‘मेरा एक सपना अधूरा रह गया…’, अपने आखिरी रणजी मैच के बाद भावुक हो गए Saurabh Tiwary

झारखंड के लेफ्ट हैंड बल्लेबाज सौरभ तिवारी ने अपने क्रिकेटिंग करियर को अलविदा कह दिया है और अपने सफर के बारे में खुल कर बातें की है.

Saurabh Tiwary: सौरभ तिवारी ने अपने आखिरी रणजी मैच के बाद अपने एक अधूरे सपने को लेकर बात की है. सौरभ ने कहा कि झारखंड के लिए रणजी ट्रॉफी जीतना मेरा सपना था लेकिन मैं ये सपना पूरा नही कर पाया. सौरभ तिवारी ने अपनी आखिरी रणजी पारी राजस्थान के खिलाफ खेली और अपने क्रिकेटिंग करियर से संन्यास ले लिया. सौरभ ने इस पारी में 89 रन भी बनाए. जब दूसरी पारी में सौरभ बैटिंग करने आए तो राजस्थान के खिलाड़ियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया.

आखिरी मैच में कैसा रहा प्रदर्शन

राजस्थान के खिलाफ खेले गए अपने आखिरी रणजी मैच में भी सौरभ ने शानदार प्रदर्शन किया. राजस्थान के खिलाफ पहली पारी में सौरभ ने 42 रन बनाए. वहीं दूसरी पारी में 89 रनों की एक महत्वपूर्ण पारी खेली.

सौरभ ने अपने बयान में क्या कहा?

सौरभ तिवारी ने अपने बयान में कहा, “क्रिकेट ने मुझे दो चीज़ें सिखाई हैं. पहला आपको हर चीज के लिए लड़ना होगा और दूसरा आपको जिंदगी में हमेशा हर चीज नहीं मिलती और कुछ चीजें छूट जाती हैं. मैने भी रणजी ट्रॉफी जीतने का सपना देखा था लेकिन मैं वो सपना पूरा नहीं कर पाया. मैं अभी भी कोशिश करूंगा कि झारखंड रणजी ट्रॉफी जीत जाए, लेकिन अब मेरी ये कोशिश बाहर से होगी और मैं हर संभव चीज करने की कोशिश करूंगा.”

कैसा रहा सौरभ का करियर

सौरभ तिवारी ने भारत के लिए तीन वनडे मैच भी खेले हैं जिसमे से दो मैचों में वो नाबाद भी रहे थे. जब 2010-11 सीजन में झारखंड ने विजय हजारे ट्रॉफी जीती थी, तब सौरभ तिवारी झारखंड की टीम के कप्तान थे. सौरभ के नाम फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 8076 रन, लिस्ट ए में 4050 रन और टी 20 क्रिकेट में 3454 रन है.

मैच खत्म होने के बाद भावुक दिखे सौरभ

राजस्थान के खिलाफ अपने आखिरी मैच के बाद सौरभ तिवारी भावुक नजर आए. उन्होंने अपने घुटनों पर बैठकर क्रिकेट फील्ड को धन्यवाद भी दिया. इस दौरान सौरभ के साथ उनके कोच काजल दास भी मौजूद रहे. काजल दास ने अपने बयान में सौरभ की तारीफ की और कहा, ” जब सौरभ 15 या 16 साल के थे, तब इनके सिर पर ट्रेनिंग के दौरान गेंद लगी थी. वो हॉस्पिटल गया और हॉस्पिटल से सीधा मेरे पास आया. मैने उससे कहा कि पैड्स बांधो और प्रैक्टिस करो और उसने सबकुछ भुलाकर वैसा ही किया. मैने सौरभ जैसा खेल के प्रति समर्पित खिलाड़ी नहीं देखा. रनों के लिए उनकी भूख वाकई में लाजवाब थी.”

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