Vistaar News|फोटो गैलरी|Pitru Paksha 2025: इस दिन क्यों नहीं किया जाता सामान्य मृत्यु वालों का श्राद्ध, जानिए क्या है वजह
Pitru Paksha 2025: इस दिन क्यों नहीं किया जाता सामान्य मृत्यु वालों का श्राद्ध, जानिए क्या है वजह
Pitru Paksha 2025: हिंदु धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, जब लोग अपने पूर्वजों काे याद कर तर्पण और श्राद्ध करते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस कर्म से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मगर पितृपक्ष की हर तिथि का अपना अलग महत्व होता है. खासकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि जिसे घायल चतुर्दशी भी कहा जाता है. उस दिन श्राद्ध केवल विशेष परिस्थितियों में मृत हुए लोगों का ही किया जाता है.महाभारत और गरुड़ पुराण में इस दिन श्राद्ध से जुड़ी खास मान्यतांए बताई गई हैं.
Written By अभय वर्मा
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Last Updated: Sep 11, 2025 05:16 PM IST
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पितृ पक्ष हिंदू धर्म का वह काल है जिसमें पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध के माध्यम से स्मरण किया जाता है. यह काल आत्माओं की शांति और वंशजों की समृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि श्राद्ध से आयु, बल और धन में वृद्धि होती है.
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चतुर्दशी श्राद्ध 2025 में 20 सितंबर को मनाया जाएगा. महाभारत के अनुसार इस दिन अकाल मृत्यु प्राप्त आत्माओं का ही श्राद्ध किया जाना चाहिए. स्वाभाविक मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध इस तिथि पर नहीं किया जाता.
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पितृ पक्ष की प्रत्येक तिथि का अपना विशिष्ट महत्व बताया गया है. इसी क्रम में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को घायल चतुर्दशी कहा जाता है. इस दिन केवल विशेष परिस्थितियों में मरे हुए लोगों का श्राद्ध किया जाता है.
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जो लोग दुर्घटना, आत्महत्या, हत्या या हथियार से मारे गए हों. ऐसे मृतकों का श्राद्ध केवल चतुर्दशी तिथि पर ही किया जाता है. अन्य किसी भी स्थिति में इस तिथि पर श्राद्ध वर्जित है.
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महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने इसका उल्लेख किया है. उन्होंने युधिष्ठिर को बताया कि सामान्य मृत्यु वालों का श्राद्ध इस दिन अशुभ माना जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करता है.
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गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध न करने पर उनकी आत्माएं परिजनों और वंशजों के लिए कष्ट का कारण बन जाती हैं. वे वंश के सुख-शांति और समृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं.
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अगर किसी पूर्वज की मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई हो.तो उनके श्राद्ध का सबसे उचित दिन सर्वपितृ अमावस्या माना गया है.इस दिन सभी प्रकार के पितरों का श्राद्ध करके उन्हें तृप्त किया जा सकता है.
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चतुर्दशी पर सामान्य मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध करने से बुरा प्रभाव होता है.शास्त्रों में कहा गया है कि इससे अयोग्य संतान जन्म ले सकती है.साथ ही परिवार में विवाद और वैवाहिक जीवन में कलह हो सकता है