्याय और अधर्म का नाश अवश्य होता है, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो.
गीता उपदेश: महाभारत के युद्ध में अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश देकर श्रीकृष्ण ने कर्म, धर्म और जीवन का दर्शन समझाया. यह उनकी बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाती है, जो आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शक है.
शिशुपाल मोक्ष: निन्यानवे बार अपमान सहने के बाद भी कृष्ण ने शिशुपाल को क्षमा किया, लेकिन वचन मुताबिक गलती की मर्यादा लांघने पर उसका वध कर दिया.