अजय जडेजा का नया शाही सफर, दशहरे पर संभाली जामनगर राजघराने की बागडोर
Ajay Jadeja: भारतीय क्रिकेट के पूर्व धुरंधर खिलाड़ी अजय जडेजा अब जामनगर राजघराने के उत्तराधिकारी बन गए हैं, जिससे उनके प्रशंसक और खेल प्रेमी दोनों ही उत्साहित हैं. जामनगर के मौजूदा जाम साहब शत्रुशल्य सिंह ने शुक्रवार की रात एक पत्र के माध्यम से यह महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने बताया कि दशहरे के पावन अवसर पर उन्होंने अपनी दुविधा का समाधान करते हुए अजय जडेजा को राजघराने का अगला उत्तराधिकारी नियुक्त किया है.
जामनगर की शाही परंपरा
अजय जडेजा का जन्म 1971 में जामनगर राजघराने में हुआ था, जिसे पहले नवानगर के नाम से जाना जाता था. उनके पिता, दौलत सिंह जी जडेजा, मौजूदा जाम साहब के चचेरे भाई हैं, जिससे उनका संबंध इस शाही परिवार से गहरा है. जडेजा के नए उत्तराधिकारी बनने से जामनगर की शाही परंपरा को एक नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी.
शत्रुशल्य सिंह ने पत्र में लिखा कि अजय जडेजा का चयन इस विश्वास के साथ किया गया है कि वह जामनगर के लोगों के लिए एक वरदान साबित होंगे और पूरी निष्ठा के साथ उनकी सेवा करेंगे. चूंकि शत्रुशल्य सिंह की कोई संतान नहीं है, इसलिए अजय का यह चयन खास महत्व रखता है.
जडेजा का क्रिकेटीय इतिहास
अजय जडेजा का नाम भारतीय क्रिकेट में एक विशेष स्थान रखता है. उन्होंने 1992 से 2000 के बीच भारतीय टीम के लिए 15 टेस्ट और 196 वनडे मैच खेले. उन्हें अपने समय के सबसे बेहतरीन फील्डर्स में से एक माना जाता था. उनकी सबसे यादगार पारी 1996 के क्रिकेट विश्व कप क्वार्टर फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ थी, जहां उन्होंने केवल 25 गेंदों पर 45 रन बनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था.
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विवादों का सामना
हालांकि, जडेजा की क्रिकेट यात्रा में कुछ विवाद भी शामिल रहे हैं. उन्हें मैच फिक्सिंग के आरोपों के कारण 5 साल का बैन झेलना पड़ा था. लेकिन, 27 जनवरी 2003 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उनका प्रतिबंध हटा दिया, जिससे वह फिर से खेल में लौटने में सक्षम हुए. उन्होंने बीसीसीआई के आदेश को चुनौती देते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और 2003 में रणजी ट्रॉफी में वापसी की.
क्रिकेट और शाही विरासत
अजय जडेजा का परिवार क्रिकेट के महान खिलाड़ियों से भरा हुआ है, जिसमें केएस रणजीत सिंह और केएस दलीप सिंह शामिल हैं. इनके नाम पर आज भी रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित होते हैं. जडेजा का यह शाही उत्तराधिकारी बनना उनके लिए ही नहीं, बल्कि जामनगर के लोगों के लिए भी गर्व का विषय है, क्योंकि यह उन्हें अपनी सांस्कृतिक और खेल विरासत को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है. इस नई भूमिका में अजय जडेजा की क्रिकेट और शाही विरासत का संगम उन्हें और भी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है.