जापान की सपनों की ट्रेन, एक लड़की के लिए सालों तक रुकती रही
Japan: जापान की 'सपनों की ट्रेन' की एक ऐसी दिल छू लेने वाली कहानी, जहां केवल एक छात्रा की शिक्षा के लिए 4 चालों तक ट्रेन चली. जापान का होक्काइडो के क्यू-शिराताकी स्टेशन पर एक ट्रेन सालों तक सिर्फ एक स्कूली लड़की, काना हारदा, के लिए रुकती रही. जापान रेलवे ने छात्रा की पढ़ाई के लिए 2012 से 2016 तक खुला रखा. यह कहानी जापान की समयबद्धता और समर्पण की मिसाल बन गई और इसने दुनियाभर में मिसाल बन गई.
Written By निधि तिवारी
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Last Updated: Aug 18, 2025 03:15 PM IST
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दिल छूने वाली कहानी: जापान के होक्काइदो द्वीप पर क्यू-शिराताकी स्टेशन को 2016 तक (4 सालों) सिर्फ एक हाई स्कूल की छात्रा काना हराडा के लिए चालू रखा गया. क्योंकि यह केवल रेलवे स्टेशन नहीं था, बल्कि छात्रा के लिए शिक्षा और सपनों की उम्मीद का प्रतीक बना था.
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क्यों खास था स्टेशन?: जापान के इस रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या काफी कम थी. जापान सरकार ने इस स्टेशन को बंद करने की योजना बनाई, मगर काना की पढ़ाई के लिए यह चालू रखा गया.
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काना का संघर्ष: काना एक हाई स्कूल की छात्रा थीं, जो रोज इस स्टेशन से स्कूल जाया करती थीं. स्टेशन बंद होने पर काना को 73 मिनट पैदल चलकर दूसरी ट्रेन पकड़नी पड़ती थी.
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छात्रा के लिए चली ट्रेन: दिन में केवल चार ट्रेनें रुकती थीं, जिनमें से दो ही काना के स्कूल समय के अनुरूप थीं. ट्रेन सुबह स्कूल छोड़ने और शाम को वापस लाने के लिए रुकती थी.
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काना का मुश्किल सफर: ट्रेन समय से पकड़ कर काना स्कूल की बाकी एक्टिविटी में हिस्सा नहीं ले पाती थीं. क्योंकि ट्रेन का समय फिक्स था. कई बार उन्हें ट्रेन पकड़ने के लिए काना को दौड़ लगानी पड़ती थी.
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स्टेशन हुआ बंद: साल 2012 से मार्च 2016 में काना के लिए यह स्टेशन चालू रहा. काना ने स्नातक (Graduation) की पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद इस स्टेशन को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया.
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इंसानियत की जीत: काना और जापान रेलवे की यह कहानी ने दिखाती है कि शिक्षा और इंसानियत आर्थिक लाभ से ऊपर हैं. जापान रेलवे की इस पहल ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है.
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एक प्रेरणा: जापान के क्यू-शिराताकी स्टेशन की कहानी साबित करती है कि शिक्षा कितनी जरुरी है और इसके लिए समाज क्या कुछ कर सकती है. यह कहानी करुणा और समर्पण का प्रतीक है.