Paralympics 2024: कभी छोटा कद होने पर बना मजाक, अब नवदीप ने पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीत रचा इतिहास

Navdeep: नीरज चोपड़ा तो पेरिस में गोल्ड नहीं जीत सके थे लेकिन उन्हें अपना प्रेरणा का स्त्रोत मानने वाले नवदीप ने समाज से मिलते तानों के बीच ये गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है.
Navdeep

नवदीप

Navdeep Wins Gold Medal: पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए मेडल आने का सिलसिला जारी है. 8 सितंबर को खेलों का यह भव्य इवेंट समाप्त हो जाएगा, लेकिन उससे एक दिन पहले शनिवार 7 सितंबर को भारत की झोली में 1 और गोल्ड मेडल आया. इसके साथ ही भारत के पास अब 7 गोल्ड हो गए हैं. ये कारनामा नवदीप सिंह ने मेंस जैवलिन थ्रो F41 कैटेगरी में किया. इस कैटेगरी में मेडल जीतने वाले में वो पहले खिलाड़ी हैं. इस कैटेगरी में कम हाइट वाले एथलीट हिस्सा लेते हैं.

नीरज चोपड़ा तो पेरिस में गोल्ड नहीं जीत सके थे लेकिन उन्हें अपना प्रेरणा का स्त्रोत मानने वाले नवदीप ने समाज से मिलते तानों के बीच ये गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है. 4 फुट 4 इंच के हरियाणा का इस खिलाड़ी के लिए सफलता के इस मुकाम तक पहुंचने का सफर कठिनाइयों से भरा रहा है.

ये भी पढ़ें- Paralympics 2024 में भारत का जलवा, ओलंप‍िक से ज्यादा मेडल जीतने के पीछे ये रही बड़ी वजह

कम हाइट का लोग उड़ाते थे मजाक

24 साल के नवदीप ने तीसरे प्रयास में 47.32 मीटर का थ्रो किया था, लेकिन ईरान के एथलीट सादेग बेत सयाह ने 47.64 मीटर थ्रो करके गोल्ड पर कब्जा जमाया लिया. हालांकि, इवेंट के बाद पैरालंपिक के नियमों का उल्लंघन करने के कारण उन्हें डिस्क्वालिफाई किया गया और नवदीप का सिल्वर गोल्ड में अपग्रेड हो गया. इससे नवदीप के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. ये सफलता उनके जुनून का फल है, क्योंकि हरियाणा के बुआना लाखू गांव में पले-बढ़े नवदीप बचपन से ही बौनेपन का शिकार थे. पड़ोस के बच्चें उन्हें “बौना” कहकर ताने देते थे. इसके कारण उनका घर से निकलना मुश्किल हो जाता था.

2012 में मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

नवदीप का जन्म साल 2000 में हुआ था. जब वो दो साल के हुए तब माता-पिता एहसास हुआ कि उनका बच्चा बौनेपन से पीड़ित है. दोनों इलाज करवाने की खूब कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जब उनकी उम्र बढ़ी तो गांव के बच्चों ने चिढ़ाना शुरू कर दिया. इसके बाद उनके पिता ने उन्हें बढ़ावा देना शुरू किया. नवदीप के पिता ग्राम सचिव के साथ-साथ एक रेसलर भी थे. उन्होंने नवदीप को एथलेटिक्स में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. इससे उनके जीवन सकारात्मक बदलाव आने शुरू हुए. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल प्रतियोगिता जीता और 2012 में उन्हें राष्ट्रीय बाल पुरष्कार से सम्मानित किया गया.

ट्रेनिंग के लिए दिल्ली में होना पड़ा शिफ्ट

अवॉर्ड पाने के 4 साल बाद नवदीप ट्रेनिंग के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए, जहां उनके कोच नवल सिंह ट्रेन करना शुरू किया. नवदीप गांव में रेसलिंग की ट्रेनिंग करते थे, लेकिन उन्होंने अंडर-20 में नीरज चोपड़ा को वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए देखा. इससे वो काफी प्रेरित हुए और रेसलिंग छोड़कर जैवलिन का खेल शुरू कर दिया. उनके भाई मनदीप ने बताया कि जैवलिन उन्हें मेरठ या विदेश से मंगवाना होता था. इसके लिए उनके पिता लोन भी लेना पड़ा.

ज़रूर पढ़ें